सूर्यकुमार यादव को बीसीसीआई सचिव जय शाह से 'सर्वश्रेष्ठ फील्डर' का अवार्ड मिला। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ निर्णायक कैच लेने के लिए यह अवार्ड दिया गया। भारतीय टीम की फील्डिंग की तारीफ की गई। टीम की त्याग, सामंजस्य और दृढ़ता की प्रेरणा दी गई।
जय शाह की बिसीसीआई यात्रा: भूमिका, काम और भविष्य
जब हम आज के भारतीय क्रिकेट की बात करते हैं, तो जय शाह का नाम सबसे पहले दिमाग में आता है। 28 साल की उम्र में ही वह बीसीसीआई के सीक्रेटरी बन गए और जल्दी ही कई बड़े बदलावों के पीछे उनका हाथ दिखा। आप सोच रहे होंगे कि इतनी कम उम्र में इतना बड़ा काम कैसे संभाला? चलिए जानते हैं उनके सफर, प्रमुख कदम और आगे का रास्ता।
जय शाह की प्रमुख पहल
सबसे पहले उन्होंने घरेलू टुर्नामेंटों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की कोशिश की। आईपीएल के साथ-साथ स्थानीय लीगों में भी लाइव स्ट्रीमिंग और डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल हुआ, जिससे छोटे शहरों के खिलाड़ियों को भी राष्ट्रीय मंच मिल गया। दूसरी बड़ी पहल थी बीसीसीआई के वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाना—नयी ऑडिट प्रणाली और ऑनलाइन खर्च ट्रैकिंग ने कई सवालों का जवाब दिया।
तीसरा कदम था अंतरराष्ट्रीय शेड्यूल को भारतीय मौसम के अनुकूल बनाना। पिछले साल से ही टेस्ट मैचों की तारीखें सर्दी के दौरान तय की गईं, जिससे खिलाड़ियों को बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिला। इससे भारत ने लगातार 3‑स्टार जीत हासिल की और दर्शकों की संख्या भी बढ़ी।
आगे का रास्ता
अब सवाल ये है कि अगले पाँच सालों में जय शाह क्या कर सकते हैं? एक संभावना है महिला क्रिकेट को अधिक प्रोफेशनल बनाना—नई लीग, बेहतर वेतन और प्रशिक्षण सुविधाएं इस दिशा में कदम हो सकते हैं। दूसरा लक्ष्य युवा टैलेंट स्काउटिंग नेटवर्क का विस्तार है; ग्रामीण स्कूलों से सीधे चयन प्रक्रिया शुरू करने की बात चल रही है।
साथ ही, तकनीकी नवाचार पर भी ध्यान है। एआई‑आधारित खिलाड़ी प्रोफ़ाइल बनाकर टीम मैनेजमेंट को सटीक डेटा देना उनकी योजना में शामिल है। इससे चोटों की रोकथाम और बॅटिंग स्ट्रेटेजी दोनों में सुधार होगा।
हालांकि कुछ आलोचक कहते हैं कि इतने तेज़ बदलाव से पारंपरिक फॉर्मेट पर असर पड़ सकता है, लेकिन जय शाह का मानना है कि बदलाव के बिना क्रिकेट कभी नहीं चल पाएगा। उनका कहना है—"बदलाव डर नहीं, अवसर लाता है।" इस सोच ने कई नई पहल को जन्म दिया है और आगे भी जारी रहेगा।
संक्षेप में कहें तो जय शाह सिर्फ एक नौजवान अधिकारी नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट का नया दिशा‑निर्देशक हैं। उनका काम अभी शुरू ही हुआ है, पर अब तक किए कदमों से पता चलता है कि भविष्य में भारत की क्रिकेट और भी मजबूत, तेज़ और विश्वसनीय होगी। आप अगर इस बदलाव को करीब से देखना चाहते हैं, तो अगले बीसीसीआई के घोषणापत्र पर नजर रखें—जय शाह का अगला बड़ा कदम शायद अभी आपके सामने ही हो।