भारतीय तेज गेंदबाज हरषित राणा ने 31 जनवरी 2025 को टी20 अंतरराष्ट्रीय प्रारूप में एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया जब उन्होंने चोट विकल्प के रूप में पदार्पण किया। पुणे में भारत और इंग्लैंड के बीच मैच के दौरान ऑल-राउंडर शिवम दुबे को चोट लगने के बाद राणा ने यह मौका प्राप्त किया। राणा ने अपने पहले मैच में ही महत्वपूर्ण प्रदर्शन कर भारत की 15 रनों की जीत में अहम भूमिका निभाई।
चोट विकल्प – चोट से जल्दी राहत और सही इलाज के आसान तरीके
कोई भी छोटी-मोटी चोट हमारे रोजमर्रा की ज़िंदगी में बाधा बन सकती है. लेकिन घबराने की जरूरत नहीं—कुछ सरल उपायों से दर्द घटाया जा सकता है और ठीक होने की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है। इस लेख में हम आपको बताएँगे कि चोट के बाद तुरंत क्या करना चाहिए, कौन‑से घर के साधन मददगार हैं, और कब डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी है। पढ़ते रहिए, आपके सवालों के जवाब यहाँ मिलेंगे।
घर पर तुरंत राहत कैसे पाएं
चोट लगने के बाद पहली चीज़ होती है पहली मदद (first aid). अगर खरोंच या छोटे घाव हैं तो उन्हें साफ पानी से धोएँ, फिर हल्के एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएँ। टाईट बैंडेज या गैजेट नहीं, बल्कि हवादार कपड़े का प्रयोग करें ताकि रक्तस्राव कम हो और संक्रमण का खतरा घटे।
अगर मोच या खिंचाव है तो आराम (RICE) विधि अपनाएँ: Rest (आराम), Ice (बर्फ़), Compression (दबाव) और Elevation (ऊँचा उठाना)। बर्फ़ को कपड़े में लपेट कर 15‑20 मिनट तक चोट वाले हिस्से पर रखें, फिर हटाएँ – इससे सूजन कम होती है। इसके बाद एलेवेशन के लिए तकिया या कुशन से पैर/हाथ को ऊँचा रखिए, यह रक्त प्रवाह सुधरता है और दर्द घटता है।
घरेलू उपाय भी काम आते हैं: हल्दी‑अदरक पेस्ट दर्द निवारण में मदद करती है, लहसुन की कली का रस एंटी‑बैक्टीरियल गुण देता है. इनको मिलाकर पतला पेस्ट बनाएँ और चोट पर धीरे‑धीरे लगाएँ। लेकिन अगर त्वचा पर एलर्जी या जलन हो तो तुरंत धो दें।
डॉक्टर को कब दिखाएँ
कई बार लोग छोटी चोटों को हल्के में लेते हैं, पर कुछ संकेत होते हैं जो डॉक्टर की जरूरत बताते हैं। अगर रक्तस्राव लगातार 10‑15 मिनट से नहीं रुकता, या घाव का आकार बढ़ रहा है तो तुरंत मेडिकल मदद लें। साथ ही, यदि दर्द तीव्र है और हाथ/पैर को हिलाने में कठिनाई हो रही है, या सूजन दो दिन से ज्यादा बनी रहे—इन सबको गंभीर मानें।
खून की गड़बड़ी के लक्षण जैसे बुखार, उल्टी या चक्कर भी डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ मामलों में X‑ray या MRI की जरूरत पड़ती है ताकि हड्डी या टेंडन में चोट नज़र आए और सही उपचार तय हो सके। याद रखें, समय पर इलाज से बाद में जटिलता कम होती है और फ़िज़िकल थेरेपी आसान बनती है।
अंत में, चोट के बाद पुनर्वास भी ज़रूरी है। हल्की स्ट्रेचिंग, फिज़ियोथेरेपिस्ट की सलाह से धीरे‑धीरे व्यायाम शुरू करें। यह न केवल गति बहाल करता है बल्कि मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, जिससे फिर से चोट लगने का जोखिम कम होता है।
तो अगली बार जब कोई छोटी-सी चोट लगे, तो घबराएँ नहीं—ऊपर बताए गए कदमों को अपनाएँ और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर के पास जाएँ। सही चोट विकल्प चुनें, दर्द को दूर रखें और फिर से अपनी रोज़मर्रा की एक्टिविटी में वापस लौटें।