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फ्रांस में तंग संसद की स्थिति, वामपंथी गठबंधन ने छेड़ा सत्ता संघर्ष

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फ्रांस में तंग संसद की स्थिति, वामपंथी गठबंधन ने छेड़ा सत्ता संघर्ष
Jonali Das 8 टिप्पणि

फ्रांस के संसदीय चुनाव के नतीजे: एक नजर

फ्रांस में हाल ही में हुए संसदीय चुनावों के परिणाम राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो रहे हैं। वामपंथी गठबंधन 'न्यू पॉपुलर फ्रंट' ने सबसे अधिक सीटें जीतकर राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। इस गठबंधन में सोशलिस्ट पार्टी, फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी, एकोलॉजिस्ट्स और फ्रांस अनबाउड शामिल हैं। कुल 184-198 सीटें जीतने की संभावना जताई गई है।

राष्ट्रपति मैक्रों का प्रहार

राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के केंद्र-संबंधी गठबंधन के लिए ये चुनाव परिणाम एक बड़ा झटका माने जा रहे हैं। उन्हें केवल 160-169 सीटें मिलने की उम्मीद है। चुनाव की घोषणा मैक्रों ने अपनी राजनीतिक प्रभुत्व को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से की थी, लेकिन उन्हें महंगाई और खराब सार्वजनिक सेवाओं के चलते जनता से सजा मिल गई।

फर-राइट नेशनल रैली की स्थिति

फर-राइट नेशनल रैली की स्थिति

फर-राइट नेशनल रैली और उसके सहयोगी दलों ने 135-143 सीटें जीती हैं। हालांकि, उन्हें भी बहुमत नहीं मिल पाया। नेशनल रैली की नेता मरीन ले पेन ने कहां कि इस परिणाम ने भविष्य के लिए बीज बो दिए हैं।

प्रतिक्रिया और वामपंथी बलों की खुशियां

इन नतीजों के बाद पेरिस और अन्य शहरों में हिंसा भड़क उठी। वामपंथी समर्थकों ने सबसे अधिक सीटें जीतने का जश्न मनाया। इस गठबंधन ने मैक्रों की पेंशन सुधार योजनाओं को खत्म करने और “राइट टू रिटायर” अधिकार को 60 वर्ष की उम्र में स्थापित करने का वादा किया है।

प्रधानमंत्री का इस्तीफा

प्रधानमंत्री का इस्तीफा

चुनाव के परिणाम आने के बाद, प्रधानमंत्री गेब्रियल अटाल ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की, जो सोमवार से प्रभावी होगा।

क्या आगे?

चुनावी नतीजों ने फ्रांस को बिना किसी स्पष्ट बहुमत वाली संसद के सामने लाकर खड़ा कर दिया है। अब सवाल ये उठता है कि अगली सरकार किस प्रकार काम करेगी। हार्ड-लेफ्ट नेता जीन-ल्यूक मेलनचोन ने राष्ट्रपति मैक्रों से वामपंथी गठबंधन 'न्यू पॉपुलर फ्रंट' को सरकार चलाने के लिए आमंत्रित करने का आग्रह किया है।

वर्तमान स्थिति फ्रांसीसी राजनीति में अनिश्चितता के दौर को दर्शाती है। वामपंथी गठबंधन ने अपने नीतिगत वादों और सुधारों के माध्यम से जनता को अपील की है। दूसरी ओर, मैक्रों की पार्टी को मिलने वाली सजा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि फ्रांस की जनता बढ़ती महंगाई और खराब सेवाओं से नाखुश है।

राष्ट्रपति मैक्रों के सामने अब चुनौती है कि वे किस तरह इस असंतुलित स्थिति से निबटेंगे और क्या वे वामपंथी गठबंधन के साथ कुछ साझा योजनाओं पर काम करेंगे या अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये पूरी स्थिति फ्रांसीसी लोकतंत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगी या राजनीतिक अस्थिरता का कारण बनेगी। यही वक्त बताएगा।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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टिप्पणि (8)
  • Arun Kumar
    Arun Kumar

    जुलाई 10, 2024 AT 05:01 पूर्वाह्न

    ये फ्रांस वालों को तो अब अपनी सरकार बनाने में भी दिक्कत हो रही है, हम तो अभी तक एक दल के नेता को चुनने में झूठ बोलकर भी लड़ रहे हैं। ये जो वामपंथी गठबंधन है, उनका वादा है 60 साल में रिटायरमेंट, तो हमारे यहां तो 55 साल में भी नहीं मिलता, अभी तक 70 के बाद भी काम कर रहे हैं।

  • Manu Tapora
    Manu Tapora

    जुलाई 11, 2024 AT 04:34 पूर्वाह्न

    फ्रांस में बिना बहुमत के सरकार चलाना तो अब नया ट्रेंड बन गया है। पिछले 10 साल में यूरोप के 7 देशों में ऐसा ही हुआ है, लेकिन फ्रांस में तो ये बार-बार हो रहा है। राष्ट्रपति की ताकत कमजोर हो रही है, और संसद की शक्ति बढ़ रही है। ये लोकतंत्र का विकास है या अस्थिरता का संकेत? अगर ये गठबंधन अपने वादों को पूरा करने में लग जाए, तो ये दुनिया के लिए एक नया मॉडल बन सकता है।

  • venkatesh nagarajan
    venkatesh nagarajan

    जुलाई 12, 2024 AT 20:13 अपराह्न

    इंसान जब तक अपनी स्वतंत्रता को बरकरार रखेगा, तब तक वह अपनी अस्तित्व की परिभाषा बदलता रहेगा। ये संसद का असंतुलन, बस एक दर्पण है जो हमें दिखा रहा है कि हम अपने विचारों को अभी तक एकत्रित नहीं कर पाए। वामपंथी गठबंधन का आह्वान तो एक अभिव्यक्ति है, लेकिन इसका उत्तर क्या होगा? क्या ये बदलाव वास्तविक है, या फिर ये भी एक नए अंधेरे की शुरुआत है?

  • Drishti Sikdar
    Drishti Sikdar

    जुलाई 14, 2024 AT 05:17 पूर्वाह्न

    क्या आपने देखा कि मैक्रों के बाद अटाल ने इस्तीफा दे दिया? ये तो बिल्कुल भारत की तरह है, जब कोई नेता असफल होता है तो वो बस चला जाता है। लेकिन फ्रांस में तो लोग अभी भी जश्न मना रहे हैं, जबकि हमारे यहां तो अगर कोई सरकार बदले तो लोग घर पर बैठकर टीवी देखते हैं।

  • indra group
    indra group

    जुलाई 15, 2024 AT 12:31 अपराह्न

    अरे भाई, ये वामपंथी गठबंधन तो बस एक झूठा फुलबाग है! उनके वादे सब बिल्कुल बेकार हैं। 60 साल में रिटायरमेंट? तो फिर जो लोग 40 साल के हैं वो क्या करेंगे? इन्होंने तो फ्रांस को बर्बाद करने का रास्ता चुन लिया है। जब हमारे देश में आएंगे तो देखना, वो भी अपनी बेकारी का नाम लोकतंत्र रख देंगे।

  • sugandha chejara
    sugandha chejara

    जुलाई 16, 2024 AT 04:48 पूर्वाह्न

    सुनो, ये जो वामपंथी गठबंधन है, उनके पास वादे हैं, और लोगों को उन पर भरोसा है। ये बहुत अच्छी बात है। अगर वो सरकार बन जाए, तो शायद वो महंगाई पर काबू पाएं। ये तो हमारे यहां भी चाहिए - जब लोग बीमार हों, तो दवा महंगी न हो, जब बुजुर्ग हों, तो उन्हें आराम मिले। ये बस एक शुरुआत है, और इसका समर्थन करना चाहिए।

  • DHARAMPREET SINGH
    DHARAMPREET SINGH

    जुलाई 16, 2024 AT 19:59 अपराह्न

    ये सब बकवास है। फ्रांस में अब लोगों को बस एक बड़ा विकल्प चाहिए - ना तो लिबरल्स, ना तो फैशिस्ट्स। ये वामपंथी गठबंधन तो बस एक राजनीतिक वाहन है, जिसमें सोशलिस्ट, कम्युनिस्ट, और एकोलॉजिस्ट्स ने अपने अलग-अलग एजेंडे को एक साथ जोड़ दिया। ये गठबंधन अस्थायी है, और जब वो एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने लगेंगे, तो फिर से अटक जाएगा। ये तो एक गलत गणित है - 1+1+1=1? नहीं भाई, ये तो 1+1+1=3 होता है।

  • gauri pallavi
    gauri pallavi

    जुलाई 17, 2024 AT 10:31 पूर्वाह्न

    मैक्रों को लोगों ने फेंक दिया, लेकिन अब वामपंथी गठबंधन को भी फेंक देंगे। ये सब बस एक नाटक है - जब तक ये लोग अपने बारे में नहीं सोचते, तब तक फ्रांस का भाग्य बदलेगा नहीं। मैं तो बस इतना कहूंगा - अगर तुम्हारी रोटी गरम नहीं है, तो तुम्हारी सरकार का रंग कुछ भी हो सकता है।

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