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पूजाविधि: सही तरीका, आसान कदम

पूजा हर हिंदु दिल की धड़कन है। पर कई बार हमें नहीं पता कि कौन‑से चरण जरूरी हैं और कहाँ गलती हो जाती है। यहाँ हम सरल भाषा में बताएंगे कि घर या मंदिर में पूजा कैसे करनी चाहिए, ताकि आपका मन भी शांती पाए और रिवाज़ सही रहे।

पुजा की मुख्य विधियां

सबसे पहले साफ‑सफ़ाई ज़रूरी है। कमरे को झाड़ू से साफ करें, फिर हल्का पान या फूल रखें। अगला कदम है अग्नि प्रज्वलन – दो बत्ती या दीया जलाएँ और गंधक (अगर पास में हो) डालें। यह ऊर्जा को संतुलित करता है। अब मूर्ति या प्रतिमा के सामने पानी, दही, फल रखें; ये शुद्धिकरण का प्रतीक हैं।

आगे अर्चना आती है – धूप या दीप जलाकर भगवान को नमस्कार करें। फिर ‘ॐ’ या मनुका मंत्र दोहराएँ, इससे मन केंद्रित रहता है। अंत में प्रसाद बाँटें और पवित्र शब्दों के साथ प्रार्थना समाप्त करें। यह क्रम सभी प्रमुख हिन्दू पूजा रिवाज़ों में मिलता है।

घर में आसानी से करने के टिप्स

समय बचाने के लिए पहले से सामग्री तैयार रखें: धूप, दीपक, फूल, फल और पानी। अगर आपके पास नहीं है तो छोटे कपड़े के बर्तन में पानी भरकर रख दें – वह भी पवित्र माना जाता है। पूजा का समय सुबह 6‑7 बजे या शाम 5‑6 बजे बेहतर रहता है; इस समय ऊर्जा अधिक शुद्ध होती है।

यदि आप पहली बार कर रहे हैं, तो एक छोटी सी बांस की कड़ी (त्रिवेणी) बनाकर उसके ऊपर फूल रखें – यह सजावट भी सुंदर लगती है और रिवाज़ में वैरिध्य जोड़ती है। बच्चों को साथ लाएँ; उन्हें छोटे‑छोटे काम जैसे दीपक जलाना या फूल रखना दें, इससे उनका मन भी जुड़ जाएगा।

ध्यान रहे, पूजा का मतलब केवल बाहरी क्रिया नहीं बल्कि अंदर की शुद्धि भी है। इसलिए मन शांत रखें, तेज आवाज़ से बचें और गहरी सांसें ले कर शांति महसूस करें। जब आप दिल से प्रार्थना करेंगे, तो परिणाम भी बेहतर मिलेंगे।

एक बार नियमित रूप से यह प्रक्रिया अपनाने पर आपको अपने जीवन में बदलाव दिखेगा – तनाव कम होगा, मन हल्का रहेगा और घर का माहौल भी सकारात्मक बना रहेगा। याद रखें, छोटा सा प्रयास बड़ी शांति लाता है।

नवरात्रि 2024: जानें माँ चंद्रघंटा पूजन का विशेष महत्व और विधि
Jonali Das 0

नवरात्रि 2024: जानें माँ चंद्रघंटा पूजन का विशेष महत्व और विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन, जो 5 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा, माँ चंद्रघंटा की पूजा होती है। यह दिन माँ दुर्गा के तीसरे स्वरूप की आराधना के लिए समर्पित है। माँ चंद्रघंटा को शक्ति और शांति का प्रतीक माना जाता है। देवी के पूजन के लिए ब्रह्म मुहूर्त, अभिजित मुहूर्त और विजय मुहूर्त शुभ माने गए हैं। पूजा के दौरान विशेष भोग और सूती वस्त्र अर्पित करने का महत्व है।