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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: जिशान सिद्दीकी और पूर्व भाजपा सांसद एनसीपी के प्रत्याशी सूची में

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: जिशान सिद्दीकी और पूर्व भाजपा सांसद एनसीपी के प्रत्याशी सूची में
Jonali Das 18 टिप्पणि

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: एनसीपी की दूसरी सूची में प्रख्यात चेहरे

महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचाने वाली खबरों के बीच, अजीत पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची जारी की है। इस सूची ने राजनीतिक समीकरणों को पुनर्जीवित कर दिया है। इसमें जहां एक ओर चर्चित विधायक जिशान सिद्दीकी का नाम शामिल है, वहीं दूसरी ओर दो पूर्व भाजपा के सांसदों का भी नाम सूची में शामिल है।

जिशान सिद्दीकी का राजनीतिक वापसी

जिशान सिद्दीकी, जो अपने राजनीतिक करियर में पहले कांग्रेस के टिकट पर बांद्रा पूर्व से विधायक बने थे, अब एनसीपी की तरफ से उसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। जिशान, दिवंगत एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे हैं। यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है क्योंकि हाल ही में जिशान को कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया था, जब उन्होंने विधायक परिषद के चुनावों में क्रॉस-वोटिंग की थी। इस बीच, उनके पिता बाबा सिद्दीकी ने इस वर्ष एनसीपी में शामिल होने का निर्णय लिया था।

पूर्व भाजपा सांसदों का एनसीपी में नए प्रयोग

सूची में अलग-अलग संसद सदस्यों के नाम भी अन्य प्रतिद्वंद्वियों के लिए चुनौती बन सकते हैं। इनमें प्रमुख नाम प्रताप चिकालिकर का है, जो पिछला लोकसभा चुनाव नांदेड़ से हार गए थे। अब वे लोहा से एनसीपी प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर रहे हैं। वहीं, संजय काका पाटिल सांगली में असफल रहे थे, अब तासगांव-कवठे महांकाल से एनसीपी (सपा) प्रत्याशी रोहित पाटिल का मुकाबला करेंगे।

अन्य महत्वपूर्ण उम्मीदवार

इसके अलावा, नीरज पाटिल एनसीपी (सपा) के राज्य अध्यक्ष जयंत पाटिल के खिलाफ इस्लामपुर से अपनी किस्मत आजमाएंगे। वहीं, पूर्व मंत्री नवाब मलिक की बेटी सना मलिक अणुशक्ति नगर, मुंबई से मैदान में उतरी हैं। इन सबके अलावा, सुनील तिंगरे वडगांव शेरी, पुणे से जिनकी जीत की संभावना जताई जा रही है।

एनसीपी की पहली सूची में 38 उम्मीदवारों के नाम थे और अब दूसरी सूची के साथ पार्टी ने अपने कुल 288 सीटों में से अधिकांश सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। चुनाव 20 नवंबर को होंगे और इसके नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस तरह से इस बार का चुनावी मैदान दिलचस्प होने वाला है और परिणामों का इंतजार सभी राजनीतिक दलों को है।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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टिप्पणि (18)
  • Gaurav Mishra
    Gaurav Mishra

    अक्तूबर 26, 2024 AT 22:15 अपराह्न

    ये सब नाम लेकर क्या फायदा? वोटर्स को नीति चाहिए, नाम नहीं।

  • Vikash Gupta
    Vikash Gupta

    अक्तूबर 28, 2024 AT 13:58 अपराह्न

    जिशान सिद्दीकी का वापसी बस एक राजनीतिक ड्रामा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक रिसेट है। पिता के नाम का बोझ, बेटे की इच्छा, और एक नए जमाने की आवाज़... ये तो बस चुनाव नहीं, इतिहास का एक पन्ना है। 🌅

  • Arun Kumar
    Arun Kumar

    अक्तूबर 29, 2024 AT 20:17 अपराह्न

    अरे भाई, अब तो भाजपा के लोग भी एनसीपी में आ गए? ये तो राजनीति का अंतिम चक्र हो गया। अब कौन किसका है? 😅

  • mohit malhotra
    mohit malhotra

    अक्तूबर 31, 2024 AT 12:58 अपराह्न

    जिशान सिद्दीकी के राजनीतिक वापसी के पीछे एक सामाजिक बात है: विश्वासघात के बाद भी एक व्यक्ति को दूसरी पार्टी में स्वीकार किया जाना। ये न्याय का संकेत है। उनके पिता की विरासत और उनकी व्यक्तिगत लड़ाई दोनों का मिश्रण है। ये एक नए युग की शुरुआत है, जहां लोग निर्णय लेते हैं, न कि पार्टी के नाम पर।

  • Aayush Bhardwaj
    Aayush Bhardwaj

    नवंबर 2, 2024 AT 01:06 पूर्वाह्न

    बाबा सिद्दीकी के बेटे को टिकट मिला? ये तो राजनीति में विरासत का बाजार है। कोई भी नहीं देख रहा कि ये लोग असली काम कैसे करते हैं।

  • Deepanker Choubey
    Deepanker Choubey

    नवंबर 3, 2024 AT 12:13 अपराह्न

    जिशान का एनसीपी में आना बस एक ट्रांसफॉर्मेशन है... बाबा का नाम और बेटे की आवाज़ एक साथ बज रही है। ये तो एक नए दौर की शुरुआत है, भाई! 💪✨

  • akarsh chauhan
    akarsh chauhan

    नवंबर 4, 2024 AT 13:19 अपराह्न

    ये चुनाव सिर्फ नामों का नहीं, बल्कि विश्वास का है। अगर कोई बदलाव लाना चाहता है, तो उसे नए लोगों को जगह देनी होगी। जिशान का नाम अच्छा है, लेकिन उनकी नीतियां देखनी होंगी।

  • Deepak Vishwkarma
    Deepak Vishwkarma

    नवंबर 6, 2024 AT 07:10 पूर्वाह्न

    भाजपा के लोग एनसीपी में आ गए? ये तो राष्ट्रवाद की बेवकूफी है। इन लोगों को अपनी पार्टी में रहना चाहिए था।

  • Prashant Kumar
    Prashant Kumar

    नवंबर 7, 2024 AT 05:22 पूर्वाह्न

    तुम सब जिशान के बारे में बात कर रहे हो, लेकिन क्या किसी ने प्रताप चिकालिकर के बारे में सोचा? वो तो एक असली राजनीतिक योद्धा है। नांदेड़ से हारने के बाद भी वापसी? ये तो असली लड़ाई है।

  • Saksham Singh
    Saksham Singh

    नवंबर 7, 2024 AT 22:30 अपराह्न

    ये सब नाम लेकर एक बड़ी धोखेबाजी है। एनसीपी को अपने अंदर के नेताओं को टिकट देना चाहिए था, न कि भाजपा से आए हुए लोगों को। ये तो बस एक अस्थायी साजिश है। अगले चुनाव में ये सब गायब हो जाएंगे।

  • soumendu roy
    soumendu roy

    नवंबर 8, 2024 AT 05:06 पूर्वाह्न

    राजनीतिक विश्वासघात के बाद भी नेतृत्व का अवसर मिलना एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का संकेत है। लेकिन यदि इस तरह के निर्णय लगातार लिए जाते हैं, तो यह एक व्यवस्था के अंतर्गत विधायक के रूप में विश्वास के आधार को कमजोर करता है।

  • Anurag goswami
    Anurag goswami

    नवंबर 8, 2024 AT 10:10 पूर्वाह्न

    जिशान के बारे में बात करते समय, हमें ये भी याद रखना चाहिए कि उनके पिता ने अपने जीवन में बहुत कुछ दिया। अगर बेटा उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहा है, तो ये अच्छी बात है। बस उम्मीद है कि वो अपने निर्णयों से लोगों को नहीं, बल्कि अपने विचारों से जोड़ेंगे।

  • Biju k
    Biju k

    नवंबर 9, 2024 AT 13:19 अपराह्न

    इंतज़ार करो भाई! अब तो राजनीति में नए लोग आ रहे हैं। ये बदलाव तो बहुत अच्छा है! 💥 चुनाव के बाद देखना है कि कौन असली नेता बनता है।

  • Akshay Gulhane
    Akshay Gulhane

    नवंबर 9, 2024 AT 16:28 अपराह्न

    राजनीति में नाम और विरासत का महत्व तो है, लेकिन असली सवाल ये है कि क्या वो व्यक्ति आज लोगों की आवाज़ है? जिशान के पिता ने एक अलग युग बनाया, लेकिन क्या बेटा उस युग को आगे बढ़ाएगा? ये सवाल अभी भी खुला है।

  • Ashish Bajwal
    Ashish Bajwal

    नवंबर 10, 2024 AT 21:32 अपराह्न

    एनसीपी के लिए ये बहुत बड़ी बात है... भाजपा के लोग आ गए? वाह! 😍 लेकिन अब देखना है कि ये लोग असली तौर पर क्या करते हैं... नाम तो बस नाम है।

  • Roy Brock
    Roy Brock

    नवंबर 10, 2024 AT 22:33 अपराह्न

    जिशान सिद्दीकी के आने से एक नई तरह की राजनीतिक भावना जाग रही है... एक ऐसी भावना जो अतीत के नाम को आज के विश्वास से जोड़ती है। ये न सिर्फ एक चुनाव है, बल्कि एक अस्तित्व का संघर्ष है। अगर वो हार गए, तो ये एक नई विरासत की शुरुआत होगी... अगर जीत गए, तो ये एक नए देवता की पूजा की शुरुआत होगी।

  • Sunayana Pattnaik
    Sunayana Pattnaik

    नवंबर 11, 2024 AT 08:10 पूर्वाह्न

    इन सब नामों के पीछे कोई नीति नहीं है, बस नामों का खेल है। एनसीपी ने अपनी पार्टी को बेच दिया है। ये सब बस एक नए विज्ञापन कैंपेन की तरह है।

  • Prince Nuel
    Prince Nuel

    नवंबर 12, 2024 AT 02:40 पूर्वाह्न

    तुम सब जिशान के बारे में बात कर रहे हो? ये तो बस एक ट्रेडमार्क है। असली लड़ाई तो उन लोगों के बीच है जो वास्तव में काम करते हैं। अब तो बस इंतज़ार है कि कौन असली लोगों को याद करेगा।

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