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अवनी लेखरा: पहली भारतीय महिला जिन्होंने जीते पैरालंपिक्स में दो स्वर्ण पदक

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अवनी लेखरा: पहली भारतीय महिला जिन्होंने जीते पैरालंपिक्स में दो स्वर्ण पदक

अवनी लेखरा: पहली भारतीय महिला जिन्होंने जीते पैरालंपिक्स में दो स्वर्ण पदक

परिचय

अवनी लेखरा ने पूरे देश का गर्व बढ़ाते हुए इतिहास रचा है। उन्होंने पैरालंपिक्स में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। अवनी ने सबसे पहले टोक्यो गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था और अब उन्होंने पैरिस पैरालंपिक्स में महिला 10 मीटर एयर राइफल फाइनल (SH1) श्रेणी में सुवर्ण पदक जीता है। यह उपलब्धि उनके अथक परिश्रम और अडिग संकल्प का प्रमाण है।

पैरिस पैरालंपिक्स में प्रदर्शन

अवनी लेखरा ने पैरिस पैरालंपिक्स में अपनी प्रतिभा का जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने महिला 10 मीटर एयर राइफल फाइनल (SH1) श्रेणी में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उन्होंने क्वालिफिकेशन राउंड में 625.8 अंक हासिल किए, जबकि उनके प्रमुख प्रतिद्वंदी इरीना शचेतनिक ने 627.5 अंक प्राप्त करके एक नया पैरालंपिक क्वालिफिकेशन रिकॉर्ड बनाया। लेकिन निर्णायक फाइनल राउंड में, अवनी ने अपनी सटीकता और आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन करते हुए 10.5 अंक के साथ कुल 249.7 अंक अर्जित कर नए पैरालंपिक रिकॉर्ड को निर्धारित किया।

मोनिका अग्रवाल, जो कि एक और भारतीय प्रतियोगी और दो बार की वर्ल्ड कप स्वर्ण पदक विजेता हैं, ने कांस्य पदक जीता। हालांकि, अंतिम एलिमिनेशन राउंड में उनके अंतिम शॉट का अंक 10 था, जिससे उनकी उच्च रैंक हासिल करने की संभावना कम हो गई।

अवनी की यात्रा

अवनी लेखरा का सफर बहुत प्रेरणादायक है। वर्ष 2012 में एक कार दुर्घटना के कारण उनकी कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। इसके बाद उनके पिता प्रवीण लेखरा के समर्थन से उनका जीवन नया मोड़ लिया। 2015 में उन्होंने जयपुर के जगतपुरा शूटिंग रेंज में शूटिंग के प्रति अपनी रुचि विकसित की और इसमें अपनी करियर की शुरुआत की।

ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की आत्मकथा से प्रेरित होकर अवनी ने चौड़ा शेखर और मेंटर सुमाशीर के तहत अत्यंत कठिन मेहनत की। उनकी मेहनत और संघर्ष ने उन्हें 2017 में बैंकॉक में वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट वर्ल्ड कप में कांस्य पदक दिलाया।

SH1 श्रेणी में प्रतिस्पर्धा

SH1 श्रेणी में वे एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनके हाथ, निचला धड़ या पैर पर स्थाई विकलांगता होती है। कुछ एथलीट इसमें बिना किसी अंग के भी हिस्सा लेते हैं। इस श्रेणी में अवनी का प्रदर्शन अत्यंत प्रशंसनीय रहा है।

अवनी की प्रेरणा

अवनी लेखरा की सफलता की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उनके संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि मजबूत इच्छाशक्ति और समर्पण से किसी भी चुनौती को जीता जा सकता है। उनकी जीवन कथा और उपलब्धि उन सबके लिए प्रेरक है जो अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

अवनी लेखरा ने केवल भारत को गर्वित किया है, बल्कि उन्होंने यह भी साबित किया है कि कोई भी व्यक्ति अपनी शारीरिक सीमाओं को पार कर सकता है और महानता हासिल कर सकता है। उनकी इस ऐतिहासिक विजय के लिए उन्हें हार्दिक बधाई!

नेहा मिश्रा

नेहा मिश्रा

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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