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भूस्खलन – क्या है, क्यों होते हैं और कैसे बचें

आपने कभी समाचार में भूस्खलन की खबर देखी होगी। यह जमीन के अचानक नीचे गिर जाने या सरकने की घटना है, जो लोगों की जिंदगी को एक पल में बदल सकती है। अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं तो इन बातों को जानना जरूरी है।

सबसे पहले समझते हैं कि भूस्खलन क्यों होते हैं। भारी बारिश, तेज़ बाढ़ या पहाड़ी क्षेत्रों में कटाव के कारण मिट्टी की स्थिरता कम हो जाती है। जब मिट्टी का वजन संतुलन खो देता है तो वह नीचे गिरती है। इसी तरह से सख्त धूप और सूखे से भी जमीन फट सकती है।

भूस्खलन के प्रमुख कारण

भारत में मानसून की भारी बारिश सबसे बड़ा ट्रिगर है। कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तरी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में अक्सर बाढ़ के बाद भूस्खलन की रिपोर्ट आती है। दूसरी ओर, खदानों या बड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स से भी जमीन कमजोर पड़ती है, जिससे अचानक गिरावट हो सकती है।

किसान द्वारा बार-बार धूप में फसल काटना और वृक्ष कटाना भी मिट्टी को अस्थिर करता है। जब जड़ें नहीं रहतीं तो बारिश का पानी सीधे मिट्टी में घुस जाता है और ढहाव पैदा होता है। यही कारण है कि पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है।

भूस्खलन से सुरक्षा उपाय

यदि आप ऐसे इलाके में रहते हैं जहाँ भूस्खलन का जोखिम ज्यादा है, तो कुछ आसान कदम उठा सकते हैं। सबसे पहले अपने घर के आसपास की ढलाई को मजबूत बनाएं—बाड़ या पत्थर की दीवारें मदद कर सकती हैं। दूसरा, जल निकासी सिस्टम ठीक रखें ताकि बारिश का पानी जल्दी बाहर निकल सके और जमा न हो।

स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी चेतावनी संदेशों पर हमेशा ध्यान दें। अगर भारी बारिश के बाद जमीन में दरार दिखे तो तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाएँ। आपातकालीन किट तैयार रखें—टॉर्च, बुनियादी दवाइयां और पानी की बोतलें रखिए।

स्मार्टफोन ऐप्स और सरकारी पोर्टल से भी रियल‑टाइम मॉनिटरिंग कर सकते हैं। कई राज्यों ने अब भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों को ऑनलाइन मानचित्र में दिखाना शुरू किया है, जिससे आप जल्दी पहचान सकते हैं कि कौन सा इलाका सुरक्षित नहीं है।

समुदाय स्तर पर भी जागरूकता बढ़ानी चाहिए। पड़ोसियों के साथ मिलकर पेड़ लगाएँ और गड्ढे भरें—ये छोटे‑छोटे कदम मिट्टी की पकड़ को मजबूत करते हैं। स्कूलों में बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा देना भविष्य में बड़े पैमाने पर भूस्खलन रोक सकता है।

अंत में, अगर कभी आप खुद या आपके जानने वाले लोगों के घर में फिसलन महसूस हों तो तुरंत स्थानीय प्रशासन या पुलिस से संपर्क करें। समय पर मदद मिलने से चोटें कम हो सकती हैं और नुकसान भी घटता है। याद रखिए—सुरक्षा हमेशा पहले आती है।

केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन: सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका
Jonali Das 0

केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन: सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका

३० जुलाई २०२४ को केरल के वायनाड जिले के मेप्पडी क्षेत्र में बड़े भूस्खलनों ने तबाही मचाई है। भय है कि सैकड़ों लोग फंस गए हैं। केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने फायरफोर्स और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की टीमों को प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया है। भारी बारिश से राहत कार्य और भी जटिल हो गए हैं।