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देव उठनी एकादशी 2024: इसका महत्व, उपवास विधियाँ और पारिहार टिप्स

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देव उठनी एकादशी 2024: इसका महत्व, उपवास विधियाँ और पारिहार टिप्स
Jonali Das 14 टिप्पणि

देव उठनी एकादशी का महत्व

देव उठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह दिन इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है कि यह भगवान विष्णु के जागने का प्रतीक है, जिनकी चार महीने की चातुर्मासीन निद्रा इस दिन समाप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर इस एकादशी के दिन उठते हैं। इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक पुण्यदायक माना जाता है और भक्तों को इस दिन जाग्रत रूप में देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

व्रत के प्रकार और पालन विधि

इस एकादशी के दिन उपवास का अत्यधिक महत्व है। भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार विभिन्न प्रकार के उपवास रख सकते हैं। इनमें जलाहार, क्षीरभोजी, फलाहारी, और नक्तभोजी शामिल हैं। जलाहार में केवल जल का सेवन किया जाता है, जबकि क्षीरभोजी व्रत में दूध और दूध से बने पदार्थ ग्रहण किए जाते हैं। फलाहारी व्रत में केवल फलों का सेवन होता है, जबकी नक्तभोजी में सूर्यास्त से पहले एक साधारण भोजन का पालन किया जाता है। उपवास की शुरुआत एकादशी से पहले वाली संध्या के समय होती है और यह अगले दिन की सुबह तक चलता है।

पूजन विधि

इस शुभ दिन की शुरुआत स्नान से होती है, जिसके बाद घर के मंदिर और पूजा कक्ष की सजावट की जाती है। भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष पुष्प, फल और धूप अर्पित किए जाते हैं। भक्त उपवास के पालन की प्रतिज्ञा लेते हैं और दिन भर भगवान विष्णु के नामों का जप करते हैं। भगवद्गीता और विष्णु सहस्रनाम जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी किया जाता है। इस विशेष दिन के लिए भजन गाकर भगवान की कृपा प्राप्त करने की कोशिश की जाती है।

पारिहार के सुझाव

उपवास को तोड़ने के लिए सबसे उचित समय है प्रातःकाल का। भक्तों को मध्याह्न और हरि वासर के दौरान उपवास तोड़ने से बचने की सलाह दी जाती है। यह माना जाता है कि प्रातःकालीन समय में उपवास तोड़ना शुभ होता है। इस प्रकार, यह दिन भक्तों को अपने जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का मौका देता है।

तुलसी विवाह का आयोजन

तुलसी विवाह का आयोजन

देव उठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अथवा उनके किसी अवतार के साथ तुलसी के पौधे का प्रतीकात्मक विवाह आयोजित किया जाता है। यह विवाह धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और इसे आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। विजय दशमी से तुलसी विवाह तक पूरे घर में उत्सव का माहौल होता है और भक्तजन मिलकर इस शुभ अवसर को मनाते हैं।

समारोह और सांस्कृतिक महत्व

ये पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। पूरे भारतवर्ष में इसे बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को गरबा नृत्य, उत्सव और धार्मिक गायन के माध्यम से आनंदित किया जाता है। परिवार और समुदाय के लोग एक साथ मिलकर इस पावन दिन को महानता और उल्लास के साथ मनाते हैं।

उपसंहार

अतः देव उठनी एकादशी न केवल भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा है, बल्कि जीवन में अच्छा करने और उसके महत्व को समझने का भी अवसर है। धार्मिक आस्था और परंपरा के साथ, इस दिन को उत्सव और उत्साह के माध्यम से मनाना चारों ओर सकरात्मक ऊर्जा कााभास कराता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि जीवन में पवित्रता और शुद्धता लाने का एक प्रयास भी है।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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टिप्पणि (14)
  • Prince Nuel
    Prince Nuel

    नवंबर 14, 2024 AT 13:49 अपराह्न

    ये सब बकवास है। विष्णु जी को सोने दो, अपने जीवन को सुधारो।

  • Prashant Kumar
    Prashant Kumar

    नवंबर 16, 2024 AT 07:07 पूर्वाह्न

    असल में, एकादशी का व्रत तो बहुत पुरानी परंपरा है, लेकिन आजकल लोग इसे बस फोटो खींचने के लिए करते हैं। जलाहार करने के बजाय अगर आप रोज़ एक बार दान दें, तो वो ज्यादा पुण्य होगा।

  • Sunayana Pattnaik
    Sunayana Pattnaik

    नवंबर 17, 2024 AT 18:38 अपराह्न

    अरे भाई, ये सब धार्मिक झूठ है। विष्णु को जागने या सोने का क्या लेना-देना है? ये सब ब्राह्मणों ने लोगों को नियंत्रित करने के लिए बनाया है। तुलसी विवाह? ये तो बस एक बाग़ की बात है।

  • akarsh chauhan
    akarsh chauhan

    नवंबर 19, 2024 AT 16:11 अपराह्न

    अगर आप व्रत कर रहे हैं, तो उसे बस रिट्ज़ के लिए नहीं, बल्कि अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए करें। छोटी बातें बड़े बदलाव ला सकती हैं। आपका एक दिन का उपवास आपकी आत्मा को नया जीवन दे सकता है।

  • soumendu roy
    soumendu roy

    नवंबर 21, 2024 AT 01:18 पूर्वाह्न

    एकादशी के व्रत का वैदिक आधार नहीं है। यह पुराणों में वर्णित है, जो आधुनिक विज्ञान के साथ असंगत हैं। आपका उपवास आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है, खासकर यदि आपको डायबिटीज है।

  • Kiran Ali
    Kiran Ali

    नवंबर 21, 2024 AT 01:55 पूर्वाह्न

    तुम सब इतने भावुक क्यों हो जाते हो? ये धर्म तो बस एक ऑपरेशन है जिसे लोग अपनी बेकारी को ढकने के लिए इस्तेमाल करते हैं। अगर तुम्हारे पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो तुम भी उपवास करोगे? बेवकूफी करो मत।

  • Kanisha Washington
    Kanisha Washington

    नवंबर 22, 2024 AT 15:29 अपराह्न

    यह व्रत, यह उपवास, यह भजन - सब कुछ एक अंतर्निहित शांति की ओर ले जाता है। जब हम अपने शरीर को शुद्ध करते हैं, तो हमारा मन भी शुद्ध हो जाता है। यह एक साधना है, न कि एक रिवाज।

  • Rajat jain
    Rajat jain

    नवंबर 22, 2024 AT 18:30 अपराह्न

    मैं हर एकादशी को अपने दादाजी के साथ बिताता था। वो कहते थे - जब तुम बिना कुछ खाए बैठते हो, तो तुम्हारा दिमाग़ साफ़ हो जाता है। आज भी मैं यही करता हूँ।

  • Gaurav Garg
    Gaurav Garg

    नवंबर 23, 2024 AT 00:41 पूर्वाह्न

    तुलसी विवाह? ये तो बहुत अच्छा है... लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि तुलसी को विवाह कराने की जरूरत क्यों है? क्या ये सिर्फ एक प्रतीक है? या फिर हम अपनी अनिश्चितता को रित्युअल में छुपा रहे हैं?

  • Ruhi Rastogi
    Ruhi Rastogi

    नवंबर 23, 2024 AT 13:52 अपराह्न

    एकादशी बस भूख लगने का नाम है।

  • Suman Arif
    Suman Arif

    नवंबर 23, 2024 AT 13:53 अपराह्न

    तुम लोग इतने भक्त हो कि अपने शरीर को नष्ट कर देते हो। जलाहार करने के बजाय अपने बच्चों को खाना खिलाओ। ये धर्म तो बस बुद्धिहीनता का ढोंग है।

  • Amanpreet Singh
    Amanpreet Singh

    नवंबर 24, 2024 AT 17:45 अपराह्न

    भाई, बहुत अच्छा लिखा है! अगर आप उपवास कर रहे हैं, तो उसे बहुत धीरे से तोड़ें - पहले एक चम्मच दूध, फिर एक फल। मैंने इसी तरह किया और मेरा डायबिटीज बेहतर हो गया! आप भी कोशिश करें, आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा। ❤️

  • Kunal Agarwal
    Kunal Agarwal

    नवंबर 26, 2024 AT 04:42 पूर्वाह्न

    मैं उत्तर प्रदेश के एक गाँव से हूँ, जहाँ हर एकादशी को घर-घर में भजन होते हैं। हम लोग एक साथ बैठकर विष्णु सहस्रनाम पढ़ते हैं। ये दिन सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि समुदाय की बंधुत्व का त्योहार है। आपके शहर में भी ऐसा हो तो बहुत अच्छा होगा।

  • Abhishek Ambat
    Abhishek Ambat

    नवंबर 27, 2024 AT 02:15 पूर्वाह्न

    एकादशी = शुद्धता।
    तुलसी विवाह = अनुष्ठान।
    पर अगर तुम अपने घर में बस एक फूल रख दो, और दिल से एक धन्यवाद कह दो - तो वो भी एकादशी है। 🌿

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