३० जुलाई २०२४ की सुबह केरल के वायनाड जिले के मेप्पडी क्षेत्र में बड़े भूस्खलनों ने हाहाकार मचा दिया है। पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण हुए इन भूस्खलनों के कारण सैकड़ों लोग फंस गए हैं। घटना की गंभीरता को देखते हुए केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने फायरफोर्स और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमों को बचाव कार्यों में जुटा दिया है। इसके अलावा, एक अतिरिक्त एनडीआरएफ टीम वायनाड के लिए रवाना हो चुकी है। दो टीमों को कन्नूर डिफेंस सिक्योरिटी कॉर्प्स से भी बुलाया गया है, जो बचाव कार्यों में सहयोग करेंगी।
भारी बारिश से प्रभावित बचाव कार्य
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, कई इलाकों में लोग फंसे हुए हैं और लगातार हो रही भारी बारिश से बचाव कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं। प्रमुख क्षेत्रों में सड़कें कट गई हैं, जिससे राहत सामग्री और बचाव टीमों को पहुंचने में कठिनाई हो रही है। केएसडीएमए ने फेसबुक पर टीमों की तैनाती की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल की इस आपदा के मद्देनजर केंद्र सरकार से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
राज्य सरकार की तैयारी
केरल के मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि सभी सरकारी एजेंसियां सक्रिय रूप से बचाव अभियानों में हिस्सा ले रही हैं। स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है और आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं: ९६५६९३८६८९ और ८०८६०१०८३३। दो एयरफोर्स हेलीकॉप्टर, जिनमें एक Mi-17 और एक ALH शामिल हैं, सुलुर से सुबह ७:३० बजे उड़ान भरने की योजना है ताकि बचाव और राहत कार्यों में सहायता प्रदान कर सकें।
स्थानीय योगदान और राजनीति का समर्थन
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सभी यूडीएफ कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे प्रशासन की इस कठिन समय में मदद करें। स्थानीय नागरिकों और स्वयंसेवी संगठनों ने भी बढ़-चढ़ कर राहत कार्यों में हिस्सा लिया है। हर हाथ से हाथ मिलकर अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने का प्रयास हो रहा है।
बचाव कार्यों की स्थिति
मौजूदा स्थिति को देखते हुए, लगातार बारिश और भूस्खलनों की संभावना अभी भी बनी हुई है। प्रभावित क्षेत्रों में कई जगह सड़कों का संपर्क टूट गया है, जिससे राहत कार्यों में विलंब हो रहा है। एनडीआरएफ और अन्य बचाव टीमों के साथ-साथ स्थानीय लोगों और स्वयंसेवी संगठन भी राहत कार्यों में जुटे हुए हैं।
जरूरतें और प्राथमिकताएं
इन भूस्खलनों के कारण हुए व्यापक नुकसान के मद्देनजर, प्राथमिकता इस समय फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की है। इसके साथ ही, प्रभावित लोगों के लिए ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था करना भी जरूरी है। स्थानीय प्रशासन ने विभिन्न स्कूल और सामुदायिक केंद्रों में अस्थायी राहत शिविर स्थापित किए हैं।
यह दुखद घटना निश्चित ही हमें याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय त्वरित और संगठित प्रतिक्रिया कितनी महत्वपूर्ण होती है। केरल के अद्वितीय भू–स्खलन को देखते हुए, हमें अपनी तैयारियों और प्रतिक्रिया तंत्र का मूल्यांकन करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का सामना बेहतर तरीके से किया जा सके। नैशनल डिजास्टर रिस्पॉंस फोर्स, स्थानीय प्रशासन और जनता की एकता और समर्पण ने साबित किया है कि मिलजुल कर संकट से निपटना संभव है। अब आवश्यकता है कि हम इस कठिन समय में शांत रहें और बचाव कार्यों में अपनी भूमिका निभाएँ।