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चंपई सोरेन का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, हेमंत सोरेन की वापसी तय

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चंपई सोरेन का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, हेमंत सोरेन की वापसी तय

चंपई सोरेन का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, हेमंत सोरेन की वापसी तय

चंपई सोरेन का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा

बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद हेमंत सोरेन की वापसी निश्चित हो गई है। चंपई सोरेन ने राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपा और इसके बाद हेमंत सोरेन ने सरकार बनाने की पेशकश की। इस घटनाक्रम ने राज्य में राजनीति के एक नए दौर की शुरुआत की है।

45 विधायकों ने चुना हेमंत सोरेन को

इससे पहले, सत्ताधारी गठबंधन के 45 विधायकों ने हेमंत सोरेन को अपना नेता चुन लिया था। चंपई सोरेन ने पहले अस्थिरता की चिंता जताते हुए इस्तीफा देने से मनाही की थी, लेकिन बाद में उन्हें इसके लिए मना लिया गया। विधायक दल की बैठक में हेमंत सोरेन की वापसी पर मोहर लगाई गई और उन्होंने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का प्रस्ताव रख दिया।

हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी और जेल यात्रा

हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी और जेल यात्रा

हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने पांच महीने जेल में बिताए। इस दौरान उनके समर्थकों में भारी नाराजगी देखी गई। 28 जून को झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी और अदालत ने कहा कि उनके फिर से ऐसा अपराध करने की संभावना नहीं है।

हेमंत सोरेन की नई योजनाएं

अब जबकि हेमंत सोरेन दोबारा मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, उनकी योजना है कि वे बाकी बचे हुए वादों को पूरा करें। उन्होंने पांच महीने की जेल यात्रा और 'झूठे मामले' में बर्बाद हुए समय को लेकर जनता के सामने अपनी बात रखने का फैसला किया है। इसे उनके चुनावी अभियान का प्रमुख मुद्दा बनाया जाएगा।

भाजपा का आरोप

भाजपा का आरोप

इस बीच, राज्य भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया है। मरांडी का कहना है कि सोरेन परिवार के बाहर के जनजातीय नेताओं को केवल 'काम चलाऊ' समझा जाता है और वे परिवार के बाहर के नेताओं को इस्तेमाल कर छोड़ देंगे।

झारखंड की राजनीति में यह घटनाक्रम एक बड़ी हलचल का कारण बन सकता है और अगले कुछ महीनों में राज्य की दिशा-दशा तय करने वाला साबित हो सकता है। अन्य राजनीतिक दल भी इस घटनाक्रम के बाद अपनी रणनीति में बदलाव कर सकते हैं।

आगे की राह

हेमंत सोरेन के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके सामने कई चुनौतियाँ खड़ी होंगी। उन्हें एक स्थिर और सामंजस्यपूर्ण सरकार का गठन करना होगा और जनता के लिए किए गए वादों को भी पूरा करना होगा। उनकी जेल यात्रा और उस दौरान की गई आलोचनाएं उनके लिए चुनावी मंच पर प्रमुख मुद्दा बन सकती हैं, जिसे वे अपने पक्ष में भुनाने की पूरी कोशिश करेंगे।

राज्य के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हेमंत सोरेन की वापसी झारखंड की राजनीति में एक सकारात्मक बदलाव ला सकती है। उनकी नीतियों और कार्यक्रमों पर जनता की नजर टिकी रहेगी और उनका प्रदर्शन ही अगले चुनावों में उनकी सफलता की दिशा तय करेगा।

नेहा मिश्रा

नेहा मिश्रा

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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