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संन्यास: जीवन को नया मोड़ देने वाला रास्ता

क्या कभी सोचा है कि कोई इंसान पूरी तरह से संसार से अलग हो कर शांति पाता है? यही है संन्यास – एक ऐसा निर्णय जो मन, शरीर और सामाजिक बंधनों को त्याग कर आत्म-ज्ञान की खोज में लग जाता है। इस पेज पर हम सरल शब्दों में समझेंगे कि संन्यास क्या है, क्यों लोग इसे चुनते हैं और आज के समय में इसका क्या मतलब है.

संन्यास क्या है?

संन्यास का अर्थ होता है ‘त्याग’। हिन्दू धर्म की चार आश्रम प्रणाली में यह अंतिम चरण है जहाँ व्यक्ति गृहस्थ जीवन, वैरगी (वित्तीय) और गणना को पीछे छोड़ कर पूर्ण शांति के लिये आध्यात्मिक अभ्यास करता है. इस चरण में साधु-संत अक्सर एक ही वस्त्र पहनते हैं, सीमित भोजन लेते हैं और अपना ध्यान पूजा‑पाठ या योग पर लगाते हैं.

ऐसे लोग आमतौर पर मंदिर, आश्रम या घनी जंगलों में रहते हैं। उनका मुख्य काम मन की शुद्धि, प्राणायाम, ध्यान और ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करना होता है. इस जीवन शैली का मूल उद्देश्य मोक्ष – यानी जन्म‑मरण के चक्र से मुक्त होना – हासिल करना है.

आधुनिक समय में संन्यासी जीवन

आजकल भी कई लोग शहर की भागदौड़ से थक कर संन्यास को चुनते हैं। लेकिन यह अब सिर्फ पवित्र स्थल तक सीमित नहीं रहा; डिजिटल युग ने ऑनलाइन साधु संगठनों, वर्चुअल रिट्रीट और लाइव प्रवचन का रास्ता खोल दिया है. आप घर बैठे ही योग‑ध्यान क्लासेज़ ले सकते हैं या किसी आश्रम के सत्रों को देख सकते हैं.

समाचार पर्दे में आपको संन्यासी जीवन से जुड़ी ताज़ा खबरें, प्रेरक कहानियाँ और उपयोगी टिप्स मिलेंगे. उदाहरण के लिये हम अक्सर ऐसे लेख प्रकाशित करते हैं जहाँ कोई युवक नौकरी छोड़कर पहाड़ी आश्रम में बस जाता है, या महिला सत्रियों की यात्रा बताई जाती है कि कैसे उन्होंने सामाजिक बंधनों को तोड़ कर शांति पायी.

यदि आप संन्यास से जुड़ी किसी घटना या विचारधारा के बारे में पढ़ना चाहते हैं, तो इस टैग पर क्लिक करें. हर लेख में आसान भाषा में बताया गया है कि किस तरह से आप भी अपने जीवन में छोटा‑छोटा त्याग करके मानसिक संतुलन बना सकते हैं.

संन्यास का मतलब यह नहीं कि आप पूरी दुनिया को भूल जाएँ, बल्कि इसका मूल विचार यह है कि आप अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं को सीमित कर के अंदरूनी शांति पाएँ. छोटे‑छोटे कदम जैसे रोज़ सुबह पाँच मिनट ध्यान, मीठी बातों से दूर रहना या सामाजिक मीडिया का समय घटाना आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है.

हमारी टीम लगातार ऐसे लेख लिखती रहती है जो आपको इस यात्रा में मदद करेंगे – चाहे वह योगासन की सही तकनीक हो, साधु‑संतों के उद्धरण हों या संन्यासी जीवन के आर्थिक पहलुओं पर गाइड. पढ़ते रहिए और अपने मन को शांत रखने वाले उपाय अपनाइए.

संक्षेप में कहें तो, संन्यास एक ऐसी राह है जो हमें अंदर की आवाज़ सुनने का मौका देती है। इस पेज पर आप पाएँगे हर उस चीज़ की जानकारी जिसे जान कर आपका कदम आगे बढ़ेगा – चाहे वह आध्यात्मिक ज्ञान हो या दैनिक जीवन में लागू करने वाले सरल टिप्स. अब देर न करें, पढ़िए और अपने लिए सही मार्ग चुनें.

ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज विल पुकोव्स्की ने सिर की चोटों के कारण क्रिकेट से लिया संन्यास
Jonali Das 0

ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज विल पुकोव्स्की ने सिर की चोटों के कारण क्रिकेट से लिया संन्यास

ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर विल पुकोव्स्की ने 26 साल की उम्र में सिर की चोटों के कारण क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। पुकोव्स्की ने यह निर्णय मार्च 2024 में विक्टोरिया के लिए खेलते समय राइली मेरेडिथ की गेंद पर चोटिल होने के बाद लिया। यह उनकी पहली चोट नहीं थी; सिर की बार-बार आने वाली चोटों ने उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है, जिससे चिकित्सा विशेषज्ञों ने उन्हें खेल जारी न रखने की सलाह दी।

ट्रेंट बोल्ट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, T20 विश्व कप के बाद PNG के खिलाफ मैच
Jonali Das 0

ट्रेंट बोल्ट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की, T20 विश्व कप के बाद PNG के खिलाफ मैच

न्यूजीलैंड के दिग्गज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट ने T20 विश्व कप में पापुआ न्यू गिनी के खिलाफ मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। बल्ले और गेंद दोनों से निराशाजनक अभियान के बाद बोल्ट ने अपनी 13 साल की स्थायी करियर को अलविदा कहा। कप्तान केन विलियमसन ने उन्हें 'महान खिलाड़ी' के रूप में वर्णित किया।