शेयर बाजार में भारी गिरावट: कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच निफ्टी और सेंसेक्स पर दबाव
भारतीय शेयर बाजारों में 5 अगस्त को कमजोर शुरुआत होने की संभावना है, क्योंकि वैश्विक बाजारों में कमजोरी देखने को मिल रही है। गिफ्ट निफ्टी के संकेतों के अनुसार बाजारों में दिनभर अस्थिरता बनी रह सकती है। इस समय निवेशकों में उच्च स्तर की चिंता देखी जा रही है, जिसकी वजह से बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की संभावना जताई जा रही है।
आर्थिक मंदी के डर
अर्थव्यवस्था में मंदी का खतरा सबसे बड़ा कारक है, जो नकारात्मक भावना को बढ़ावा दे रहा है। जुलाई माह में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नकदी संकट अधिक देखा गया, जिससे केवल 1,14,000 नौकरियां ही जुड़ पाईं, जबकि पिछले साल की मासिक औसत 2,15,000 नौकरियों की थी। बेरोजगारी दर 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो अक्टूबर 2021 के बाद से सबसे अधिक है। वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीदों पर निर्भर थी, ठप हो गई है। अमेरिकी बाजारों ने अपना सबसे खराब दिन 2020 के बाद देखा।
जापान की नीतियां
जापान के सेंट्रल बैंक ने अपनी बेंचमार्क ब्याज दर को बढ़ा दिया है, जिससे जापानी येन का मूल्य अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बढ़ गया है। इस कदम से 'कैरी ट्रेड' रणनीति पर लघु विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा व्यापारियों को नुकसान हो सकता है।
ईरान-इज़राइल तनाव
मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है, क्योंकि इजराइल द्वारा हमास और हिजबुल्लाह के सैन्य प्रमुखों की हत्या के बाद ईरान, हमास और हिज्बुल्लाह ने प्रतिक्रिया देने की कसम खाई है। स्थिति हिंसक होने की संभावना से तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, हालांकि वे इस समय कमजोर मांग के चलते 8 महीने के न्यूनतम स्तर पर हैं।
शुरुआती तिमाही के कमजोर प्रदर्शन
जून माह में समाप्त तिमाही के लिए कमाई की वृद्धि कमजोर रही है। अब तक रिपोर्ट किए गए 30 निफ्टी 50 कंपनियों ने केवल 0.7 प्रतिशत साल दर साल की वृद्धि दर्ज की है, जबकि तिमाही दर तिमाही 9.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। बैंकिंग, वित्तीय सेवा और इंश्योरेंस (BFSI) और ऑटो सेक्टर ने कमजोर वृद्धि का नेतृत्व किया है।
तात्कालिक संकेतकों की अनुपस्थिति
निवेशक कमाई के मौसम, बजट और अमेरिकी फेडरल रिजर्व से संकेतकों की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन ये सब हो चुके हैं, जिससे बाजार में तात्कालिक स्टीम उत्पन्न करने हेतु नए संकेतकों की अनुपस्थिति देखी जा रही है। इन सभी कारकों ने मिलकर निवेशकों की नकारात्मक भावना और बाजार की गिरावट में योगदान किया है।
इन सभी मुद्दों के बीच, भारतीय बाजारों के लिए चुनौतियां और अस्थिरताएं बनी रहेंगी। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक ग्लोबल मार्केट्स में सुधार नहीं होता और निवेशकों का विश्वास वापस नहीं आता, तब तक बाजार में किसी भी प्रकार की तेजी की उम्मीद करना मुश्किल है। भारतीय निवेशकों को संयम और सतर्कता का पालन करना चाहिए। साथ ही, अपनी निवेश रणनीतियों को पुनः जांचते हुए, बाजार में तात्कालिक घटनाओं के आधार पर अपने पोर्टफोलियो का पुनर्गठन करना आवश्यक हो सकता है।