ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर विल पुकोव्स्की ने 26 साल की उम्र में सिर की चोटों के कारण क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। पुकोव्स्की ने यह निर्णय मार्च 2024 में विक्टोरिया के लिए खेलते समय राइली मेरेडिथ की गेंद पर चोटिल होने के बाद लिया। यह उनकी पहली चोट नहीं थी; सिर की बार-बार आने वाली चोटों ने उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है, जिससे चिकित्सा विशेषज्ञों ने उन्हें खेल जारी न रखने की सलाह दी।
सिर की चोटें – क्या करें और कब डॉक्टर को दिखाएँ?
अगर अचानक सिर दर्द, चक्कर या उलझन महसूस हो रही है तो घबराएँ नहीं। कई बार हल्की झटके से भी सिर में चोट लग सकती है। सही कदम उठाने से बाद में समस्या कम होती है।
सिर में चोट के मुख्य कारण
सबसे आम कारण हैं गिरना, मोटर साइकिल या कार दुर्घटना, खेल‑कूद में टक्कर और घर में छोटे‑छोटे हादसे। बच्चों को झूलने या दोड़ते समय सिर पर हल्की धक्के मिलते रह सकते हैं। कामकाजी लोग कभी‑कभी तेज़ी से गिरते हुए अपने माथे को दीवार या फर्निचर से मार लेते हैं।
इनमें से कुछ चोटें सिर्फ सतह पर होती हैं, जबकि कुछ में मस्तिष्क तक असर पड़ सकता है। अगर आप खेल कूद में शामिल हैं तो हेल्मेट पहनना ज़रूरी है; यह सिर को बचाता है और गंभीर चोटों के जोखिम को घटाता है।
पहले कदम और उपचार
चोट लगते ही तुरंत ठंडे पानी या बर्फ की थैली से 10‑15 मिनट तक हल्का सिकुड़न दें। इससे सूजन कम होती है। अगर चोट के बाद उलझन, मतली या आँखों में धुंधलापन हो तो आराम करें और तेज़ रोशनी से दूर रहें।
एक बार बैठकर सिर को धीरे‑धीरे हिलाएँ; यदि दर्द बढ़े तो तुरंत रोक दें। कपड़े ढीले रखें ताकि रक्त प्रवाह बाधित न हो। अगर चोट के 24 घंटे में खून बहता है, द्रव बहुत कम या बेहोशी आती है तो बिना देर किए एम्बुलेंस बुलाएँ।सिर की हल्की चोटों में अक्सर डॉक्टर को दिखाने की जरूरत नहीं होती, लेकिन यदि निम्नलिखित लक्षण हों – लगातार उलझन, बोलने में कठिनाई, चलने‑फिरने में समस्या या आँखों से चमकती रोशनी के बाद देखना मुश्किल हो तो तुरंत मेडिकल मदद लें।
डॉक्टर आमतौर पर सिर की एक्स‑रे या सीटी स्कैन करके चोट का पता लगाते हैं। हल्की चोटों को आराम, पर्याप्त नींद और हाइड्रेशन से ठीक किया जा सकता है। दर्द के लिये पैरासिटामोल या इबुप्रोफ़ेन ले सकते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
एक बात ध्यान रखें – सिर की चोटें कभी‑कभी देर से लक्षण दिखाती हैं। इसलिए 48 घंटे तक हल्का व्यायाम जैसे चलना जारी रखें, पर तेज़ कसरत या भारी वजन उठाने से बचें।
सिर में चोट लगने के बाद मनोवैज्ञानिक असर भी हो सकता है। यदि आप उदासी, बेचैनी या नींद नहीं आने की समस्या महसूस करें तो परिवार या दोस्त से बात करें और जरूरत पड़े तो विशेषज्ञ की मदद लें।
अंत में याद रखें कि सिर की चोटें गंभीर हो सकती हैं, पर सही शुरुआती कदम उठाने से बचाव संभव है। हमेशा हेल्मेट पहनें, घर के फर्निचर को सुरक्षित रखें और बच्चों को खेलते समय निगरानी में रखें। अगर कोई संदेह हो तो डॉक्टर से संपर्क करने में देर न करें – आपका स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है।