UN मंच पर भारत की कड़ी सख्ती, पाकिस्तान को घेरने की रणनीति
Pahalgam आतंकी हमले के ठीक बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भारत-पाक तनाव को लेकर खुलकर अपनी आवाज उठाई। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सीधे बड़ी वैश्विक ताकतों और सुरक्षा परिषद के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने अल्जीरिया, ग्रीस, गयाना, पनामा, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया जैसे देशों से बातचीत की, लेकिन चीन और पाकिस्तान से अलग ही रहे। चर्चा की मुख्य वजह थी पाकिस्तान का नाम जिस पर जयशंकर ने आतंकियों और उनके मददगारों के खिलाफ ठोस सबूत पेश किए। भारत ने पहली बार इतना खुलकर आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दोषी ठहराया।
जयशंकर ने UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से बात में भी साफ कर दिया कि हमले के दोषियों को छोड़ नहीं सकते और सबूतों के साथ कार्रवाई चाहते हैं। गुटेरेस ने इस हमले की निंदा करते हुए दोनों देशों को संयम बरतने की सलाह दी। उन्होंने बड़ी चिंता जताई कि कहीं तनाव काबू से बाहर न हो जाए। UN में भारत की स्थायी प्रतिनिधि, योजना पटेल ने बड़े खुले तौर पर पाकिस्तान को 'वैश्विक आतंकवाद का पोषक' कहकर ललकारा। इसका आधार पाकिस्तानी रक्षा मंत्री के उन बयानों को बनाया गया जिसमें खुद आतंकियों को समर्थन देने की बातें कबूली थीं।
पाकिस्तान की गोलबंदी और चीन का खेल
पाकिस्तान ने पलटवार करते हुए UNSC से 'इंडिया-पाकिस्तान सवाल' एजेंडे में आपात चर्चा की मांग रखी। उसका तर्क था कि कश्मीर क्षेत्र में भारत की गतिविधियों से उसकी सुरक्षा को खतरा है और पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता दांव पर है। 5 मई को हुई बंद कमरे की इन चर्चाओं में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की, लेकिन वह खुद अपने इनकार और दुनिया के सामने आ चुके रिकॉर्ड्स से घिर गया।
भारत की तरफ से यह पूरी कूटनीतिक कवायद इसलिए अहम है क्योंकि चीन लगातार पाकिस्तान का समर्थन करता आया है। जब भी पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता है, चीन अपने वीटो पावर से भारत की कोशिशों को तकनीकी तौर पर रोक देता है। यही वजह है कि UN जैसी संस्था में भी भारत को पाकिस्तान को अलग-थलग करने में असली चुनौती चीन के रवैए से मिलती है। भारत ने इस मौके को अपने पहले से मजबूत शांति सैनिक रिकॉर्ड के साथ जोड़ा और साफ किया कि क्षेत्र में स्थिरता की जिम्मेदारी भी उसी पर है।
यूएन की ये तमाम गतिविधियां ऐसे समय हो रही हैं जब कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियां लगातार बहस का विषय बनी हुई हैं। भारत अब दुनिया को केवल अपराध के सबूत नहीं दिखा रहा, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को घेरने की पूरी तैयारी में है। UN के मंच पर भारत का यह आक्रामक रूप, आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया की राजनीतिक दिशा को और ज्यादा प्रभावित कर सकता है।