राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि केस में यूपी के सुलतानपुर की विशेष अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 5 सितंबर की तारीख तय की है। यह केस भाजपा नेता विजय मिश्रा द्वारा दायर किया गया था जिसमें गांधी पर 2018 में बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है।
अमित शाह – राजनीति में तेज़ी से बढ़ते सितारे
अगर आप भारतीय राजनीति की बात करते हैं तो अमित शाह का नाम तुरंत दिमाग में आता है। वह भाजपा के मुख्य कार्यकारियों में से एक और वर्तमान भारत के गृह मंत्री हैं। सालों से पार्टी के चुनावी कारनामे, सुरक्षा पहल और कानून सुधार में उनका हाथ रहा है। इस लेख में हम उनके जीवन, करियर, प्रमुख कदम और आज की राय को आसान भाषा में समझेंगे।
शुरुआत और राजनीति तक का रास्ता
अमित शाह 1964 में गुजरात के अहमदाबाद में जन्मे। पढ़ाई‑लिखाई के बाद उन्होंने अपना राजनीतिक सफ़र बीजेपी से शुरू किया। 2001 में उन्हें पार्टी में मुख्य कार्यकारी (सीसी) बनाया गया, और जल्दी ही वे राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे। उनका काम सिर्फ संगठनात्मक नहीं था; वह चुनावी रणनीति बनाते, मैदान तैयार करते और अक्सर विरोधियों के खिलाफ तेज़ कदम उठाते रहे।
गृह मंत्री का रोल – सुरक्षा से लेकर कानून तक
2019 में उन्हें गृह मंत्री पद मिला। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कई बड़े फैसले लिए:
- राष्ट्रीय सुरक्षा योजना: आतंकवाद के खिलाफ विशेष इकाइयों की तैनाती और जमीनी स्तर पर निगरानी को तेज़ किया।
- नागरिकता (संशोधन) एक्ट 2019: यह कानून विदेशी नागरिकों को भारतीय बनना आसान बना, लेकिन साथ ही इसको कई बार विवाद का मुद्दा भी बनाया गया।
- ड्रग्स के खिलाफ अभियान: ड्रग सेवन और तस्करी को रोकने के लिए सख्त नीतियां लागू कीं, जिससे कई राज्यों में गिरावट देखी गई।
इन कदमों ने उन्हें जनता के बीच ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी चर्चा का केंद्र बना दिया। कुछ लोग उनका कहना है कि उन्होंने देश को अधिक सुरक्षित बनाया, जबकि अन्य कहते हैं कि अधिकारों की सीमाएं धुंधली हो गईं।
अमित शाह की चुनावी रणनीति ने भाजपा को 2014 और 2019 दोनों बार भारी जीत दिलाई। "डायनैमिक कॅम्पेन" शब्द उनके द्वारा अपनाए गए डिजिटल, जनसंपर्क और व्यक्तिगत संपर्क के मिश्रण को दर्शाता है। उन्होंने छोटे शहरों में मुद्दे उठाए, युवा वर्ग को आकर्षित किया और सामाजिक मीडिया का भरपूर उपयोग किया। परिणामस्वरूप पार्टी की वोट बैंक विस्तारित हुई।
विवादों की बात करें तो अमित शाह कई बार आलोचना के दायरे में रहे हैं। नागरिकता कानून, राष्ट्रीय पहचान पंजीकरण (एनआरआई) और कुछ मामलों में विरोधी नेताओं पर दबाव बनाने का आरोप उन्हें मिला है। लेकिन हर विवाद के बाद वह अक्सर सार्वजनिक मंच पर अपने निर्णय को स्पष्ट करते हुए कहा कि "देश की सुरक्षा पहले आती है"।
आज अमित शाह राजनीति में एक ऐसा चेहरा हैं, जिसके बारे में लोग या तो बहुत समर्थन देते हैं या फिर कड़ी आलोचना। उनका लक्ष्य हमेशा राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाना रहा है, चाहे वह कानून सुधार हो या चुनावी जीत। अगर आप उनकी नीतियों की गहराई समझना चाहते हैं, तो उनके सार्वजनिक भाषण, संसद में पूछताछ और मीडिया इंटरव्यू देख सकते हैं।
भविष्य के बारे में सवाल उठता है – क्या वह अगले बड़े चुनावों में भी वही भूमिका निभाएंगे? उनका प्रभाव अभी भी पार्टी और सरकार दोनों में गहरा है, इसलिए संभावना बड़ी है कि वे आगे भी महत्वपूर्ण फैसले लेते रहेंगे। चाहे आप उन्हें पसंद करें या नापसंद, अमित शाह की राजनीति भारत के बदलते परिदृश्य का अहम हिस्सा बन चुकी है।