इंडियन मेथियोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने 28 सितम्बर को महाराष्ट्र में लाल अलर्ट जारी किया, मुंबई‑ठाणे‑पुणे घाट में भारी बारिश, NDRF की तैनाती और फडनवलिया की बाढ़ जाँच।
इंदिया मेटिओरोलॉजिकल डिपार्टमेंट
जब हम इंदिया मेटिओरोलॉजिकल डिपार्टमेंट, भारत की राष्ट्रीय मौसम सेवा, जो मौसम डेटा एकत्रित, विश्लेषित एवं आपदा चेतावनी जारी करती है. इसे अक्सर IMD कहा जाता है, तो इसका काम सिर्फ बारिश का अनुमान लगाना नहीं, बल्कि जलवायु‑परिवर्तन की निगरानी, मौसम विज्ञान अनुसंधान और सार्वजनिक सुरक्षा भी है। इसका दायरा देश के हर कोने में स्थित मौसम‑सेंटर, रेडियोसोनि रडार और उपग्रहों के माध्यम से डेटा संग्रह को शामिल करता है।
मौसम पूर्वानुमान, दैनिक, साप्ताहिक और लंबे‑समय के लिए किए जाने वाले भविष्यवाणी मॉडल इंदिया मेटिओरोलॉजिकल डिपार्टमेंट का मुख्य प्रोडक्ट है। इस प्रक्रिया में जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, अत्यधिक तापमान और असामान्य वर्षा पैटर्न के प्रभाव को ध्यान में रखा जाता है, क्योंकि ये दो चीजें आपस में गहराई से जुड़ी हुई हैं। विभाग ने पिछले दशक में मौसम‑रडार, सैटेलाइट इमेजरी और AI‑आधारित मॉडल को अपनाया है, जिससे चेतावनी प्रणाली तेज़ और अधिक सटीक बनी है।
मुख्य सेवाएँ और उपयोगकर्ता लाभ
इंदिया मेटिओरोलॉजिकल डिपार्टमेंट की रडार प्रणाली तेज़ी से तूफान, बवंडर और भारी बारिश को ट्रैक करती है, जबकि मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल पर वास्तविक‑समय अपडेट मिलते हैं। किसान इस डेटा को फसल‑बोई योजना, जल‑संचयन और कीट‑नियंत्रण में उपयोग करते हैं। यात्रियों को मौसम‑अधिसूचनाएँ संभावित देरी और सुरक्षा जोखिमों से बचाती हैं। इसके अलावा, विभाग लगातार मौसम विज्ञान पर शोध करता है—जैसे समुद्र‑तापमान का विश्लेषण, ऊँची‑ऊँची चोटियों पर बर्फ‑पिघलाव और शहरी हीट द्वीप प्रभाव—ताकि नीति‑निर्माण में सहारा मिले।
इस टैग पेज पर आप देखेंगे कि कैसे इंदिया मेटिओरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने हाल के महीनों में निकाली गई चेतावनी, रिकॉर्ड‑तापमान और मौसमी बदलावों की रिपोर्टें सभी क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं। चाहे वह मानसून में बारिश के पैटर्न हों, या अचानक तेज़ ठंड, यहाँ दी गई लेख‑सूची में विस्तृत विश्लेषण और प्रैक्टिकल टिप्स मिलेंगे। आगे पढ़ते‑हुए आप देखेंगे कि इन अपडेट्स से दैनिक जीवन, कृषि और उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ता है, और कैसे आप इन डेटा को अपने फायदेमंद निर्णयों में बदल सकते हैं।