उपचुनाव परिणामों की गिनती
आज सात राज्यों में 13 विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनावों के परिणामों की गिनती शुरू हो चुकी है। उपचुनावों में शामिल राज्य पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, और उत्तर प्रदेश हैं। यह उपचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये विभिन्न राजनीतिक दलों की शक्ति-कसावट के परीक्षण के रूप में देखे जा रहे हैं।
मतदान और हिंसा
बुधवार को हुए मतदान में मध्यम से उच्च मतदाता मतदान देखा गया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार तमिलनाडु के विक्रवांडी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया, जबकि उत्तराखंड के बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर सबसे कम मतदान हुआ। मतदान के दौरान उत्तराखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में छिटपुट हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं।
मुख्य प्रतियोगी और रुझान
हिमाचल प्रदेश के देहरा विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी, कमलेश ठाकुर कांग्रेस की ओर से आगे चल रही हैं। यह सीट इसलिए चर्चित है क्योंकि इसे सुक्खू की राजनीतिक ताकत और लोगों के प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।
उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार भी बढ़त बनाए हुए हैं। बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर लखपत सिंह बुटोला और मंगलौर विधानसभा सीट पर काजी मोहम्मद निजामुद्दीन आगे चल रहे हैं।
बिहार और पंजाब में स्थिति
बिहार के रुपौली विधानसभा सीट पर जनता दल (यू) के उम्मीदवार कलाधर प्रसाद मंडल आगे चल रहे हैं। वहीं पंजाब के जालंधर वेस्ट विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार मोहिंदर भगत बढ़त बनाए हुए हैं।
राजनीतिक प्रभाव
इन उपचुनाव परिणामों का राजनीतिक दलों के लिए विशेष महत्व है, क्योंकि ये आने वाले आम चुनावों की तैयारी और रणनीति का संकेत देंगे। इस प्रकार, हर राजनीतिक दल इन नतीजों पर करीबी नजर रख रहा है और अपने भविष्य के कदमों को इसी के आधार पर योजना बना रहा है।
चुनावी धक्का-मुक्की
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पुष्पिंदर वर्मा आगे चल रहे हैं। इन उपचुनावों में, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिष्ठा भी जुड़े होने के कारण यह चुनाव और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
इन चुनाव परिणामों का राज्य राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। जैसे ही चुनाव के अंतिम परिणाम सामने आएंगे, विभिन्न राज्य अपनी राजनीतिक दिशा तय करना शुरू कर देंगे।
जुलाई 14, 2024 AT 14:35 अपराह्न
ये सब उपचुनाव तो बस धुमधाम हैं भाई, असली बात तो अगले साल के आम चुनाव में है। कोई भी सीट अब बड़ी नहीं लगती, सब बराबर है।
मतदान भी ज्यादा नहीं हुआ, लोग थक गए हैं।
जुलाई 14, 2024 AT 18:37 अपराह्न
अरे ये सब आंकड़े तो बस प्रचार के लिए बनाए गए हैं। कमलेश ठाकुर की बात कर रहे हो तो उनका पति मुख्यमंत्री है, ये तो राजनीतिक विरासत का खेल है।
हिमाचल में कांग्रेस की बढ़त? अगर वो जीत गई तो भी वो सिर्फ नाम की जीत है। असली लोकतंत्र तो उन गांवों में है जहां लोग अभी तक वोट करने के लिए 10 किमी चलते हैं।
जुलाई 14, 2024 AT 19:31 अपराह्न
इन सब उपचुनावों में जो भी जीत रहा है, वो अपने दल के लिए एक निशान बन रहा है। लेकिन ये सब अंधविश्वास है।
भारत का भविष्य तो एक ही दल के हाथ में है। जिसने देश को अपने नियमों से बचाया, उसी के पास अब भविष्य है।
कांग्रेस और AAP के जैसे दल तो बस घर के बाहर चिल्ला रहे हैं। असली देशभक्ति तो वो है जो नीति बनाता है, न कि नारे लगाता है।
जुलाई 15, 2024 AT 15:07 अपराह्न
इन उपचुनावों में जो भी निकल रहा है, वो एक नया संकेत है।
लोग अब सिर्फ नाम या वंश के लिए नहीं, बल्कि वादों और काम के लिए वोट कर रहे हैं।
कमलेश ठाकुर के लिए भी तो वोटर्स ने उनके नाम के बजाय उनकी सेवाओं को देखा होगा।
ये राजनीति में एक छोटी सी लेकिन बहुत बड़ी बदलाव की शुरुआत है।
हमें इसे सकारात्मक ढंग से देखना चाहिए।
हर गांव का हर वोटर अब अपने हक के लिए लड़ रहा है।
ये वो शक्ति है जो देश को बदल सकती है।
हमें इसे समझना चाहिए, न कि नकारना।
कभी-कभी छोटे कदम ही सबसे बड़े बदलाव की शुरुआत होते हैं।
जुलाई 17, 2024 AT 03:54 पूर्वाह्न
मैं तो सोच रही थी कि AAP का जालंधर वेस्ट विजयी निकलेगा, लेकिन अब लगता है वो भी गिर सकता है। लोग अब बस एक बार फिर अपने दिमाग से सोच रहे हैं।
जुलाई 19, 2024 AT 00:28 पूर्वाह्न
सही कहा सोहिनी, लोग अब बस नाम नहीं देख रहे।
मैं बिहार का हूं, रुपौली में जनता दल का उम्मीदवार आगे है, लेकिन उनके घर के पास का रोड अभी तक बेकार है।
अगर ये जीत गए तो उम्मीद है कि वो वोटर्स की बात सुनेंगे।