10:08 बजे भारतीय मानक समय पर शुक्रवार, 21 नवंबर 2025 को, बांग्लादेश के नरसिंगदी के दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक उथले भूकंप ने पूरे पूर्वी भारत में भयानक हलचल मचा दी। भूकंप का केंद्र केवल 10 किमी गहराई पर था, जिससे दूर-दूर तक तीव्र झटके महसूस हुए। कोलकाता के सॉल्ट लेक और न्यूटाउन जैसे व्यापारिक क्षेत्रों में लोग आसमान से गिरते हुए फैन्स देखकर भागे, ऑफिस छोड़ दिए, और खुले मैदानों में जमा हो गए। यह भूकंप बांग्लादेश के नरसिंगदी के निकट आया, लेकिन इसके प्रभाव पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम और मेघालय तक फैल गए। बांग्लादेश में छह लोगों की मौत हो गई, लेकिन भारत में कोई जान नुकसान नहीं हुआ — लेकिन डर का असर बहुत गहरा रहा।
भूकंप का विस्तार: किसने क्या महसूस किया?
कोलकाता के बरनागर के एक पीआर प्रोफेशनल प्रियांका चटुर्वेदी ने बताया, "मैं ऑफिस कॉल पर थी। अचानक मेरा सोफा हिलने लगा। मैंने सोचा कि क्या यह मेरा दिमाग घूम रहा है? लेकिन फिर देखा — सारा कमरा हिल रहा था।" उनके पड़ोसी, अलीपुर के 75 वर्षीय बैंक कर्मचारी रवींद्र सिंह ने कहा, "30 सेकंड तक लगातार हिला। मेरे परिवार ने पहले कहा कि मेरा सिर घूम रहा है, लेकिन फिर सबको पता चला — ये भूकंप था।" इस भूकंप के झटके इतने तीव्र थे कि कोलकाता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अधिकारियों ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर आश्चर्यचकित हो गए — ऊंची इमारतों के फैन्स लहरा रहे थे, लिफ्ट्स रुक गईं, और ऑफिस बंद हो गए।
क्यों इतना ज्यादा तेज़ झटका?
यहां की जमीन अपने आप में एक भूकंपीय बंदूक है। भारतीय प्लेट और यूरेशियाई प्लेट के टकराव के कारण यह क्षेत्र दुनिया के सबसे गतिशील भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है। लेकिन इस बार का असर अलग था — क्योंकि भूकंप का केंद्र सिर्फ 10 किमी गहराई पर था। जब भूकंप इतना उथला होता है, तो ऊर्जा जमीन के ऊपरी तहों तक बहुत तेज़ी से पहुंचती है। इसलिए जब भूकंप धाका के 13 किमी दूर हुआ, तो कोलकाता जैसे 150 किमी दूर के शहर में भी झटके इतने तीव्र महसूस हुए जैसे जमीन खुद फूट रही हो।
भारत में कोई नुकसान नहीं, लेकिन तैयारी जरूरी
पश्चिम बंगाल आपदा प्रबंधन विभाग ने तुरंत अपने नियंत्रण केंद्र को सक्रिय किया। उन्होंने कोलकाता के पुराने इमारतों, खासकर बरनागर, अलीपुर और हावड़ा में बनी अनियमित इमारतों की जांच शुरू कर दी। उन्होंने कहा — "हमें कोई विनाश नहीं दिखा, लेकिन यह एक चेतावनी है।" त्रिपुरा का राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र भी अग्रतल बना हुआ है — उन्होंने अगरतला में भी झटके महसूस किए, लेकिन कोई इमारत नहीं गिरी।
माप में अंतर: कौन सा आंकड़ा सही है?
एक ही भूकंप के बारे में अलग-अलग स्रोतों ने अलग-अलग तीव्रता बताई: The Indian Express ने 5.2, Marks Me Daily और Volcano Discovery ने 5.5, और Times of India ने 5.7 का आंकड़ा दिया। यह अंतर स्वाभाविक है — हर सेंसर अलग जगह से डेटा लेता है, और गहराई के आधार पर अनुमान अलग होते हैं। लेकिन एक बात सामान्य है: यह भूकंप दक्षिण एशिया में आखिरी दशक का सबसे तीव्र घटना है, जिसने भारत के शहरों को जगा दिया।
भविष्य की चुनौतियां: क्या कोलकाता तैयार है?
कोलकाता जैसे शहर अब ऊंची इमारतों के बादल बन रहे हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर के निर्माण के समय भूकंपीय मानकों की कोई बात नहीं हुई। 2015 के नेपाल भूकंप के बाद भी इस बात पर जोर नहीं दिया गया। अब विशेषज्ञ कह रहे हैं — "यह एक अच्छा सबक है। अगर अगली बार भूकंप बांग्लादेश के बजाय बिहार या बंगाल के अंदर हो जाए, तो नुकसान भयानक होगा।" विकास और सुरक्षा के बीच का अंतर अब जीवन और मौत का फर्क बन गया है।
अगले कदम: अफ्टरशॉक्स और तैयारी
भारतीय आपदा प्रबंधन विभाग अब अफ्टरशॉक्स की निगरानी में लगे हैं। त्रिपुरा और असम के अधिकारी नियमित रूप से बांग्लादेश के साथ संपर्क में हैं। विश्व भूकंपीय नेटवर्क ने अभी तक कोई ट्सुनामी चेतावनी नहीं जारी की — यह एक भूमि-आधारित भूकंप था, समुद्री नहीं। लेकिन अब सवाल यह है: क्या हम अगली बार तैयार होंगे? या फिर एक और झटके के बाद फिर से भागने की आदत बन जाएगी?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या भारत में कोई मौत हुई?
नहीं, भारत में इस भूकंप के कारण कोई जान नुकसान नहीं हुआ। पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों के आपदा प्रबंधन विभागों ने सभी क्षेत्रों की जांच की और बताया कि कोई इमारत नहीं गिरी और कोई घायल नहीं हुआ। बांग्लादेश में छह लोगों की मौत हुई, लेकिन भारतीय सीमा के पार तक पहुंचने वाले झटके ने बड़े पैमाने पर आतंक मचाया।
क्यों इतना तेज़ झटका महसूस हुआ जबकि भूकंप बांग्लादेश में था?
इसका कारण भूकंप की अत्यंत उथली गहराई (केवल 10 किमी) थी। जब भूकंप इतना ऊपर होता है, तो ऊर्जा जमीन के ऊपरी परतों में बहुत तेज़ी से फैलती है। कोलकाता से बांग्लादेश की सीमा केवल 100-150 किमी है, और यह क्षेत्र पुरानी चट्टानों और नदी के जमाव के कारण झटकों को बढ़ा देता है। इसलिए दूर के शहरों में भी तेज़ हलचल हुई।
क्या भविष्य में ऐसा भूकंप फिर आएगा?
हां, यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है। भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों का टकराव लगातार चल रहा है। इस क्षेत्र में 5.0 से अधिक के भूकंप लगभग हर 5-7 साल में आते हैं। 2015 के नेपाल भूकंप के बाद भी तैयारी नहीं हुई, इसलिए अगला भूकंप भी आएगा — सवाल यह है कि क्या हम तैयार होंगे?
कोलकाता की इमारतें भूकंप के लिए सुरक्षित हैं?
ज्यादातर नहीं। शहर के 40% से अधिक इमारतें 1980 से पहले बनी हैं, जब भूकंपीय मानक नहीं थे। नए बिल्डिंग्स में कुछ सुधार हुए हैं, लेकिन नियमों का पालन बहुत कम है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर अगला भूकंप कोलकाता के नीचे आए, तो लाखों लोग खतरे में हो सकते हैं।
क्या ट्सुनामी का खतरा था?
नहीं। भूकंप का केंद्र भूमि के नीचे था, और यह एक कंटिनेंटल भूकंप था — समुद्री उठाव या तलहटी के विस्थापन से नहीं बना। इसलिए कोई ट्सुनामी चेतावनी जारी नहीं की गई। यह एक अच्छी बात है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भूकंप का खतरा कम है।
अगले कदम क्या होंगे?
पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों के आपदा विभाग अब भवन सुरक्षा जांच की अगली चरण में जा रहे हैं। वे अनियमित इमारतों को पहचानकर उन्हें रिपेयर या नष्ट करने का निर्देश देंगे। विश्वविद्यालयों और इंजीनियरिंग संस्थानों को भी भूकंप प्रतिरोधी डिजाइन पर रिपोर्ट तैयार करने का आह्वान किया गया है। जनता को अभी तक आपातकालीन योजनाएं नहीं सीखी गईं — यह अगली चुनौती है।