प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पिछले तीन वर्षों में यह विकास दर स्थिर है। मोदी ने भारत को सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बताया और आगामी केंद्रीय बजट को विकासित भारत की नींव बताया।
2025 का बजट सत्र – क्या बदला, कैसे समझें?
हर साल फरवरी में वित्त मंत्री अपना बजट पेश करता है। इस बार भी कई बातें आम आदमी के जेब पर असर डालती हैं। आप चाहते हैं कि बजट की जटिल बातों को जल्दी समझ सकें? तो पढ़िए नीचे आसान सारांश, जहाँ हम प्रमुख बदलावों को सरल शब्दों में बताते हैं।
नए कर स्लैब और मध्यम वर्ग के लिये राहत
सबसे पहले, आयकर स्लैब में हल्की कमी आई है। 2025 के बजट में 30 % टैक्स वाले लोग अब 28 % पर आ गए हैं, जबकि 20 % वाले को 18 % कर दिया गया। इसका मतलब यह है कि समान आय पर कम टैक्स देना पड़ेगा। मध्यम वर्ग की आमदनी 6 लाख से 10 लाख के बीच रहने वालों को अतिरिक्त छूट मिली है – सालाना लगभग 15 हज़ार रुपये तक का बचाव संभव है।
यदि आप इस बदलाव को अपनी वित्तीय योजना में जोड़ना चाहते हैं, तो बस अपने टैक्स कैल्कुलेटर में नई स्लैब डालें और देखिए कितना बचत होगा। यह छोटी‑छोटी गणनाएँ साल भर के बजट को संतुलित करने में मदद करती हैं।
80C कटौती में नया अपडेट
अब 80C की सीमा 1.5 लाख से बढ़कर 2 लाख हो गई है। आप अपने PF, जीवन बीमा प्रीमियम, एएलएससी आदि को इस नई सीमा तक जोड़ सकते हैं। अगर आपके पास अभी भी बचत विकल्प नहीं हैं, तो आज ही एक पीपीएफ या टैक्स‑सेविंग फिक्स्ड डिपॉज़िट खोलें – दोनों ही 80C में गिने जाते हैं और ब्याज दर भी अच्छी है।
ध्यान रखें कि नई सीमा का पूरा फायदा उठाने के लिए आपको अलग‑अलग निवेशों को सही समय पर मिलाना होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर आप PF से 60 हज़ार, जीवन बीमा प्रीमियम से 40 हज़ार और PPF में 1 लाख जमा करते हैं, तो आप पूरे 2 लाख की छूट का लाभ ले सकते हैं।
बजट के अन्य मुख्य बिंदु भी महत्वपूर्ण हैं: सरकारी खर्च में स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक फोकस, छोटे उद्यमों को टैक्स रिवॉर्ड, तथा इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को प्रोत्साहन देने वाले सब्सिडी योजना का विस्तार। इन सभी पहलुओं से रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है, खासकर मैन्युफैक्चरिंग और टूरिज़्म सेक्टर में।
यदि आप छोटे व्यवसाय चलाते हैं, तो नई रिफंड स्कीम पर नजर रखें। 2025 बजट में डिजिटल पेमेंट्स को अपनाने वाले व्यापारियों को अतिरिक्त 2 % टैक्स क्लीयरेंस छूट मिली है। इसका मतलब यह है कि ई‑कॉमर्स या स्टार्टअप चलाने वालों के लिए नकद लेन-देन की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक ट्रांज़ैक्शन अधिक फायदे मंद रहेगा।
अब बात करते हैं बचत और निवेश की। बजट ने म्युचुअल फंड्स के टैक्स‑फ्रेंडली स्कीम को भी सुदृढ़ किया है, जिससे लंबी अवधि में रिटर्न बेहतर हो सकते हैं। अगर आप अभी तक इन योजनाओं का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो एक वित्तीय सलाहकार से मिलकर अपने पोर्टफ़ोलियो को पुनः व्यवस्थित करें।
अंत में, बजट सत्र पढ़ते समय याद रखें – यह सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि आपकी आर्थिक दिशा तय करने वाला नक्शा है। छोटे‑छोटे बदलावों को समझ कर आप बड़ी बचत कर सकते हैं और भविष्य की योजना बना सकते हैं। यदि कुछ स्पष्ट नहीं रहा तो टिप्पणी में पूछें, हम जवाब देंगे!