राधिका गुप्ता ने सोशल मीडिया पर भारत लौटने की अपील की
एडेलवाइस म्यूचुअल फंड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी राधिका गुप्ता ने अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर एक पोस्ट में भारतीय छात्रों व पेशेवरों को "आओ, अब लौट चलें" कहकर भारत वापसी का आह्वान किया। यह अपील उस समय आई जब यू.एस. में H-1B वीजा के लिए संभावित $100,000 वार्षिक शुल्क की चर्चा चल रही थी, जिससे कई युवा इंजीनियरों और आईटी विशेषज्ञों में चिंता फैल रही थी।
गुप्ता ने अपने 2005 के स्नातक वर्ष को याद करते हुए बताया कि तब H-1B वीजा के नियम काफी अनुकूल थे। "2005 में जब मैंने ग्रेजुएशन किया, तब वीजा प्रक्रिया बहुत आसान थी। लेकिन 2008 की आर्थिक मंदी के बाद चीज़ें जल्दी ही बदल गईं, कई भारतीय छात्रों को निराशा और अनिश्चितता का सामना करना पड़ा," उन्होंने कहा।
उनका यह बयान समय के साथ बदलते इमिग्रेशन नीतियों और भारतीय युवा वर्ग की अनिश्चितताओं को दर्शाता है। गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि आज भारत ने खुद को एक ऐसा मंच बना लिया है जहाँ नवयुवकों को अपने करियर को ऊँची उड़ान देने का मौका मिल रहा है।

भविष्य की संभावनाओं पर गुप्ता का विश्वास
राधिका ने भारत की 2025 की तस्वीर को "पिछले दो दशकों से कहीं अधिक रोमांचक" कहा। उन्होंने बताया कि डिजिटल अर्थव्यवस्था का विकास, फाइनेंसियल मार्केट का विस्तार और वैश्विक कंपनियों द्वारा भारत में आर&डी हब स्थापित करना, युवा प्रतिभाओं के लिए एक नया मैदान तैयार कर रहा है। "हमने यहाँ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर देखे हैं, और कई स्टार्ट‑अप्स ने विश्व स्तर पर पहचान बना ली है," उन्होंने जोड़ते हुए कहा।
गुप्ता ने यह भी कहा कि वह खुद अभी भारत में नहीं लौटना चाहतीं, क्योंकि उन्होंने यहाँ अपनी पेशेवर यात्रा को सफल बनाया है। हालांकि, उन्होंने उन छात्रों को सलाह दी जो असुरक्षित वीजा माहौल का सामना कर रहे हैं: "आपके पास भारत में बेहतरीन विकल्प हैं। अपने कौशल को यहाँ उपयोग में लाएँ और देश की प्रगति में योगदान दें।"
विस्थापित भारतीय प्रोफ़ेशनल्स की वापसी से भारत के टेक सेक्टर को संभावित रूप से एक बड़ा बूस्ट मिल सकता है। वर्तमान में कई अमेरिकी कंपनियां भारत में अपने डेटा सेंटर्स, क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर और AI‑ड्रिवन रिसर्च लैब्स स्थापित कर रही हैं, जिससे स्थानीय टैलेंट पाइपलाइन मजबूत हो रही है। इस पर विशेषज्ञों ने कहा कि H-1B जैसे वीजा नियमों में सख्ती आने से भारत में नौकरी खोजने वाले कई युवा अपनी राह घर के भीतर बना सकते हैं।
कहानी के दो मुख्य बिंदु हैं: पहला, अमेरिकी नीति में बदलाव न केवल व्यक्तिगत करियर को प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक टेक टैलेंट के प्रवाह को भी बदल रहा है। दूसरा, भारत की आर्थिक वृद्धि और उन्नत इन्फ्रास्ट्रक्चर अब उन अवसरों को प्रदान कर रहा है जो पहले केवल विदेश में ही मिलते थे।
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि 2008 के वित्तीय संकट के बाद कई भारतीय ने भारत ही लौट कर सफल उद्यमी बनना शुरू किया। अब वही दौर फिर से शुरू हो रहा है, बस इस बार भारत की बुनियादी सुविधाएँ और निवेशकों का भरोसा पहले से अधिक मजबूत है। इस बदलाव के साथ, युवा पेशेवरों को यह तय करना होगा कि वे ग्लोबल अवसरों का पीछा करें या अपने देश की उभरती संभावनाओं में निवेश करें।
अंत में, गुप्ता ने एक बार फिर H-1B वीजा की बढ़ती लागत को संकेत किया कि यह भारत की टैलेंट रिटेंशन के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकता है। उनका संदेश स्पष्ट है: "अगर आप अपने भविष्य को सुरक्षित और संतोषजनक देखना चाहते हैं, तो भारत में ही कई रास्ते खुले हैं।"