आयकर वर्ष 2025-26 की ITR फ़ाइलिंग डेडलाइन 31 जुलाई से 15 सितंबर तक बढ़ाई गई, फिर तकनीकी कारणों से 16 सितंबर तक बढ़ी। सोशल मीडिया पर 30 सितंबर तक के विस्तार की अफवाहें फैली, पर आयकर विभाग ने इन्हें खारिज किया। देर से फाइल करने पर सेक्शन 234F के तहत 5,000 रुपये का दंड लगेगा। टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की नई माँगों पर राजस्थान हाई कोर्ट ने 30 अक्टूबर तक की अंतरिम वृद्धि का आदेश दिया।
CBDT – भारत का आयकर नियंत्रण केन्द्र
जब बात CBDT, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज़, यानी भारत सरकार का वह विभाग जो आयकर नीति बनाता और लागू करता है. Also known as सेंटरल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज़, it coordinates the Income Tax Department, issues circulars and monitors compliance across the country. यह सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि हर वित्तीय वर्ष में लाखों करदाताओं की रिपोर्टिंग, कर वसूल और दंड प्रक्रिया को संकलित करने वाला हब है. नीचे हम देखेंगे कि CBD सीटियों, डेटा शेयरिंग और डिपोर्टेशन जैसे जटिल मुद्दे कैसे इसके अधीन आते हैं।
आयकर विभाग – CBDT का मुख्य संचालन इकाई
CBDT के नीचे आयकर विभाग, वित्त मंत्रालय के तहत कार्य करने वाला ऑफिस जो कर रिटर्न एकत्र, प्रोसेस और जांच करता है काम करता है. यह विभाग रिटर्न फ़ाइलिंग, टैक्स ऑडिट, और टैक्स करप्शन रोके के लिए पैन, आडिट‑ड्रिल‑डाउन जैसे टूल लागत करता है. जब आयकर विभाग के एजेंट टैक्स‑रिटर्न की जांच करते हैं, तो वे CBDT के दिशा‑निर्देशों पर कार्रवाई करते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई विदेशी विज़ा‑होल्डर (F‑1 या H‑1B) के पास टैक्स‑इन्कम की गलती पायी जाती है, तो आयकर विभाग इसे CBDT के रिपोर्ट के आधार पर अन्य प्रतिसंगठनों को भेजता है. इसलिए CBDT और आयकर विभाग का रिश्ता एक हाथ से दूसरे को निर्देश देने और कर्म को निष्पादित करने का संचालन‑मॉडल है.
एक और अहम संकल्पना जो CBDT से जुड़ी है वो है डेटा साझाकरण. 2025 में IRS, अमेरिका की इंटरनल रिवेन्यू सर्विस, जो टैक्स डेटा को इकट्ठा करती है ने अपनी टैक्स फ़ाइलिंग की जानकारी को सीधे ICE और USCIS के साथ साझा किया था. इस साझाकरण का सीधा असर CBDT पर पड़ता है क्योंकि भारत में फॉरेन‑स्टूडेंट और हाई‑टेक विज़ा‑होल्डर पर क्रॉस‑बॉर्डर टैक्स कम्प्लायांस की जाँच की जाती है. जब IRS डेटा CBDT को भेजा जाता है, तो आयकर विभाग इसे बेस बनाकर किसी भी डिपोर्टेशन के कदम को सही साबित करने के लिए इस्तेमाल करता है. यही कारण है कि टैक्स डेटा साझाकरण अब एक सिक्योरिटी इश्यू से ज्यादा टैक्स एंटी‑फ्रोड के संदर्भ में महत्वपूर्ण हो गया है.
इसी के साथ, डिपोर्टेशन खतरा, विज़ा‑होल्डर को भ्रष्ट आयकर रिपोर्ट की बुजुर्गी के कारण इमिग्रेशन इकाई द्वारा देश से बाहर करना अब CBDT की इंटेलिजेंस जाँच का एक परिणाम है. उदाहरण के लिए IRS‑डेटा शेयरिंग से साफ हुआ कि कई F‑1 स्टूडेंट ने विट‑टैक्स छूट का दुरुपयोग किया था, जिसके परिणाम स्वरूप ICE ने डिपोर्टेशन का शिकायत फाइल की और CBDT को सहयोग का आह्वान किया था. इससे स्पष्ट होता है कि डेटा‑साझा करने से देर‑हाई टैक्स जाँच सामान्य हो रही है और भ्रष्टाचार को रोका जाता है.
CBDT के कार्य‑क्षेत्र में फॉरेन‑टैक्स रिपोर्टिंग के लिए की‑डब्ल्यू सी‑भी होती है. इसका एक उदाहरण है ‘क्लाइंट डेटा अभिगमन टूल’ जोकि आधुनिक डेटाबेस टेक्नोलॉजी पर आधारित है. यह टूल नए व्यक्तियों के टैक्स डेटा को रियल‑टाइम में स्कैन करता है और इन्लॉन्ग फ़्लैग जारी करता है. इस सिस्टम की स्थिति से CBDT तीव्र रूप से अनियमित हॉल्डर को पहचान सकता है, और साथ‑साथ आईआरएस के डेटा से क्रॉस‑वेरिफिकेशन भी करता है. इस प्रक्रिया को ‘टैक्स एंटी‑फ्रोड इंटीग्रेशन’ कहा जाता है, जो आधुनिक आर्थिक परिस्थिति में एक कुंजी भुमिका निभाता है.
इन सभी तत्वों को देखते हुए हमें समझ आता है कि CBDT अब सिर्फ रिविन्यू जेनरेट करने‑वाला सरकारी संस्था नहीं, बल्कि डेटा‑ड्रिवेन पॉलिसी‑मेकर है जो देश के टैक्स इकोसिस्टम को सुरक्षित रखता है. यदि आप टैक्स फाइलिंग करते हैं या विदेशी विज़ा होल्डर हैं, तो CBDT के निर्देश को समझना आपकी सुरक्षा में सीधा योगदान देता है. नीचे दी गई संग्रहित समाचार और लेख इन बिंदुओं पर विस्तार करते हैं, जिससे आपको वास्तविक परिस्थितियों में CBDT के प्रभाव का पता चल जाएगा.
आगे जाकर आप पाएँगे कैसे CBDT के नए राउंड‑टैक्स अभियान, डेटा‑शेयरिंग की विनियमित परिवर्तन और डिपोर्टेशन क़ानून पर विचार‑विमर्श है. ये लिंक सिर्फ़ जानकारी नहीं, बल्कि आपकी टैक्स कम्प्लायंस को सशक्त बनाने के लिए प्रैक्टिकल इंसाइट प्रदान करते हैं. पढ़ते जाइए और समझिए की CBDT आपके फायदे के लिए कैसे काम करता है.