जब सन्दीप सिंह, मुख्य शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ने नई RTE प्रवेश प्रक्रिया सुधारउत्तर प्रदेश का अनावरण किया, तो यह सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य की दिशा में एक बड़ी छलांग थी। यह कदम तब आया जब कई गरीब परिवारों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (यogi adityanath) के पास सीधे दख़ल के बाद ही RTE सीटें मिल पाती थीं, और दस्तावेज़ जालसाज़ी की खबरें लगातार सामने आती थीं। नई योजना के तहत आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन, एडहार‑आधारित, और जिला‑स्तर की निगरानी के साथ चलता है — जिससे धोखा पकड़े जाने की संभावना बहुत कम हो जाएगी।
पृष्ठभूमि और आवश्यकता
पहले RTE (Right to Education) के तहत निजी स्कूलों में 25 % सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित थीं, लेकिन प्रक्रिया में कई खामियां थीं। 2024‑25 शैक्षणिक सत्र में केवल 600 से कम बच्चे कुछ जिलों – जैसे बहराज़, चितरकूट, महोबा, कान्हाल, श्रावस्ती – में ही प्रवेश पा सके थे। दस्तावेज़ निर्माण में घोटाले, नकली एडहार, और व्यक्तिगत संपर्क पर निर्भरता ने बहुत गड़बड़ी पैदा की। यही कारण था कि सरकार ने पूरे सिस्टम को री‑डिज़ाइन करने का निर्णय लिया।
नए सिस्टम के मुख्य तत्व
नया पोर्टल www.rte25.upsdc.gov.in पर उपलब्ध है और इसमें निम्नलिखित बदलाव शामिल हैं:
- पूर्ण ऑनलाइन आवेदन – माता‑पिता एवं बच्चे दोनों का एड़हार अनिवार्य।
- जिला‑स्तरीय कार्यान्वयन एवं निगरानी समिति, अध्यक्षता जिला magistrate कर रहे हैं, जिसमें 12 से अधिक अधिकारी शामिल।
- विवाद समाधान समिति, अध्यक्ष मुख्य विकास अधिकारी (CDO) और चार सदस्यीय टीम।
- प्रत्येक निजी स्कूल को उपलब्ध सीटों की पूरी जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी।
- आय सीमा ₹1 लाख तक, तथा अनुसूचित जाति‑जाती, भेद्य वर्ग, अनाथ, दिव्यांग, एचआईवी/एड्स‑पड़ित माता‑पिता के बच्चे भी पात्र।
- आयु सीमा – 3‑6 वर्ष (पूर्व‑प्राथमिक) और 6‑7 वर्ष (कक्षा 1)।
- सरकार पूरी ट्यूशन फीस का वहन करेगी और हर परिवार को वार्षिक ₹5,000 uniform व किताबों के लिए ट्रांसफ़र करेगी।
पारदर्शिता और निगरानी व्यवस्था
नयी प्रणाली में प्रत्येक जिले को निजी स्कूलों के कुल 25 % सीटों की लक्ष्य आवंटन दिया गया है। अनुमोदित छात्रों की सूची सार्वजनिक रूप से प्रकाशित की जाएगी, जिससे किसी भी प्रकार की हेरफेर को रोका जा सके। साथ ही, रीयल‑टाइम डेटा एनालिटिक्स से कम आवेदन वाले जिलों की पहचान कर अतिरिक्त जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।

विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रियाएँ
सन्दीप सिंह ने कहा, "यह पहल सुनिश्चित करेगी कि कोई भी गरीब बच्चा गुणवत्ता शिक्षा से वंचित न रहे।" दूसरी ओर, कई शैक्षणिक विशेषज्ञों ने सराहना जताई, पर साथ ही यह भी चेतावनी दी कि ऑनलाइन प्रक्रिया में डिजिटल साक्षरता की कमी से कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ नहीं मिल पाएगा। जिला अधिकारी श्री राकेश सिंह (जिला प्रशासक, कान्हाल) ने भरोसा जताया कि स्थानीय NGOs के सहयोग से ग्रामीण परिवारों को पोर्टल उपयोग की ट्रेनिंग दी जाएगी।
प्रभाव एवं संभावित परिणाम
यदि सभी 75 लेखीय जिलों में लक्ष्यित 25 % सीटों का पूरा उपयोग हो जाता है, तो अनुमान है कि लगभग 2 लाख से अधिक बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिल सकती है। इससे न केवल पढ़ाई में अंतर घटेगा, बल्कि दीर्घकालिक सामाजिक‑आर्थिक असमानता में भी कमी आएगी। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए अतिरिक्त ₹5,000 की सालाना सहायता से यूनिफॉर्म व किताबों की लागत कम होगी, जो कई परिवारों के लिए बहुत बड़ी राहत है।
आगे क्या होगा?
आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए आवेदन अंतिम नवंबर‑दिसंबर 2025 में शुरू होगा। शिक्षा विभाग ने 30 दिन की तीव्र जागरूकता अभियान योजना बनायी है, जिसमें स्थानीय रेडियो, पंचायत सभाएँ, और सामाजिक नेटवर्क पर पोस्टिंग शामिल है। साथ ही, राज्य के सभी 75 जिलों में शहरी‑ग्रामीण अंतर को पाटने के लिए मोबाइल काउंसलिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे।

इतिहास में RTE का विकास
2010 में भारत सरकार ने RTE एक्ट लागू किया, जिससे सभी निजी स्कूलों को कक्षा 1 में 25 % सीटें आरक्षित करनी पड़ीं। यूपी ने 2015 में अपना पहला RTE कार्यान्वयन मॉडल शुरू किया, लेकिन कई सालों तक प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी बनी रही। 2022‑23 में डिजिटल पहल के आधार पर कई राज्यों ने ऑनलाइन पोर्टल जारी किए, पर यूपी ने अभी तक पूरी तरह से ऑनलाइन सिस्टम नहीं अपनाया था। इस बार के सुधार से यह स्पष्ट है कि राज्य अब राष्ट्रीय स्तर की श्रेष्ठ प्रथाओं को अपना रहा है।
मुख्य तथ्य
- एडहार‑आधारित ऑनलाइन आवेदन पोर्टल: www.rte25.upsdc.gov.in
- आधारभूत आय सीमा: ₹1 लाख वार्षिक
- प्रत्येक जिले के लिए 25 % लक्ष्य आवंटन
- सरकारी ट्यूशन कवरेज + वार्षिक ₹5,000 सहायता
- आवेदन अवधि: 25 नवंबर‑5 दिसंबर 2025
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कौन से बच्चे इस स्कीम के तहत आवेदन कर सकते हैं?
वार्षिक आय ₹1 लाख तक वाले परिवार, अनुसूचित जाति‑जाती, अन्य पिछड़े वर्ग, अनाथ, दिव्यांग, एचआईवी/एड्स‑पड़ित अभिभावक वाले बच्चे तथा सामाजिक‑शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चे इस योजना के पात्र हैं। आयु सीमा 3‑6 वर्ष (पूर्व‑प्राथमिक) और 6‑7 वर्ष (कक्षा 1) है।
एडहार के बिना आवेदन करना संभव है?
नहीं। नया प्रक्रिया दोनों – बच्चा और माता‑पिता – का एड़हार अनिवार्य करती है, ताकि असली पहचान सुनिश्चित हो और कागज़ी जालसाज़ी रोकी जा सके।
अगर आवेदन में तकनीकी समस्या आती है तो क्या किया जाए?
हर जिले में चार‑सदस्यीय विवाद समाधान समिति स्थापित की गई है, जिसके अध्यक्ष मुख्य विकास अधिकारी (CDO) हैं। वे तकनीकी या दस्तावेज़ी समस्याओं का तुरंत हल करेंगे।
सरकार ट्यूशन फीस के अलावा कौन‑सी सहायता देती है?
प्रत्येक पात्र परिवार को वार्षिक ₹5,000 सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफ़र किया जाएगा, जिसे यूनिफॉर्म, किताबें और अन्य शैक्षणिक आवश्यकताओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
नए सिस्टम की शुरुआत कब होगी?
आवेदन प्रक्रिया 25 नवंबर 2025 से शुरू होगी और पहली सप्ताह में बंद हो जाएगी, ताकि सभी योग्य परिवारों को समय पर अवसर मिल सके।
अक्तूबर 7, 2025 AT 20:53 अपराह्न
शिक्षा का अधिकार सिर्फ अधिकार नहीं, वह सामाजिक जिम्मेदारी है। यूपी की नई RTE व्यवस्था ने भ्रामक दस्तावेज़ीकरण को समाप्त करने का प्रयास किया है, जो सराहनीय है। लेकिन यह तभी सफल होगा जब सभी प्रभावित परिवार डिजिटल साक्षरता हासिल कर लें। यदि इससे वास्तव में गरीब बच्चों को अवसर मिलते हैं, तो यह नीति नैतिक उन्नति का प्रमाण होगी। हमें इस बदलाव को समर्थन देना चाहिए, क्योंकि यह न्याय की दिशा में कदम है।