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90 वर्षीय योग गुरु विष्णु आर्य: 70 वर्षों से योग के माध्यम से रोगों का उपचार

स्वास्थ्य
90 वर्षीय योग गुरु विष्णु आर्य: 70 वर्षों से योग के माध्यम से रोगों का उपचार
Jonali Das 9 टिप्पणि

योग गुरु विष्णु आर्य: एक प्रेरणादायक जीवन की कहानी

सागर के रहने वाले 90 वर्षीय योग गुरु विष्णु आर्य ने योग के माध्यम से बीमारियों का इलाज करने का कार्य पिछले 70 वर्षों से कर रहे हैं। उनकी विशेषज्ञता और समर्पण ने उन्हें स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है। विष्णु आर्य 200 से अधिक योग आसनों का ज्ञान रखते हैं और अनेक महत्वपूर्ण पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

विष्णु आर्य, जिनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, ने अपनी युवावस्था में ही योग की ओर रुख कर लिया था। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही उन्होंने योग के लाभों को समझा और उसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण अंग बना लिया। पहले एक शिक्षक और फिर एक ज्वेलर के रूप में अपनी सेवाएं देने के बाद, उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन योग को समर्पित कर दिया।

उपलब्धियां और सम्मान

योग गुरु विष्णु आर्य को कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजा गया है। 2022 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गौर गौरव सागर अवार्ड से सम्मानित किया गया। 2012-13 में उन्हें स्वामी विवेकानंद राज्य स्तरीय योग पुरस्कार भी मिला। इसके आलावा, भारतीय सरकार के खेल मंत्रालय ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।

केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र खटीक, पूर्व पीडब्लूडी मंत्री गोपाल भार्गव और पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह जैसे उच्च पदस्थ अधिकारियों और नेताओं ने भी उनके मार्गदर्शन में योग से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया है।

योग निकेतन प्रशिक्षण संस्थान

योग गुरु विष्णु आर्य ने सागर में योग निकेतन प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की, जहां वे नियमित रूप से नि:शुल्क योग शिविरों का आयोजन करते हैं। इन शिविरों में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए विविध योग आसनों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

  • निद्रानाश
  • सर्वाइकल
  • हृदय रोग
  • पीठ दर्द
  • अस्थमा
  • मानसिक तनाव
  • मधुमेह
  • सियाटिका
  • सिर दर्द
  • नर्व प्रेसर

इन शिविरों में भाग लेने वाले अनेक लोगों ने अपने रोगों से मुक्ति पाई है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

संन्यास और सन्यासी जीवन

विष्णु आर्य ने 2012 में निरंजनानंद सरस्वती के अंतर्गत संन्यास ग्रहण किया और उन्हें स्वामी ध्यानेंद्र सरस्वती का नाम दिया गया। उनकी यह यात्रा और योग के प्रति उनकी निष्ठा अनेक लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

समर्पण और प्रतिबद्धता

विष्णु आर्य का जीवन योग और सेवा के प्रति समर्पित रहा है। उन्होंने अपने ज्ञान और अनुभवों को समाज के साथ साझा करने की ठान ली है, जिससे अधिक से अधिक लोग योग के माध्यम से अपने रोगों का उपचार प्राप्त कर सकें।

उनकी कहानी न केवल एक व्यक्ति की संघर्ष और सफलता की कहानी है, बल्कि यह दर्शाती है कि योग के माध्यम से हम अपने जीवन में कितने सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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टिप्पणि (9)
  • srilatha teli
    srilatha teli

    जून 23, 2024 AT 01:12 पूर्वाह्न

    योग का यह ज्ञान सिर्फ शरीर के लिए नहीं, बल्कि मन और आत्मा के लिए भी एक अद्भुत उपहार है।
    70 साल तक इतनी निष्ठा से लोगों की मदद करना-ये कोई सामान्य बात नहीं।
    आज के समय में जब हर कोई दवाओं और तेज़ इलाजों की तलाश में है, तो विष्णु आर्य जी जैसे गुरु एक असली चमत्कार हैं।
    उनकी विशेषज्ञता ने सिर्फ बीमारियों को नहीं, बल्कि लोगों के अंदर के डर को भी दूर किया है।
    योग का मतलब सिर्फ आसन नहीं, बल्कि जीवन का एक अलग तरीका है।
    उन्होंने जो संस्थान बनाया, वो किसी फिटनेस सेंटर से कहीं ज्यादा गहरा है।
    वहां लोग न सिर्फ शरीर को ठीक करते हैं, बल्कि अपने अंदर की शांति भी ढूंढते हैं।
    मैंने खुद एक दोस्त को इस शिविर में भेजा था, जिसे 12 साल से मधुमेह था।
    अब वो बिना इंसुलिन के रोज़ सुबह योग करता है।
    ये जीवन का सबसे बड़ा उपहार है-जब कोई आपको बीमारी से आज़ाद कर दे, तो वो आपके लिए एक देवता बन जाता है।
    विष्णु आर्य जी का जीवन हमें याद दिलाता है कि असली चमत्कार बाहर नहीं, अंदर होते हैं।
    उनकी विनम्रता और समर्पण की भावना आज के शोर-शराबे वाले समय में एक शांत ज्वार की तरह है।
    उनके बिना योग केवल एक व्यायाम बन जाता, लेकिन उनके साथ ये एक जीवन दर्शन है।
    हमें ऐसे लोगों को सलाम करना चाहिए, न कि बस उनकी तारीफ करना।
    उनकी कहानी बच्चों के लिए भी एक शिक्षा है: समर्पण और लगन से कोई भी सपना साकार हो सकता है।

  • Sohini Dalal
    Sohini Dalal

    जून 24, 2024 AT 07:16 पूर्वाह्न

    ये सब बकवास है, योग से अस्थमा ठीक हो जाता है? तो फिर डॉक्टर क्यों बनाए गए?

  • Suraj Dev singh
    Suraj Dev singh

    जून 24, 2024 AT 13:45 अपराह्न

    मैंने भी एक बार उनके शिविर में भाग लिया था-पीठ दर्द जाने लगा, और सोने में मदद मिली।
    लेकिन योग के साथ डॉक्टर की सलाह भी जरूरी है, न कि उनकी जगह लेना।
    मैं नहीं कह रहा कि योग बेकार है, बल्कि इसे पूरक के रूप में देखना चाहिए।
    विष्णु आर्य जी का काम अद्भुत है, लेकिन जब कोई बीमारी बहुत गंभीर हो, तो उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
    मैं उनकी निष्ठा को सलाम करता हूं, लेकिन जिन लोगों को लगता है कि योग से सब कुछ ठीक हो जाएगा, वो खुद को खतरे में डाल रहे हैं।
    योग और आधुनिक चिकित्सा-ये दोनों एक साथ चल सकते हैं।
    इस तरह के गुरु बहुत कम हैं, और उनका काम बहुत बड़ा है।
    लेकिन अगर कोई अपने बच्चे के डायबिटीज का इलाज सिर्फ योग से करना चाहता है, तो ये जिम्मेदारी नहीं, बल्कि लापरवाही है।
    मैं उनके लिए धन्यवाद देता हूं, लेकिन उनके आधार पर निर्णय लेने से पहले डॉक्टर से भी बात करें।

  • Arun Kumar
    Arun Kumar

    जून 25, 2024 AT 15:57 अपराह्न

    अरे भाई, ये वाला गुरु तो असली जादूगर है! बस एक आसन करो और डायबिटीज गायब! 😱
    मैंने भी उनके शिविर में जाने की सोची थी, लेकिन जब मैंने देखा कि वहां कोई चाय नहीं मिलती, तो मैं वापस आ गया।
    मैं तो योग के लिए नहीं, बल्कि बिना बात किए लोगों को घूंट लगाने के लिए जाता हूं।
    और फिर वो वीरेंद्र खटीक जैसे लोग भी उनके पास आते हैं? अरे भाई, वो तो सिर्फ टीवी के लिए आते हैं, नहीं तो उनके पास तो जब तक गाड़ी खराब न हो जाए, जाने की बात ही नहीं।
    मैंने अपनी बहन को योग करवाया, अब वो बस अपनी दादी को बुलाकर बैठ जाती है।
    क्या ये इलाज है या बस एक नया ट्रेंड? 😅
    लेकिन अगर योग से सिर दर्द जाता है, तो मैं तो अब हर रोज़ एक घंटा बैठकर अपनी टीवी की चैनल बदलने की जगह योग करूंगा।
    अगर आपको लगता है कि योग से सब कुछ ठीक हो जाता है, तो मैं आपको एक बॉक्स भेजूंगा-उसमें आपकी टीवी का रिमोट और एक योग मैट होगा।
    अब तो मैं भी गुरु बनने वाला हूं-‘योग गुरु अरुण’ नाम से।
    मेरा विशेष आसन? ‘लाइव टीवी देखने वाला आसन’।
    मैं जिस दिन अपनी बीवी को योग करने के लिए मना लूंगा, उस दिन मैं नर्वस ब्रेकडाउन हो जाऊंगा।
    लेकिन अगर ये गुरु आपको बिना दवा के बेहतर बना दे, तो मैं उन्हें अपना गुरु बना लूंगा।
    अब तो मैं भी योग करूंगा… बस अगले बार जब टीवी चल रहा होगा।

  • Manu Tapora
    Manu Tapora

    जून 26, 2024 AT 17:54 अपराह्न

    क्या विष्णु आर्य जी ने कभी किसी रोगी के डॉक्टर के निदान की पुष्टि की है? योग आसनों के बारे में बात हो रही है, लेकिन क्या उन्होंने कभी क्लिनिकल ट्रायल्स या डेटा साझा किए हैं?
    मैं उनकी निष्ठा को सलाम करता हूं, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र में जब तक कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं होता, तब तक ये विश्वास आधारित दावे नहीं हो सकते।
    मधुमेह के लिए योग के लाभ अध्ययनों में दर्ज हैं, लेकिन वे अतिरिक्त उपचार के रूप में हैं, न कि विकल्प के रूप में।
    क्या उनके शिविर में भाग लेने वाले लोगों के ब्लड ग्लूकोज, बीपी या लिपिड प्रोफाइल का रिकॉर्ड है?
    यदि नहीं, तो ये सभी कहानियां एनेक्डोटल हैं।
    मैं अपनी दादी को योग करवा रहा हूं, और उनकी स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन उनका डॉक्टर भी उनके साथ है।
    क्या योग निकेतन में कोई डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट भी शामिल है?
    अगर नहीं, तो ये एक अच्छी इच्छा है, लेकिन जिम्मेदारी के साथ नहीं।
    मैं उनके अनुभव को नहीं खारिज करता, लेकिन इस तरह के बड़े दावों के लिए डेटा जरूरी है।
    योग एक अद्भुत प्रथा है, लेकिन इसे अतिशयोक्ति के साथ नहीं, विज्ञान के साथ बढ़ाया जाना चाहिए।
    क्या आप एक ऐसे व्यक्ति को दवा देंगे जिसका दिल का दौरा पड़ गया है, और उसे योग करने को कह दें?
    योग एक उपचार नहीं, एक समर्थन है।
    हमें उनके समर्पण की तारीफ करनी चाहिए, लेकिन उनके दावों को बिना प्रमाण के नहीं बढ़ाना चाहिए।

  • venkatesh nagarajan
    venkatesh nagarajan

    जून 27, 2024 AT 10:55 पूर्वाह्न

    योग का ज्ञान तो वेदों में छिपा है, लेकिन आज के इस युग में इसे बाजार में बेच रहे हैं।
    विष्णु आर्य जी जैसे गुरु बहुत कम हैं, लेकिन उनके पीछे कितने अनुयायी हैं जो विश्वास करते हैं, लेकिन नहीं समझते।
    क्या योग से अस्थमा ठीक होता है? या यह बस एक आत्म-संतुष्टि है?
    हम जो कुछ भी देखते हैं, उसके पीछे का सच नहीं देखते।
    मैं इस तरह के गुरुओं को नहीं नकारता, लेकिन उनके आधार पर जीवन नहीं बनाना चाहिए।
    क्या आपने कभी सोचा कि जब आप योग करते हैं, तो आपका मन शांत होता है, और शांत मन में बीमारियां कम होती हैं?
    ये तो बहुत सरल है।
    लेकिन इसे जादू कहना बेकार है।
    योग एक अभ्यास है, एक विज्ञान नहीं।
    और जब विज्ञान को जादू बना दिया जाए, तो वह विज्ञान नहीं रह जाता।
    हमें अपने आप को नहीं, बल्कि अपने विचारों को बदलना चाहिए।
    योग तो सबके लिए है, लेकिन इसका अर्थ बदल गया है।
    आज योग का मतलब बीमारी ठीक करना है, जबकि इसका मूल अर्थ है-आत्मा और ब्रह्मांड का एकीकरण।
    हम इसे नष्ट कर रहे हैं।
    और इसीलिए मैं इस तरह की कहानियों को देखकर दुखी होता हूं।

  • Drishti Sikdar
    Drishti Sikdar

    जून 28, 2024 AT 20:21 अपराह्न

    ये सब कहानी तो बहुत अच्छी है, लेकिन मैंने उनके शिविर में जाने की कोशिश की थी, तो उन्होंने मुझे बताया कि मैं बहुत अधिक टीवी देखती हूं और इसलिए मेरा मन बहुत अशांत है।
    मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं बिना योग किए भी आपके पास आ सकती हूं, तो उन्होंने कहा कि नहीं, बिना योग के मैं बीमार रहूंगी।
    और फिर मैंने उनके शिविर में एक लड़की को देखा, जो बहुत बीमार लग रही थी, लेकिन उसे योग करने के लिए जबरन रखा गया था।
    क्या ये असली सेवा है? या ये एक नया तरीका है लोगों को नियंत्रित करने का?
    मैंने उनके शिविर के बाहर एक लड़की को देखा जो रो रही थी, क्योंकि उसे योग नहीं करने के लिए उसके गुरु ने डांटा था।
    योग तो आत्म-स्वास्थ्य है, लेकिन जब ये एक अहंकार बन जाए, तो ये दुखद हो जाता है।
    क्या आपको लगता है कि जो लोग योग करते हैं, वो सब बीमार हो जाते हैं?
    मैं नहीं चाहती कि कोई मेरे बच्चे को योग करने के लिए जबरदस्ती बुलाए।
    योग कभी जबरदस्ती नहीं होना चाहिए।
    मैं इस गुरु के बारे में अब नहीं बात करना चाहती।

  • indra group
    indra group

    जून 28, 2024 AT 23:17 अपराह्न

    हमारे देश में योग का जो असली अर्थ है, उसे बेचकर विदेशी लोगों को बांट रहे हैं।
    इन गुरुओं को पुरस्कार देकर हम अपनी संस्कृति को बेच रहे हैं।
    जब अमेरिका में लोग योग करते हैं, तो वो उसे ‘wellness’ कहते हैं, लेकिन हम उसे ‘आध्यात्मिकता’ बना देते हैं।
    ये सब बाजार का खेल है।
    इन्हें गौर गौरव सागर अवार्ड? अरे भाई, अगर योग इतना बड़ा है, तो इसे निःशुल्क बनाओ, न कि टीवी पर दिखाओ।
    हमारे देश के गुरु तो बेच रहे हैं ज्ञान, न कि दे रहे हैं।
    योग तो अपने घर में ही करो, बाहर जाकर नहीं।
    अगर योग से सब ठीक हो जाता, तो भारत के डॉक्टर कहां गए?
    ये सब फैक्ट्री बन गई है।
    हमारे गुरु अब बिजनेसमैन बन गए हैं।
    इन्हें पुरस्कार देने की जगह, इन्हें एक बार गांव में जाकर देखना चाहिए-जहां लोग बिना दवा के भी जी रहे हैं।
    योग का असली मतलब तो ये है कि तुम खुद को जानो, न कि दूसरों को बताओ।
    अगर ये गुरु असली हैं, तो वो अपने आप को बाजार में नहीं बेचेंगे।
    हमें इन गुरुओं को नहीं, बल्कि अपने अंदर के गुरु को खोजना चाहिए।

  • sugandha chejara
    sugandha chejara

    जून 30, 2024 AT 03:51 पूर्वाह्न

    मैं योग निकेतन में जाने वाली एक लड़की की मां हूं, और उसकी जिंदगी बदल गई है।
    उसे अस्थमा था, और उसे हर रात सांस लेने में दिक्कत होती थी।
    उसके डॉक्टर ने बताया कि अगर योग नहीं करेगी, तो उसे लंबे समय तक इंजेक्शन लेने पड़ेंगे।
    हमने उसे विष्णु आर्य जी के शिविर में भेजा, और अब वो बिना इंजेक्शन के दो साल हो गए।
    उसका आत्मविश्वास बढ़ गया, वो अब स्कूल में बैठकर बात करती है, जो पहले नहीं करती थी।
    योग ने उसके शरीर को नहीं, बल्कि उसके मन को बदल दिया।
    मैं जिस तरह से उनके शिविर में लोगों को सम्मान दिया जाता है, वो बहुत खास है।
    कोई भी उनके पास नहीं जाता कि उसे ठीक कर दें, बल्कि वो खुद बदलने के लिए आता है।
    मैं अपनी दादी को भी उनके पास भेज रही हूं, और उनकी गतिविधियां बहुत बढ़ गई हैं।
    योग ने उनकी नींद ठीक कर दी, और उनका दिल भी अब शांत है।
    मैं इस गुरु को बहुत शुक्रिया कहती हूं, क्योंकि उन्होंने न सिर्फ बीमारियों को ठीक किया, बल्कि लोगों को खुद को जीने का तरीका भी सिखाया।
    हमें ऐसे लोगों को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहिए।
    योग एक उपहार है, और विष्णु आर्य जी उस उपहार को बरकरार रख रहे हैं।
    मैं उनके लिए रोज़ एक शुभकामना भेजती हूं।

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