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नवरात्रि 2024: जानें माँ चंद्रघंटा पूजन का विशेष महत्व और विधि

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नवरात्रि 2024: जानें माँ चंद्रघंटा पूजन का विशेष महत्व और विधि
Jonali Das 5 टिप्पणि

तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व और आराधना

भारत में नवरात्रि का त्योहार विशेष रूप से देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के लिए जाना जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन को माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से आस्था और भक्ति का प्रतीक है। 2024 में यह दिन 5 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन माँ चंद्रघंटा की विशेष आराधना की जाती है।

माँ चंद्रघंटा माँ पार्वती का विवाहित स्वरूप है और यह देवी दुर्गा का ही एक रूप है जो शक्ति और साहस का अद्वितीय प्रतीक है। उन्होंने दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण कर रखे हैं और दुष्ट शक्तियों का नाश करने के लिए वे एक बाघ पर सवार हैं। उनका नाम चंद्रघंटा उनके माथे पर स्थित अर्धचंद्राकार घंटे के कारण पड़ा है। यह घंटा न केवल शक्ति का प्रतीक है बल्कि ध्यान और शांति का भी प्रतीक है।

पूजा का सही समय और विधि

तीसरे दिन की पूजा के लिए विशेष मुहूर्त निश्चित किए गए हैं। ब्रह्म मुहूर्त दोपहरांत 4:38 बजे से 5:27 बजे तक, अभिजित मुहूर्त 11:46 बजे से 12:33 बजे तक और विजय मुहूर्त 2:07 बजे से 2:55 बजे तक होते हैं। इन दौरान भक्ति में तल्लीन होकर माँ चंद्रघंटा की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है।

पूजा में सबसे पहले देवी की प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है। इसके उपरांत, उन्हें सजी हुई वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनके सामने पीले फूल और जासमीन अर्पित किए जाते हैं। पंचामृत, मिश्री और खास प्रकार का खीर का भोग माताजी को चढ़ाया जाता है, जो भक्ति और समर्पण की भावना को दर्शाता है।

दिन का विशेष रंग और आध्यात्मिक लाभ

नवरात्रि के तीसरे दिन के लिए विशेष धूसर रंग को पहचाना गया है। यह रंग संतुलन, शांति और शक्ति का द्योतक माना गया है। भक्त इस रंग के वस्त्र धारण करके देवी की दिव्य ऊर्जा को अपने अंदर ग्रहण करने की कोशिश करते हैं।

माँ चंद्रघंटा की आराधना के माध्यम से भक्त अपनी सभी समस्याओं का समाधान ढूंढने का प्रयास करते हैं। उनकी महिमा यह मानी जाती है कि उनके आशीर्वाद से जीवन के समस्त कष्टों का निवारण होता है। भक्तगण कहते हैं कि माँ चंद्रघंटा की पूजा से मन और मस्तिष्क में शांति की स्थापना होती है और जिनसे आध्यात्मिक साधनाओं में एकाग्रता मिलती है।

मंत्र और स्तुति का महत्व

नवरात्रि के तीसरे दिन 'ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः' मंत्र का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस मंत्र के जाप से वातावरण और भक्त का मन पवित्र होता है। उनके अन्य महत्वपूर्ण स्तुतियों में 'पिंडज प्रवरारूढ़ चण्डकोपास्त्रकैैर्युता' और 'या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता' का पाठ शामिल है, जो भक्तों के मन को शांत और स्थिर करते हैं।

नवरात्रि के दौरान माँ चंद्रघंटा की पूजा का अनूठा महत्त्व

नवरात्रि के दौरान माँ चंद्रघंटा की पूजा का अनूठा महत्त्व

माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए भक्तों का आतुर रहना उनके प्रति गहरी श्रद्धा और श्रद्धालुता का प्रतीक है। देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप का यह पूजन भक्ति भाव को और दृढ़ता से भक्तों के मन में आरोपित करता है। यह न केवल उनके मनोबल को बढ़ाता है बल्कि धार्मिक और मानसिक अनुशासन की गहराई में भी वृद्धि करता है।

माँ चंद्रघंटा की कृपा से भक्त अपने जीवन में आने वाले छोटे-बड़े संघर्षों को जीत सकते हैं और अपनी आध्यात्मिक यात्रा में सफल हो सकते हैं। इस आराधना का उद्देश्य भक्तों को मानसिक दृढ़ता और समर्पण की शक्ति प्रदान करना है, जिससे वे जीवन के संघर्षों में निराश न हों बल्कि हर परिस्थिति में मजबूती से खड़े रहें।

पूजा के दौरान भक्ति, समर्पण और श्रद्धा के साथ किये गये प्रयास न केवल भक्त की व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करते हैं बल्कि समाज में भी शांति और सद्भावना को फैलाने में मदद करते हैं। माँ चंद्रघंटा की आराधना से भक्तों में आत्मविश्वास और साहस की भावना का संचार होता है।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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टिप्पणि (5)
  • Vishal Raj
    Vishal Raj

    अक्तूबर 6, 2024 AT 01:44 पूर्वाह्न

    माँ चंद्रघंटा का रूप बस इतना ही नहीं, ये तो एक अद्भुत शक्ति का प्रतीक है। जब भी मैं उनका ध्यान करता हूँ, तो लगता है जैसे सारी भयानक चीज़ें अपने आप शांत हो जाती हैं। घंटे का निश्चित शब्द, बाघ पर सवारी, दस हाथ - ये सब बस दिखावा नहीं, एक गहरा संदेश है।

    कई बार लोग ये सोचते हैं कि पूजा तो बस रितुअल है, लेकिन ये तो एक आंतरिक यात्रा है। जब आप उस मंत्र को जपते हैं, तो आपका दिमाग अपने आप शांत हो जाता है।

    मैंने एक बार अपने दादा के साथ इसी पूजा की थी, उन्होंने कहा था - जब तक तुम अपने भीतर के डर को नहीं देखोगे, तब तक बाहर के शत्रु तुम्हें नहीं छू पाएंगे।

  • Mayank Aneja
    Mayank Aneja

    अक्तूबर 6, 2024 AT 05:17 पूर्वाह्न

    मुहूर्त के बारे में बताया गया है, लेकिन क्या ये सब वास्तविक रूप से ज़रूरी है? मैंने कभी भी इन्हें नहीं फॉलो किया, फिर भी कोई समस्या नहीं हुई।

    माँ चंद्रघंटा की भक्ति का मतलब है - आत्मविश्वास और शांति। अगर आप दिल से भक्ति करते हैं, तो समय और रंग का कोई फर्क नहीं पड़ता।

    मैं अक्सर ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान करता हूँ, लेकिन उसे पूजा के लिए नहीं, बल्कि अपने मन को स्थिर करने के लिए।

    हर विधि को अपनाने की ज़रूरत नहीं, बस एक शुद्ध भावना चाहिए।

    पंचामृत के बजाय अगर कोई सिर्फ एक फूल चढ़ाए, तो क्या वो कम भक्त हो जाता है?

    नहीं।

    ये सब तो बस बाहरी चीज़ें हैं।

    मैंने एक बार एक गाँव में एक बूढ़ी दादी को देखा - उनके पास कोई पूजा का सामान नहीं था, बस एक चाँदी की चम्मच और एक गुलाब का फूल।

    उन्होंने बस आँखें बंद कर लीं, और बोलीं - ‘माँ, मैं तुम्हारे लिए तैयार हूँ।’

    उस दिन मैंने समझा - पूजा नहीं, भक्ति है जो असली है।

  • Reetika Roy
    Reetika Roy

    अक्तूबर 6, 2024 AT 19:09 अपराह्न

    माँ चंद्रघंटा की पूजा के दौरान धूसर रंग पहनना बहुत सही है। मैंने पिछले साल इसी रंग की साड़ी पहनी थी - और अगले हफ्ते मुझे नौकरी मिल गई।

    मैं इसे भाग्य नहीं, बल्कि अपने अंदर की शक्ति का प्रतीक मानती हूँ।

    जब आप शांत रंग पहनते हैं, तो आपका व्यवहार भी शांत हो जाता है।

    मैंने अपने काम के दोस्तों को भी ये बताया - अब वो भी तीसरे दिन धूसर पहनते हैं।

    ये बस एक रितुअल नहीं, ये एक आदत है।

    और आदतें बदलती हैं - जीवन।

  • Pritesh KUMAR Choudhury
    Pritesh KUMAR Choudhury

    अक्तूबर 7, 2024 AT 23:48 अपराह्न

    अगर आप जानना चाहते हैं कि चंद्रघंटा का नाम कैसे पड़ा - तो ये बात बहुत दिलचस्प है।

    ‘चंद्र’ = चाँद, ‘घंटा’ = घंटी।

    लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये घंटी वास्तव में एक बाघ के गले की घंटी थी?

    कुछ पुराणों में लिखा है कि देवी ने एक बाघ को जीता था, और उसकी घंटी अपने माथे पर लगा ली।

    ये एक बहुत शक्तिशाली चित्र है - जो शक्ति डराती है, वो खुद शांति लाती है।

    मैंने एक बार एक वैदिक पंडित से पूछा - क्या ये सब अनुमान है?

    उन्होंने मुस्कुराकर कहा - ‘अगर तुम एक शब्द को अर्थ देते हो, तो वो असली हो जाता है।’

    इसलिए, ये घंटी बस एक घंटी नहीं - ये एक याद है।

    याद वो शक्ति की, जो आपके अंदर है।

  • Mohit Sharda
    Mohit Sharda

    अक्तूबर 9, 2024 AT 04:29 पूर्वाह्न

    सबसे ज़रूरी बात ये है - आपको किसी के बारे में नहीं, बल्कि अपने बारे में सोचना है।

    माँ चंद्रघंटा की पूजा का मतलब ये नहीं कि आप देवी को खुश करें।

    बल्कि ये है कि आप अपने अंदर की वो शक्ति को जगाएं जो आपको डर से बचाती है।

    मैंने अपने बच्चे को इस दिन एक छोटी सी घंटी दी - जिसे वो अपने कमरे में लटका लेता है।

    जब भी वो डरता है, तो वो उसे बजाता है।

    और फिर - शांति आ जाती है।

    ये नहीं कि देवी आती है।

    बल्कि वो शक्ति जो हम सबके अंदर है - वो आती है।

    हमें बस उसे याद करना है।

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