मेरे लेख ढूँढें
ब्लॉग

Su-57 स्टेल्थ फाइटर में ज़िर्कोन हाइपरसोनिक मिसाइल: भारत के लिए नई जियो‑स्ट्रैटेजिक ताकत

अंतरराष्ट्रीय
Su-57 स्टेल्थ फाइटर में ज़िर्कोन हाइपरसोनिक मिसाइल: भारत के लिए नई जियो‑स्ट्रैटेजिक ताकत
Jonali Das 16 टिप्पणि

रूसी तकनीक का भारत में प्रवेश: मुख्य बिंदु

रूस ने हालिया वर्षों में Su-57 स्टेल्थ फाइटर को अपने सबसे उन्नत हाइपरसोनिक हथियार, 3M22 ज़िर्कोन, के साथ जोड़ा है। मूल रूप से नौसेना‑आधारित इस स्क्रैंजेट‑प्रौद्योगिकी वाला मिसाइल अब एयरोनॉटिकल प्लेटफ़ॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे फाइटर की रेंज और लेटेंसी दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। ज़िर्कोन मैक 9 तक की गति (लगभग 9 600 km/h) हासिल करता है और 1 000 km से अधिक की पायादार रेंज रखता है। इस गति पर मौजूदा एंटी‑एयर सिस्टम को पकड़ना लगभग असंभव बन जाता है।

रूसी एयरोस्पेस फ़ोर्सेज़ के उप‑कमांडर‑इन‑चिफ़ लेफ्टीनेंट जनरल एलेक्सांद्र मैक्सिम्टसेव ने बताया कि Su-57 में अब न केवल ज़िर्कोन, बल्कि परमाणु‑सुविधायुक्त Kh‑102 क्रूज मिसाइल भी स्थापित है। ऐसी दोहरी क्षमताएँ फाइटर को निचले और ऊँचे दोनों स्तर पर स्तरीय प्रहार करने की अनुमति देती हैं। भारत इस तकनीक को अपने हवाई बेड़े में शामिल करने के लिए रूस के साथ विस्तृत वार्ता कर रहा है।

दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन पर संभावित असर

यदि भारत Su-57E, यानी निर्यात‑संस्करण, को 180 तक की संख्या में खरीद लेता है और ज़िर्कोन को भी पूरी तरह से प्राप्त कर लेता है, तो क्षेत्र में प्रहार शक्ति का समीकरण पूरी तरह बदल जाएगा। स्टेल्थ तकनीक फाइटर को रडार के चाप से बाहर रखती है, जबकि सुपरक्रूज़ क्षमता बिना आफ्टरबर्नर के उच्च गति रखती है। इस सन्दर्भ में ज़िर्कोन एक ‘भयावह हथौड़ा’ बन जाता है—रिवर्स‑एरिया में प्रवेश कर बारी‑बारी से लक्ष्य को तब तक मारता है जब तक बचाव प्रणाली प्रतिक्रिया नहीं कर पाती।

चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए ये समाचार सख्त चेतावनी हैं। ज़िर्कोन का समुद्र‑सकिंग प्रोफ़ाइल, जो समुद्री सतह के बहुत निकट उड़ता है, समुद्री लक्ष्यों—जैसे विमानवाहक पोत और प्रमुख डेस्ट्रॉयर—के लिए ख़तरे का नया स्तर पेश करता है। भारतीय वायु‑सेना इस हथियार को दूरस्थ समुद्री अड्डों या आगे की नौसैनिक बेस का निरस्त्रीकरण कर सकती है, बिना बमबारी के प्रत्यक्ष संपर्क बनाए।

सिर्फ समुद्री ही नहीं, ज़िर्कोन की तेज़ गति और लंबी दूरी का मतलब है कि भारत समय-संवेदनशील लक्ष्यों—जैसे कमांड‑कंट्रोल सेंटर, रडार स्टेशन, या अग्रिम बिंदु पर तैनात एंटी‑एयर डिफेंस—पर भी सेकेंड में प्रहार कर सकता है। इसके अलावा, यदि मिसाइल में परमाणु वार्पेट लगाया जाए तो यह रणनीतिक स्तंभ को भी बदल देगा, जिससे क्षेत्र में निरोधक शक्ति को नया रूप मिलेगा।

यह तकनीकी उन्नति पश्चिमी देशों के समानांतर भी देखी जा रही है, लेकिन वर्तमान में केवल रूस‑अमेरिका की लड़ाई में ही ज़िर्कोन जैसी हाइपरसोनिक एयरो‑ड्रॉपेड क्षमताएँ मायने रखती हैं। अमेरिका का SM‑6 या यू‑2 जैसे सिस्टम ज़िर्कोन की गति को नहीं पकड़ पाते। इसलिए भारत के लिए यह सौदा न सिर्फ सैन्य बढ़त बल्कि तकनीकी स्तर पर भी एक बड़ी छलांग बन सकता है।

सौदे की आर्थिक और लॉजिस्टिक पक्ष भी आसान नहीं है। फाइटर के जीवन‑चक्र में लगभग 500 इंजनों की आवश्यकता होगी, जिसका उत्पादन और रख‑रखाव भारतीय एयरोस्पेस उद्योग के लिये एक बड़ा अवसर है, पर साथ ही चुनौती भी। पूर्ण तकनीकी ट्रांसफ़र, स्थानीय असेंबली और निर्यात अधिकारों की मांग भारत की स्वायत्तता को बढ़ाएगी, लेकिन इसके लिए बड़ी रकम और दीर्घकालिक सप्लाई चेन की जरूरत होगी।

सारांश में, यदि भारत इस पैकेज को सुरक्षित कर लेता है, तो वह दक्षिण एशिया में कुछ ही देशों में से एक होगा जिसके पास हाइपरसोनिक एअरलॉन्च सिस्टम कार्यशील रूप में होगा। यह न केवल निरोधक क्षमता को सुदृढ़ करेगा, बल्कि क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भी नई दिशा देगा। रणनीतिक विचारधारा के लिहाज़ से, यह कदम भारत को तकनीकी महत्त्व के साथ साथ भू‑राजनीतिक महत्त्व भी प्रदान करेगा, जिससे भविष्य में किसी भी संभावित संघर्ष में प्रस्तावित प्रतिशोधी शक्ति की एक स्पष्ट रेखा स्थापित होगी।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

नवीनतम पोस्ट
नोवाक जोकोविच ने चौथे दौर में बनाई जगह: एक असाधारण वापसी

नोवाक जोकोविच ने चौथे दौर में बनाई जगह: एक असाधारण वापसी

सात बार के विंबलडन चैंपियन नोवाक जोकोविच ने ऑस्ट्रेलिया के एलेक्सी पोपिरिन को हराकर चौथे दौर में प्रवेश किया। धीमी शुरुआत के बावजूद, जोकोविच ने चार सेटों में मुकाबला जीता। अब उनका सामना डेनमार्क के होल्गर रूने से होगा।

मारुति सुज़ुकी डिजायर ग्लोबल NCAP क्रैश टेस्ट में हासिल किए 5 स्टार

मारुति सुज़ुकी डिजायर ग्लोबल NCAP क्रैश टेस्ट में हासिल किए 5 स्टार

मारुति सुज़ुकी डिजायर ने ग्लोबल NCAP क्रैश टेस्ट में 5 स्टार सुरक्षा रेटिंग हासिल की है। यह मारुति का पहला मॉडल है जिसने यह उपलब्धि हासिल की। डिजायर ने वयस्क यात्रियों के लिए 34 में से 31.24 अंक प्राप्त किए हैं, जबकि बच्चा यात्रियों की सुरक्षा के लिए इसे 4 स्टार मिले। यह नई सुरक्षा मानकों के साथ अन्य सुरक्षा सुविधाएं जैसे छह एयरबैग और ईएससी के साथ आती है।

टिप्पणि (16)
  • Arun Kumar
    Arun Kumar

    सितंबर 26, 2025 AT 17:56 अपराह्न

    ये ज़िर्कोन तो बस एक मिसाइल नहीं, एक भू-राजनीतिक बम है। जब तक हम इसे अपने हवाई बेड़े में डाल लेंगे, तब तक पाकिस्तान के रडार ऑपरेटर अपनी चाय पीते रहेंगे। 😎

  • Aayush Bhardwaj
    Aayush Bhardwaj

    सितंबर 26, 2025 AT 19:45 अपराह्न

    अरे भाई, ये सब तो बस धोखा है। रूस ने अभी तक एक भी Su-57 को अपनी सेना में पूरी तरह से लाइव नहीं किया। हम यहां फ़िल्म बना रहे हैं।

  • Deepak Vishwkarma
    Deepak Vishwkarma

    सितंबर 27, 2025 AT 10:55 पूर्वाह्न

    अगर हम इसे नहीं खरीदेंगे तो क्या करेंगे? चीन के J-20 पर बैठे हाइपरसोनिक मिसाइल्स देखकर आंखें बंद कर लेंगे? हमारी शक्ति का नाम ही भारत है, न कि बातें करना।

  • Anurag goswami
    Anurag goswami

    सितंबर 28, 2025 AT 20:17 अपराह्न

    इसका एक बड़ा पहलू ये है कि रूस हमें पूरी तकनीकी ट्रांसफर देगा या नहीं? अगर सिर्फ असेंबली तक ही सीमित है, तो हम फिर से निर्भर बन जाएंगे। ये सिर्फ खरीदारी नहीं, एक रणनीतिक निर्णय है।

  • Saksham Singh
    Saksham Singh

    सितंबर 30, 2025 AT 18:43 अपराह्न

    अरे यार, इतना बड़ा ड्रामा क्यों? ज़िर्कोन की गति मैक 9 है, तो फिर भी एक गलत लक्ष्य पकड़ लेता है तो उसका एक बार निकलना ही बचाव है। और इंजन? 500 इंजन? भारत में एक बार ब्रेक लग जाए तो दो हफ्ते लग जाते हैं। ये सब फैंटेसी है।

  • Ashish Bajwal
    Ashish Bajwal

    अक्तूबर 1, 2025 AT 23:22 अपराह्न

    मैं तो बस यही कहूंगा... अगर हम इसे ले लेंगे तो बहुत बढ़िया होगा... लेकिन... क्या हम इसे संभाल पाएंगे? क्या हमारे लोग इसका रखरखाव कर पाएंगे? मैं डर रहा हूं... 😅

  • Biju k
    Biju k

    अक्तूबर 2, 2025 AT 14:19 अपराह्न

    भाईयों, ये सिर्फ हथियार नहीं, ये हमारे भविष्य का आधार है! 🌟 हर बच्चा जो आज ये पोस्ट पढ़ रहा है, वो कल इसी तकनीक को बनाएगा! जय हिंद! 🇮🇳

  • Akshay Gulhane
    Akshay Gulhane

    अक्तूबर 4, 2025 AT 04:34 पूर्वाह्न

    सवाल ये है कि क्या हम इस तकनीक के साथ शांति की नीति बना पाएंगे? या फिर इसे डर के लिए इस्तेमाल करेंगे? शक्ति का उपयोग ज्ञान से होना चाहिए, न कि गुस्से से।

  • Deepanker Choubey
    Deepanker Choubey

    अक्तूबर 4, 2025 AT 19:12 अपराह्न

    मैं तो बस ये कहूंगा... अगर हम इसे ले लेंगे तो दुनिया हमें अलग तरह से देखेगी 😎 और भारत के लिए ये सिर्फ एक फाइटर नहीं... ये हमारी आत्मविश्वास की नई पीढ़ी है 💪🇮🇳

  • Roy Brock
    Roy Brock

    अक्तूबर 6, 2025 AT 15:21 अपराह्न

    क्या आपने कभी सोचा है कि यह तकनीक जब अन्य देशों के हाथ लग जाएगी, तो क्या होगा? यह एक ऐसा खतरा है जिसकी गहराई आप नहीं समझ सकते। इसके पीछे एक अनंत शृंखला है-जिसका अंत नहीं है।

  • Prashant Kumar
    Prashant Kumar

    अक्तूबर 7, 2025 AT 11:01 पूर्वाह्न

    क्या आप जानते हैं कि ज़िर्कोन का असली नाम 3M22 है? और ये एयर-लॉन्चेड वर्जन अभी तक टेस्टेड नहीं हुआ। रूस के बयान बहुत बड़े होते हैं, लेकिन रियलिटी अक्सर बहुत छोटी।

  • Prince Nuel
    Prince Nuel

    अक्तूबर 7, 2025 AT 23:24 अपराह्न

    अरे यार, ये सब तो बस एक बाजार बनाने की कोशिश है। रूस को पैसे चाहिए, हमें गर्व चाहिए। दोनों का फायदा। लेकिन असली सवाल ये है-क्या हमारी सेना इसे इस्तेमाल करने के लिए तैयार है?

  • Sunayana Pattnaik
    Sunayana Pattnaik

    अक्तूबर 8, 2025 AT 00:28 पूर्वाह्न

    क्या आपने इस बारे में सोचा कि इस तकनीक के साथ हमारी सांस्कृतिक पहचान क्या होगी? एक ऐसा शक्तिशाली हथियार जो देश को विश्व के सामने लाएगा-लेकिन क्या हम इसके लिए नैतिक रूप से तैयार हैं?

  • akarsh chauhan
    akarsh chauhan

    अक्तूबर 8, 2025 AT 18:54 अपराह्न

    अगर हम इसे ले लेंगे, तो हमारे युवाओं के लिए नए अवसर खुल जाएंगे। इंजीनियरिंग, रिसर्च, टेक्नोलॉजी-ये सब अभी शुरू हो रहा है। हम इसे अपना बना सकते हैं। बस थोड़ा विश्वास रखो।

  • soumendu roy
    soumendu roy

    अक्तूबर 9, 2025 AT 20:22 अपराह्न

    यह तकनीकी उपलब्धि वास्तविक रूप से भारतीय रक्षा क्षमता के विकास का सूचक है। लेकिन इसके अलावा, इसके राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, जिसके लिए एक व्यवस्थित रणनीति की आवश्यकता है।

  • Kiran Ali
    Kiran Ali

    अक्तूबर 11, 2025 AT 13:41 अपराह्न

    इस तरह की तकनीक के साथ भारत का भविष्य नहीं, बल्कि उसका अंत होगा। ये एक बहुत बड़ा गलत कदम है। अगर हम इसे ले लेंगे तो दुनिया हमें एक युद्ध के लिए तैयार देश के रूप में देखेगी। और फिर क्या होगा?

एक टिप्पणी लिखें