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जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड क्या है? आसान भाषा में समझें

आपने शायद समाचार में जुवेनाइल जस्‍टिस बोर्ड़ (JJB) का नाम सुना होगा, लेकिन इसका असली काम क्या है, अक्सर स्पष्ट नहीं होता। सरल शब्दों में कहें तो यह बोर्ड उन नाबालिगों के लिए न्यायालय जैसा मंच है जो अपराध कर चुके हैं या जिनके खिलाफ केस चल रहा है। यहाँ पर उम्र‑दर्ज़ा 18 साल से कम वाले बच्चे को वयस्क अदालत की कठोर सजा नहीं मिलती, बल्कि उनके भविष्य को सुधारने वाली उपायें दी जाती हैं।

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड कैसे काम करता है?

जब कोई बच्चा किसी अपराध में फँस जाता है तो पुलिस या परिवार बोर्ड के पास रिपोर्ट भेजते हैं। फिर एक विशेष जज और दो सामाजिक कार्यकर्ता मिलकर केस की सुनवाई करते हैं। वे बच्चे की उम्र, पारिवारिक माहौल, शिक्षा स्तर और मानसिक स्वास्थ्य को देख कर निर्णय लेते हैं। सजा का स्वरूप जेल नहीं बल्कि रिहैबिलिटेशन सेंटर में रहने, स्कूल या व्यावसायिक प्रशिक्षण के रूप में हो सकता है। इस प्रक्रिया से बच्चा समाज में फिर से कदम रख सके, यही मकसद है।

यदि बच्चे को अपराध करने की वजह आर्थिक तंगी या अभिव्यक्ति की कमी रही हो, तो बोर्ड उसे कौशल सीखने का अवसर देता है। अक्सर यह फैसला सामाजिक पुनर्वास पर आधारित होता है, जिससे बच्चा भविष्य में दोबारा गलती न करे।

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पिछले महीने उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर में 16 साल का राहुल ने चोरी का मामला किया था। पुलिस ने उसे तुरंत जेल भेजने की बात कही, पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उसकी पारिवारिक स्थिति देख कर उसे स्थानीय वाणिज्यिक प्रशिक्षण केंद्र में भेजा। आज वह अपने पिता के साथ छोटा व्यापार चला रहा है और स्कूल भी जाता है। ऐसी ही कहानियाँ कई राज्यों में सामने आई हैं – जहाँ बोर्ड ने सजा को सुधारात्मक बना दिया।

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ी सुनवाई की, जिसमें जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के निर्णयों की वैधता पर सवाल उठे थे। कोर्ट ने कहा कि यदि बोर्ड सही प्रक्रिया अपनाता है तो उसके फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती। यह फैसला सभी राज्यों के बोर्डों को भरोसा देता है कि उनका काम कानूनी तौर पर सुरक्षित है।

कभी‑कभी ऐसे केस भी होते हैं जहाँ बोर्ड का निर्णय विवादास्पद होता है, जैसे 2023 में मुंबई में एक 15 साल के बच्चे को सख्त रिहैबिलिटेशन सेंटर में भेजा गया था, जबकि उसके माता‑पिता ने कहा कि वह घर पर रहकर पढ़ाई कर सकता है। ऐसी स्थिति में अदालत आमतौर पर बोर्ड की राय का पुनर्मूल्यांकन करती है।

अगर आप या आपके किसी परिचित को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से जुड़ी समस्या है, तो सबसे पहला कदम स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता या वकील से सलाह लेना चाहिए। कई NGOs मुफ्त कानूनी मदद भी देती हैं। याद रखें कि बोर्ड का मुख्य उद्देश्य दंड नहीं बल्कि सुधार है, इसलिए हर अवसर पर बातचीत और समझौते की कोशिश करनी चाहिए।

जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को समझना कठिन नहीं है – यह बस एक विशेष न्याय व्यवस्था है जो बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए बनाई गई है। जब आप इस विषय में पढ़ेंगे, तो आपको पता चलेगा कि कैसे छोटे‑छोटे निर्णय बड़े बदलाव लाते हैं और समाज में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

पुणे पोर्श दुर्घटना: घातक दुर्घटना के बाद पिता गिरफ्तार, कोसी और ब्लैक बार सील
Jonali Das 0

पुणे पोर्श दुर्घटना: घातक दुर्घटना के बाद पिता गिरफ्तार, कोसी और ब्लैक बार सील

पुणे में एक घातक कार दुर्घटना के बाद, जिसमें दो 24 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मौत हो गई, 17 वर्षीय चालक के पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। नाबालिग चालक द्वारा कथित तौर पर नशे की हालत में तेज रफ्तार पोर्श से दो राइडर्स को टक्कर मार दी गई थी। इस घटना ने आक्रोश भड़का दिया है, खासकर किशोर को किशोर न्याय बोर्ड (JJB) द्वारा दी गई सजा की उदारता को लेकर।