गौतम गंभीर को भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम का नया मुख्य कोच नियुक्त किया गया है, जिन्होंने राहुल द्रविड़ की जगह ली है। गंभीर के सामने सभी तीनों फॉर्मेट्स में बड़ी चुनौतियाँ हैं, खासकर टेस्ट क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर।
भारतीय क्रीकेट कोच क्या करते हैं?
जब आप क्रिकेट देखते हैं तो अक्सर सिर्फ बैट या गेंदबाज़ पर ध्यान देते हैं, लेकिन पीछे की टीम जो जीत दिलाती है वह कोच होती है। भारत में कई कोचों ने युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाया है। उनका काम सिर्फ तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक समर्थन और रणनीतिक योजना बनाना भी है।
कोचिंग की बुनियादी बातें
एक अच्छा क्रीकेट कोच पहले खिलाड़ी के मूलभूत कौशल पर फोकस करता है – सही पकड़, सटीक लाइन‑ऑफ‑लेग और फ़ील्डिंग का एंगल। फिर धीरे‑धीरे बैटिंग या बॉलिंग की विभिन्न शैलियों जैसे स्विंग, स्पिन, पावरहिट आदि को जोड़ता है। प्रशिक्षण के दौरान छोटे‑छोटे लक्ष्य निर्धारित करके खिलाड़ी को निरंतर सुधार महसूस कराते हैं।
मन का खेल भी उतना ही जरूरी है। कई बार एक बॉल से आउट होना या सिक्स न मिलना मानसिक दबाव बन जाता है। कोच उन स्थितियों में खिलाड़ियों को शांति बनाए रखने के लिए विश्राम तकनीक, सकारात्मक सोच और वीडियो एनालिसिस कराते हैं। इससे खिलाड़ी खुद पर भरोसा रखता है और कठिन परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करता है।
भारतीय क्रिकेट के प्रमुख कोचों की कहानी
राहुल द्रविड़ – ‘टीम इंडिया का बंधु’ के नाम से जाने वाले द्रविड़ ने 2021‑2023 में टीम को नई दिशा दी। उन्होंने बैटिंग में तकनीकी बदलाव, फील्डिंग पर ज़ोर और युवा खिलाड़ियों को अवसर दिया। उनके अधीन कई नवोदित सितारे जैसे रिवा जैन और शार्दुल ठाकुर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमके।
गुस्ताव मैन्युअल – एक विदेशी कोच, जिन्होंने 2022 में भारत के तेज़ गेंदबाज़ों की गति बढ़ाने पर काम किया। उनके ट्रेनिंग सत्र में जिम वर्कआउट और बायोमैकेनिक्स का इस्तेमाल कर गेंदबाजों ने अपने रफ़्तार में औसत 5‑6 किमी/घंटा वृद्धि देखी।
हरषित राणा की कहानी भी कोचिंग से जुड़ी है, क्योंकि उसकी टि20 डेब्यू के पीछे कई कोचों का योगदान रहा। उन्होंने छोटे‑छोटे सत्र में बाउंड्री मारने के लिए नई शॉट चयन और फील्ड प्लेसमेंट सिखाई। परिणामस्वरूप राणा ने पहले मैच में ही 15 रन बनाए और टीम की जीत में मदद की।
इन कोचों की सफलता का कारण उनके व्यक्तिगत अनुभव और आधुनिक तकनीक को मिलाकर काम करना है। चाहे वह वीडियो एनालिसिस हो या डेटा‑ड्रिवेन स्ट्रैटेजी, हर कदम पर खिलाड़ी के विकास को प्राथमिकता दी जाती है।
अगर आप एक उभरते क्रिकेटर हैं तो सही कोच चुनना आपके करियर में बड़ा फर्क डाल सकता है। सबसे पहले देखें कि वह कोच किन क्षेत्रों में माहिर है – बैटिंग, बॉलिंग या फ़ील्डिंग। फिर पूछें कि उनका ट्रेनिंग प्रोग्राम कैसे बनता है और क्या वो व्यक्तिगत फीडबैक देते हैं।
एक अच्छा कोच हमेशा खिलाड़ियों से सवाल पूछेगा: ‘अगली बार तुम इस शॉट को कैसे बदलोगे?’ यह प्रश्न खिलाड़ी को खुद सुधारने पर मजबूर करता है, बजाय केवल सुनने के। यही प्रक्रिया लगातार प्रगति का राज़ है।कोचिंग सत्र में अक्सर छोटे‑छोटे अभ्यास होते हैं – जैसे 20 मिनट की नेट प्रैक्टिस, फिर वीडियो देख कर त्रुटियों को पहचानना। यह रूटीन खिलाड़ी को मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से तैयार रखता है।
अंत में यह कहा जा सकता है कि भारत के क्रीकेट कोच सिर्फ तकनीक सिखाते नहीं, बल्कि खिलाड़ियों को आत्मविश्वास देते हैं। यही कारण है कि भारतीय क्रिकेट लगातार नई ऊँचाइयों पर पहुंच रहा है। आप भी अगर इस खेल से जुड़ना चाहते हैं तो सही कोच की तलाश शुरू करें – आपका भविष्य उसी पर निर्भर करेगा।