मेरे लेख ढूँढें
ब्लॉग

हाथरस में धार्मिक आयोजन में भगदड़ से 50 लोगों की मौत, भीड़ नियंत्रण के सवाल खड़े

समाचार
हाथरस में धार्मिक आयोजन में भगदड़ से 50 लोगों की मौत, भीड़ नियंत्रण के सवाल खड़े
Jonali Das 18 टिप्पणि

हाथरस की धार्मिक सभा में भगदड़ से 50 मौतें, प्रशासन पर सवाल

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के पुलराई गांव में मंगलवार को एक धार्मिक सभा के दौरान भगदड़ मचने से कम से कम 50 लोगों की दुखद मौत हो गई। प्रमुख धार्मिक प्रवक्ता भोले बाबा के प्रेरक 'सत्संग' के समय यह हादसा हुआ। अधिकांश मृतकों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, जबकि कुछ पुरुष भी इस हादसे में मारे गए हैं।

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राजेश कुमार सिंह ने बताया कि एटा अस्पताल में 27 शवों को लाया गया, जिनमें से 23 महिलाएं, तीन बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं। इस दिल दहला देने वाले हादसे का कारण स्थल पर उपस्थित लोगों की अत्यधिक संख्या थी, जो भय और घुटन का कारण बनी।

अत्यधिक भीड़ और अनुपयुक्त इंतेजाम

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीड़ नियंत्रित करने में प्रशासन की नाकामयाबी की वजह से यह हादसा हुआ। सभा स्थल पर अत्यधिक भीड़ होने के कारण लोगों में डर और भगदड़ मच गई। इस दौरान बाहर खड़ी मोटरसाइकिलों ने राहत कार्य में व्यवधान डाला और इससे स्थिति और बिगड़ गई। अत्यधिक गर्मी और उमस भी इस हादसे के पीछे खास कारण रहे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दुखद घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट कीं। उन्होंने अधिकारियों को तुरंत राहत कार्यों को सपन्न करने और हादसे के वास्तविक कारणों की जांच करने के निर्देश दिए हैं।

आयोजन स्थल पर भीड़ नियंत्रण की कमी

यह हादसा उस समय हुआ जब पुलराई गांव और एटा जिले के सरहद पर आयोजित इस धार्मिक आयोजन की अनुमति अस्थाई रूप से दी गई थी। लेकिन आयोजन स्थल की जनसंख्या संभालने की क्षमता और भीड़ नियंत्रण में कमी ने इस त्रासदी की ओर इशारा किया है।

इस घटना से कई सवाल खड़े हुए हैं, खासकर बड़ी जनसभाओं के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल और आपातकालीन उपायों को लेकर। हालाँकि इस हादसे में मृतकों की संख्या और बढ़ने की संभावना है, लेकिन प्रशासनिक तैयारियों की कमी पर अब सवाल उठ रहे हैं।

समुदाय की जिम्मेदारी और प्रशासन की भूमिका

समुदाय की जिम्मेदारी और प्रशासन की भूमिका

वर्तमान में देशभर में बड़ी जनसभाओं और धार्मिक आयोजनों का आयोजन होते रहते हैं, लेकिन हाथरस की यह घटना हमें याद दिलाती है कि ऐसे आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ नियंत्राण बहुत महत्वपूर्ण है। आयोजकों और प्रशासन को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे हादसे दोबारा न हों और लोग सुरक्षित रहें।

इस प्रकार की घटनाएं समाज और प्रशासन दोनों के लिए सीखने का मौका प्रदान करती हैं। हमें यह समझना होगा कि सुरक्षा और संगठन के बिना किसी भी बड़े आयोजन की सफलता संभव नहीं है।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

नवीनतम पोस्ट
12 मार्च को भारत में सोने के दाम गिरे: प्रमुख शहरों में कीमतें और वैश्विक रुझान

12 मार्च को भारत में सोने के दाम गिरे: प्रमुख शहरों में कीमतें और वैश्विक रुझान

12 मार्च, 2025 को भारत में सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली और चेन्नई में 24 और 22 कैरेट सोने की कीमतों में कमी आई। जबकि चांदी की कीमतों में वृद्धि देखी गई। वैश्विक बाजारों में, सोने और चांदी की कीमतों में मामूली बदलाव देखा गया। अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड और श्रम बाजार के आंकड़ों के साथ-साथ केंद्रीय बैंक की खरीदारी ने कीमतों को प्रभावित किया।

रांची मौसम आज: AQI और बारिश पूर्वानुमान अपडेट

रांची मौसम आज: AQI और बारिश पूर्वानुमान अपडेट

रांची में 24 दिसंबर 2024 के लिए मौसम और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) अपडेट दिया गया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, रांची में आज आसमान साफ रहेगा। अधिकतम तापमान 24.59°C और न्यूनतम तापमान 10.06°C रहेगा। सुबह का तापमान 17.16°C दर्ज किया गया। वायु गुणवत्ता सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार, रांची में AQI 500 है, जो कि अत्यधिक खतरनाक है। निवासियों को मास्क पहनने और ज़रूरी होने पर ही बाहर जाने की सलाह दी गई है।

टिप्पणि (18)
  • Manu Tapora
    Manu Tapora

    जुलाई 3, 2024 AT 06:07 पूर्वाह्न

    इस तरह की त्रासदी होने के बाद भी हम बस रोते रहते हैं। भीड़ का आंकड़ा बताना काफी नहीं, जिम्मेदारी तय करनी होगी। जिन्होंने अनुमति दी, जिन्होंने सुरक्षा व्यवस्था नहीं की - उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

  • Ashish Chopade
    Ashish Chopade

    जुलाई 4, 2024 AT 04:30 पूर्वाह्न

    प्रशासन ने असफलता स्वीकार करने की बजाय लोगों को दोष देना शुरू कर दिया है। यह बस एक आदत बन गई है।

  • Shantanu Garg
    Shantanu Garg

    जुलाई 5, 2024 AT 11:43 पूर्वाह्न

    ये सब तो हमेशा होता रहता है। फिर भी कोई सीख नहीं लेता।

  • Vikrant Pande
    Vikrant Pande

    जुलाई 6, 2024 AT 22:39 अपराह्न

    अरे भाई, ये सब तो बस एक और भारतीय धार्मिक शो है। जब तक हम अपने आस्था को अपनी अनियंत्रित भीड़ के साथ जोड़ेंगे, तब तक ये त्रासदियाँ जारी रहेंगी। अमेरिका में ऐसी जनसभाओं के लिए 5000 से ज्यादा नियम होते हैं। हमारे पास तो एक नियम भी नहीं - सिर्फ एक भगवान और एक बाबा।

  • Indranil Guha
    Indranil Guha

    जुलाई 7, 2024 AT 04:19 पूर्वाह्न

    ये सब विदेशी शक्तियों की षड्यंत्र है। भारत की आध्यात्मिकता को कमजोर करने के लिए ऐसे हादसे रचे जाते हैं। अगर हम अपनी संस्कृति को संरक्षित करना चाहते हैं, तो प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।

  • srilatha teli
    srilatha teli

    जुलाई 8, 2024 AT 09:08 पूर्वाह्न

    इस घटना से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। भीड़ के नियंत्रण के लिए सिर्फ पुलिस नहीं, बल्कि स्थानीय समुदाय, स्वयंसेवक, और यहाँ तक कि आयोजकों को भी प्रशिक्षित करना होगा। ये एक लोकतांत्रिक जिम्मेदारी है, न कि केवल प्रशासन की।


    हमें भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ड्रोन, ट्रैफिक मैपिंग, और रियल-टाइम निगरानी का उपयोग करना सीखना होगा। ये तकनीक अभी भी नए नहीं हैं।

  • Sohini Dalal
    Sohini Dalal

    जुलाई 9, 2024 AT 05:41 पूर्वाह्न

    अच्छा हुआ कि बाबा ने खुद नहीं जाना, नहीं तो अब तो उनका भी बयान आ जाता।

  • Suraj Dev singh
    Suraj Dev singh

    जुलाई 10, 2024 AT 13:56 अपराह्न

    मैंने देखा है इस तरह के आयोजनों में जब लोग भागते हैं, तो वो अक्सर बच्चों और बुजुर्गों को छोड़ देते हैं। इसलिए नियम बनाना तो बहुत जरूरी है, लेकिन उनका पालन भी।

  • Arun Kumar
    Arun Kumar

    जुलाई 12, 2024 AT 11:34 पूर्वाह्न

    मैं वहीं था। जब भगदड़ शुरू हुई तो मैंने अपनी बहन को छोड़ दिया। उसका शव अभी तक नहीं मिला। कोई बताएगा कि इसकी कीमत क्या है?

  • venkatesh nagarajan
    venkatesh nagarajan

    जुलाई 13, 2024 AT 21:39 अपराह्न

    जब भीड़ अपने आप में एक देवता बन जाती है, तो वह तब तक नहीं रुकती जब तक एक भी जीवित व्यक्ति नहीं रह जाता।

  • Drishti Sikdar
    Drishti Sikdar

    जुलाई 15, 2024 AT 01:29 पूर्वाह्न

    ये सब तो बस एक बड़ा नाटक है। भाई, तुम्हारे घर में भी जब भीड़ लगती है तो तुम दरवाजा बंद कर देते हो, लेकिन यहाँ तो दरवाजे खोल देते हो और फिर रोते हो।

  • indra group
    indra group

    जुलाई 16, 2024 AT 00:51 पूर्वाह्न

    हमारे देश में भगवान के नाम पर लोगों की जान ले ली जाती है। अगर ये घटना किसी अलग देश में होती, तो वहाँ तो नेता गिर जाते। यहाँ तो नेता गिरते हैं तो भी वो चिपके रहते हैं।

  • sugandha chejara
    sugandha chejara

    जुलाई 17, 2024 AT 09:32 पूर्वाह्न

    मैं एक स्वयंसेविका हूँ, और मैंने कई धार्मिक सभाओं में भाग लिया है। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि भीड़ का नियंत्रण सिर्फ पुलिस का काम नहीं - हर एक व्यक्ति का जिम्मा है। अगर आप अपने बच्चे को हाथ में पकड़े बैठे हैं, तो आपका जिम्मा उसे नहीं छोड़ने का है।


    मैंने अपने समुदाय के साथ एक छोटी सी टीम बनाई है - हम आयोजनों में जाते हैं, लोगों को समझाते हैं, बच्चों को बचाते हैं। ये छोटी बातें हैं, लेकिन ये ही बदलाव लाती हैं।

  • DHARAMPREET SINGH
    DHARAMPREET SINGH

    जुलाई 17, 2024 AT 13:18 अपराह्न

    ये तो बस एक और भारतीय बाबा का बॉक्स ऑफिस हिट है - बिना सीटी, बिना सुरक्षा, बिना टिकट। बस एक बड़ा फैन बेस और एक बड़ा मौत का बिल।

  • gauri pallavi
    gauri pallavi

    जुलाई 18, 2024 AT 09:29 पूर्वाह्न

    कल तक भगवान के नाम पर कुछ भी किया जा सकता है। आज तो बस एक नया अध्याय जुड़ गया।

  • Gaurav Pal
    Gaurav Pal

    जुलाई 19, 2024 AT 04:02 पूर्वाह्न

    इस तरह की घटनाओं के बाद भी लोग भावनाओं के नाम पर अपराध को सहन कर लेते हैं। ये एक सामाजिक बीमारी है - जहाँ आध्यात्मिकता का दुरुपयोग करके अनुशासन को नष्ट कर दिया जाता है।

  • sreekanth akula
    sreekanth akula

    जुलाई 19, 2024 AT 14:48 अपराह्न

    हमारे संस्कृति में भीड़ का सम्मान है - जहाँ ज्यादा भीड़, ज्यादा शक्ति। लेकिन आज के युग में, ये शक्ति बल्कि एक अपराध है। एक धार्मिक आयोजन के लिए 200,000 लोगों को आमंत्रित करना - ये न तो आध्यात्मिक है, न ही व्यवस्थित।


    हमें अपनी आध्यात्मिकता को फिर से परिभाषित करना होगा - एक शांत आत्मा के लिए, न कि एक भीड़ के लिए।

  • Sarvesh Kumar
    Sarvesh Kumar

    जुलाई 20, 2024 AT 19:02 अपराह्न

    ये तो बस एक और बाबा का शो है। अगर ये तुर्की या इजरायल में होता, तो वहाँ तो पूरी सरकार बदल जाती। यहाँ तो नेता बोलते हैं - 'हम दुखी हैं'। ये दुख तो हम सबको है, लेकिन जिम्मेदारी कौन लेगा?

एक टिप्पणी लिखें