दिवाली 2025 की तारीख पर विवाद है, लेकिन ज्योतिषी प्रवीण मिश्रा और द्रिक पंचांग के अनुसार 20 अक्टूबर को ही लक्ष्मी-गणेश पूजा करनी चाहिए, क्योंकि प्रदोष और निशिथ काल इसी दिन आ रहे हैं।
धर्म संस्कृति – आपका दैनिक आध्यात्मिक गाइड
भाई‑बहनों, अगर आप हर रोज़ हिन्दू धर्म के महत्व को समझना चाहते हैं तो यह पेज आपके लिए है। यहाँ हम सरल भाषा में त्यौहारों की तारीख, पूजा विधि और व्रत से जुड़ी बातें बताते हैं, ताकि आप आसानी से पालन कर सकें।
2024 के प्रमुख त्यौहार और उनका महत्व
सबसे पहले बात करते हैं देव उठनी एकादशी 2024 की, जो 12 नवम्बर को मनाया जाएगा। इस दिन विष्णु जी चार महीने की नींद से जागते हैं, इसलिए व्रत रखकर आप आध्यात्मिक शक्ति बढ़ा सकते हैं। मुख्य बात यह है कि हल्का फुल्का उपवास रखें और तुलसी के पत्ते का सेवन करें – इससे ऊर्जा बनी रहती है।
अगला बड़ा त्यौहार नवरात्रि 2024 है, जिसका तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। यह दिन शक्ति और शांति का प्रतीक माना जाता है। अगर आप इस अवसर पर विशेष भोग रखेंगे जैसे काजू‑के‑कटले या बेसन‑के‑लड्डू, तो घर में सुख-शांति बनी रहती है। सही मुहर्त चुनना भी महत्वपूर्ण है; अभिजित और विजय मुहर्त सबसे अनुकूल होते हैं।
तीसरा उल्लेखनीय तिथि गुरु पूर्णिमा 2024 है, जो 21 जुलाई को आएगा। इस दिन गुरु जी की जयकारा लगाते हुए हम अपने जीवन में ज्ञान और सफलता का मार्गदर्शन माँगते हैं। आप अपने गुरुओं को शुभकामनाओं वाले संदेश भेज सकते हैं या उनके चरणों में फूल चढ़ाकर सम्मान दिखा सकते हैं।
धर्म संस्कृति पढ़ने के फायदे
जब आप नियमित रूप से धर्म‑संस्कृति की जानकारी पढ़ते हैं, तो आपके मन को शांति मिलती है और रोज़मर्रा की चुनौतियों का सामना आसान हो जाता है। सरल भाषा में लिखी गई सामग्री आपको जल्दी समझ आती है, चाहे आप गाँव के हों या शहर में।
इसके अलावा, त्यौहारों की सही विधि अपनाने से परिवार में एकता बढ़ती है। बच्चे भी संस्कृति को मज़ेदार ढंग से सीखते हैं, जैसे कि नवरात्रि की पिचकारियों में भाग लेना या एकादशी पर तुलसी का महत्व समझना।
धर्म‑संस्कृति के लेख अक्सर व्यावहारिक टिप्स देते हैं—जैसे उपवास में कौन‑से फल सुरक्षित हैं या पूजा में कौन‑से रंग प्रयोग करने चाहिए। यह जानकारी आपके दैनिक जीवन को व्यवस्थित बनाती है और गलतियों से बचाती है।
समाचार पर्दे की इस श्रेणी में आप हर तिथि के लिए विस्तृत मार्गदर्शन पा सकते हैं। चाहे आप पहली बार व्रत रख रहे हों या अनुभवी भक्त, यहाँ सबके लिये कुछ न कुछ उपयोगी है।
यदि आपके पास कोई खास सवाल है—जैसे कौन‑सा मुहर्त सबसे लाभकारी है या किस प्रकार का प्रसाद तैयार करना चाहिए—तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं। हमारी टीम जल्द ही उत्तर देगी, ताकि आप बिना उलझन के पूजा कर सकें।
धर्म संस्कृति की खबरों को रोज़ पढ़ना आपके आध्यात्मिक ज्ञान को ताज़ा रखता है और आपको समय पर सही कदम उठाने में मदद करता है। तो अब देर न करें, इस पेज को बुकमार्क कर लें और हर त्यौहार के साथ अपनी आस्था को मजबूती दें।
आखिर में एक बात याद रखें: सरलता ही सबसे बड़ी पूजा है। जब आप सच्ची भावनाओं से अपने धर्म को अपनाते हैं, तो जीवन स्वाभाविक रूप से बेहतर हो जाता है। इस पेज पर मिलने वाली जानकारी को अपनी दैनिक रूटीन का हिस्सा बनाएं और देखें कैसे आपके घर में सकारात्मक बदलाव आता है।
डॉ. अजय वर्मा ने 12 अक्टूबर 2025 के अंक‑ज्योतिष में 1‑9 मूलांक के लिए विस्तृत भविष्यवाणी जारी की; सूर्य‑गुरु की संगति से पदोन्नति, यात्रा, वित्तीय लाभ और स्वास्थ्य‑चिन्ता के मिश्रित परिणाम सामने आए।
चैत्र नवरात्रि 2025 में प्रत्येक दिन के देवता के अनुसार रंगीन साड़ी पहनने की परंपरा का विस्तृत मार्गदर्शक। सफेद से गुलाबी तक, हर रंग का आध्यात्मिक अर्थ और साड़ी की शैली बताया गया है। धार्मिक महत्ता, मनोवैज्ञानिक प्रभाव और आधुनिक फैशन सुझाव इस लेख में मिलेंगे।
देव उठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू मान्यताओं में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो 12 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन से भगवान विष्णु अपने चार महीने के चातुर्मास निद्रा को समाप्त करते हैं। इस दिन का पालन कर भक्त आशीर्वाद और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। व्रत के प्रकार और पूजा विधियों के बारे में जानने के लिए पढ़ें।
नवरात्रि के तीसरे दिन, जो 5 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा, माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। यह दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप की आराधना के लिए समर्पित है। माँ चंद्रघंटा को शक्ति और शांति का प्रतीक माना जाता है। देवी के पूजन के लिए ब्रह्म मुहूर्त, अभिजित मुहूर्त और विजय मुहूर्त शुभ माने गए हैं। पूजा के दौरान विशेष भोग और सूती वस्त्र अर्पित करने का महत्व है।
आज 21 जुलाई 2024 को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। यह भारतीय संस्कृति और परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। हिन्दू धर्म में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है जो हमें जीवन की सच्चाइयों का मार्ग दिखाते हैं और सफलता प्राप्त करने में मदद करते हैं। इस पावन अवसर पर अपने गुरुजनों को विशेष संदेश और शुभकामनाएं भेजें।