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शाहजहांपुर में वाल्मीकि जयंती पर सुरक्षा चौकसी, राजेश द्विवेदी ने की पैदल यात्रा

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शाहजहांपुर में वाल्मीकि जयंती पर सुरक्षा चौकसी, राजेश द्विवेदी ने की पैदल यात्रा
Jonali Das 4 टिप्पणि

जब राजेश द्विवेदी, पुलिस अधीक्षक शाहजहांपुर पुलिस ने 4 अक्टूबर 2025 को महर्षि वाल्मीकि जयंती के शोभा यात्रा मार्ग का व्यक्तिगत निरीक्षण किया, तो शहर में सुरक्षा तैनाती का स्तर अभूतपूर्व हो गया। वाल्मीकि जयंती शाहजहांपुर के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम को शांति‑पूर्ण बनाने के लिए कई विभाग एक साथ आए।

पृष्ठभूमि और महत्त्व

वाल्मीकि जयंती, जो भारतीय साहित्य के जनक महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाता है, हर साल उत्साह के साथ मनाया जाता है। 2025 में इस वर्ष का जयंती दो दिनों तक, 4 और 5 अक्टूबर को, शाहजहांपुर में आयोजित होने वाली शोक़ा यात्रा के साथ विशेष रूप से उल्लेखनीय था। इस यात्रा का उद्देश्य स्थानीय जनसमुदाय में सांस्कृतिक संवर्धन के साथ साथ सामाजिक एकता को प्रज्वलित करना था।

सुरक्षा व्यवस्था के प्रमुख बिंदु

शाहजहांपुर पुलिस ने इस अवसर पर विस्तृत सुरक्षा योजना तैयार की। प्रमुख बिंदु थे:

  • शोभा यात्रा के मुख्य चौराहों, भीड़भाड़ वाले बाजारों और मंदिरों में अतिरिक्त पेट्रोलिंग।
  • सदर बाजार, कोतवाली, और राजकीय महाविद्यालय के आसपास सीसीटीवी कैमरों की स्थिति की पुनः जाँच।
  • अपर पुलिस अधीक्षक, एडीएम (ई), नगर मजिस्ट्रेट और क्षेत्राधिकारी के साथ मिलकर रूट भ्रमण।

इन उपायों में वाल्मीकि जयंती को शांतिपूर्ण रखने के लिये विशेष ब्रीफ़िंग और तेज़ संचार व्यवस्था भी शामिल थी।

शोभा यात्रा का मार्ग और प्रमुख घटनाएँ

5 अक्टूबर 2025 को, हनुमत धाम से यात्रा का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर धीरू खन्ना, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के भतीजे, और भाजपा नेता अग्निवेश गुप्ता ने सम्मानपूर्वक रथ को प्रारम्भ किया।

यात्रा में फूलों से सजा महर्षि वाल्मीकि का डोला सबसे आगे चल रहा था। रथ क्रमशः केरूगंज, चार खंबा, चौक, मंडी, घंटाघर, सदर बाजार और नगर निगम से गुजरते हुए प्राचीन वाल्मीकि मंदिर, कटिया टोला तक पहुँचा। यहाँ स्थानीय पुजारी ने विशेष पूजा-अर्चना की और फिर यात्रा का समापन हुआ।

प्रमुख व्यक्तियों की भागीदारी और प्रतिक्रियाएँ

यात्रा के संरक्षक अवनीश कुमार लालू एवं संयोजक दिनेश कुमार राजा ने वाल्मीकि जयंती पर अवकाश घोषित करने के बाद मुख्यमंत्री के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया। कई स्थानों पर स्थानीय जनता ने फूल वर्षा और ध्वजवंदन के माध्यम से भागीदारी दर्शायी।

शहर के कई व्यापारी और स्कूल प्रमुखों ने कहा कि इस तरह का सांस्कृतिक उत्सव सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।

भविष्य की योजनाएँ और निष्कर्ष

कुल मिलाकर, यह जयंती शैली में आयोजित पहली बड़ी सार्वजनिक यात्रा थी जिसमें राष्ट्रीय‑स्थानीय अधिकारियों का समुचित सम्मिलन देखा गया। प्रशासन ने इस सफल आयोजन को आधार बनाकर भविष्य में और बड़े सांस्कृतिक महोत्सवों के लिये समान सुरक्षा मॉडल अपनाने की योजना बनाई है। यह भी स्पष्ट हुआ कि जब सभी विभाग मिलजुल कर काम करते हैं, तो बड़े पैमाने के उत्सव भी शांति‑पूर्ण रह सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

वाल्मीकि जयंती की यात्रा में किन-किन स्थानों से गुजरते हुए समाप्त हुई?

यात्रा हनुमत धाम से शुरू होकर केरूगंज, चार खंबा, चौक, मंडी, घंटाघर, सदर बाजार और नगर निगम से गुजरते हुए कटिया टोला स्थित प्राचीन वाल्मीकि मंदिर में समाप्त हुई।

पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इस यात्रा में क्या खास कदम उठाए?

उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शोभा यात्रा मार्ग, प्रमुख चौराहों और भीड़भाड़ वाले स्थानों की पैदल गश्त की, ताकि रीयल‑टाइम में संभावित समस्याओं की पहचान कर तुरंत उपाय किया जा सके।

यात्रा में कौन-कौन से प्रमुख हस्तियां भागी?

धीरू खन्ना (वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के भतीजे), भाजपा नेता अग्निवेश गुप्ता, संरक्षक अवनीश कुमार लालू, संयोजक दिनेश कुमार राजा और कई स्थानीय धार्मिक और सामाजिक नेता भाग लिये।

शा‍हजहांपुर में सुरक्षा व्यवस्था क्यों इतनी कड़ी रखी गई?

वाल्मीकि जयंती जैसी बड़ी सार्वजनिक यात्रा में भीड़भाड़ और संवेदनशील स्थलों की उपस्थिति के कारण संभावित सुरक्षा जोखिमों को न्यूनतम करने के लिये विस्तृत पुलिस, प्रशासनिक और स्थानीय निकायों की संयुक्त कार्रवाई आवश्यक रही।

भविष्य में इस तरह के आयोजनों के लिए क्या योजनाएं हैं?

प्रशासन ने कहा है कि इसी मॉडल के आधार पर अगले वर्ष की सांस्कृतिक महोत्सवों में भी पुलिस, एडीएम, नगर निगम और स्थानीय समाज के बीच समन्वय को और सुदृढ़ किया जाएगा, जिससे बड़े कार्यक्रमों की सुरक्षा और सुगमता में सुधार होगा।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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टिप्पणि (4)
  • vipin dhiman
    vipin dhiman

    अक्तूबर 6, 2025 AT 21:36 अपराह्न

    भारत के राजा लोग ही ऐसे इवेंट संभाल सकते हैं, बाकी सब बेकार है!!

  • vijay jangra
    vijay jangra

    अक्तूबर 15, 2025 AT 13:36 अपराह्न

    शाहजहांपुर में वाल्मीकि जयंती का यह आयोजन सुरक्षा के लिहाज़ से एक मॉडल दर्शाता है। पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने व्यक्तिगत रूप से मार्ग का निरीक्षण किया, जिससे संभावित जोखिमों की शीघ्र पहचान हुई। विभिन्न विभागों की संयुक्त कार्रवाई ने दर्शकों को सहज और सुरक्षित महसूस कराया। अतिरिक्त पेट्रोलिंग और सीसीटीवी की पुनः जांच ने जनशक्ति का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया। यह प्रयास सामाजिक एकता को भी प्रोत्साहित करता है, क्योंकि लोग इस प्रकार के आयोजन में अधिक भरोसेमंद होते हैं। स्थानीय व्यापारियों को भी इस आयोजन से आर्थिक लाभ हुआ, जिससे समुदाय में उत्साह बना। सुरक्षा ब्रीफ़िंग और तेज़ संचार व्यवस्था ने आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया को सम्भव बनाया। इस स्तर की तैयारी भविष्य में बड़े महोत्सवों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी। हम सभी को इस सफलता पर बधाई देना चाहिए और इस मॉडल को अन्य शहरों में लागू करने की सलाह देनी चाहिए। यह दर्शाता है कि जब विभाग आपस में समन्वय करते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं रहती। साथ ही, इस आयोजन ने युवा वर्ग में राष्ट्रीय गौरव की भावना को भी प्रज्वलित किया। विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों ने शहर की विरासत को उजागर किया। शांति‑पूर्ण वातावरण ने सभी आयु वर्ग के लोगों को समान रूप से भाग लेने का अवसर दिया। इस तरह के सहयोगी प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति के प्रसार में मददगार हैं। अंततः, इस सफल आयोजन को देखते हुए हमें आगामी वर्षों में भी इस दिशा में निरंतर प्रयास करना चाहिए।

  • Vidit Gupta
    Vidit Gupta

    अक्तूबर 24, 2025 AT 05:36 पूर्वाह्न

    वाह, यह आयोजन वाकई शानदार रहा, सभी ने मिलकर काम किया, सुरक्षा बहुत कड़ी थी, स्थानीय लोग भी सहयोगी थे, और माहौल बहुत ही उत्सवपूर्ण था। प्रौद्योगिकी का उपयोग, जैसे सीसीटीवी और रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग, इस सफलता में अहम भूमिका निभाई। प्रशासनिक सहयोग, जिसमें एडीएम, नगर मजिस्ट्रेट और पुलिस शामिल हैं, वास्तव में प्रशंसनीय था। जनता की भागीदारी, फूल वर्षा और ध्वजवंदन के रूप में, उत्सव को और भी रंगीन बना गई। कुल मिलाकर, इस जयंती ने सामाजिक सौहार्द और आर्थिक लाभ दोनों को बढ़ावा दिया।

  • Sameer Kumar
    Sameer Kumar

    नवंबर 1, 2025 AT 21:36 अपराह्न

    यह जयंती केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपी सांस्कृतिक आत्मा का प्रतिफल है। जब लोग सामूहिक रूप से एक धारा में बहते हैं, तो समाज की नींव अधिक दृढ़ बनती है। इस यात्रा में देखी गई सुरक्षा संजाल हमारे सामूहिक चेतना का विस्तारीकरण है। प्रत्येक कदम, प्रत्येक रथ का दौरा, जुड़ाव की गाथा कहता है। इस प्रकार के सहयोग से राष्ट्र की प्रगति समस्त रूप से सम्भव होती है

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