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सेरेना विलियम्स के 23 ग्रैंड स्लैम: पढ़ाई, कोचिंग और करियर की पूरी कहानी

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सेरेना विलियम्स के 23 ग्रैंड स्लैम: पढ़ाई, कोचिंग और करियर की पूरी कहानी
Jonali Das 0 टिप्पणि

23 ग्रैंड स्लैम सिंगल्स खिताब—यह किसी भी खिलाड़ी के लिए अंतिम पहचान हो सकती है। लेकिन सेरेना विलियम्स की कहानी सिर्फ नंबरों की नहीं है। उनकी पढ़ाई, कोचिंग के तरीके और करियर के फैसले उतने ही दिलचस्प हैं जितने उनके विनिंग शॉट्स। कॉम्पटन की पब्लिक कोर्ट्स से लेकर फ्लोरिडा की अकादमी और फिर फैशन व प्री-मेड की पढ़ाई—हर मोड़ पर उन्होंने यह तय किया कि कोर्ट के बाहर भी क्लासरूम खुला रहना चाहिए।

मिशिगन के सैगिनॉ में 1981 में जन्मी सेरेना के माता-पिता रिचर्ड विलियम्स और ओरेसीन प्राइस ने खुद किताबों और वीडियोज़ से टेनिस सीखा और बेटियों को सिखाना शुरू किया। तीन साल की उम्र में खिलौने वाले रैकेट से शुरुआत हुई, फिर रैकेट बदला, कोर्ट बदले, पर रूटीन वही रहा—लंबी प्रैक्टिस और होमस्कूलिंग। यह तालमेल आगे चलकर उनकी पहचान बना।

शुरुआती साल, कोचिंग और पढ़ाई

पांच साल की उम्र में परिवार कॉम्पटन, कैलिफोर्निया आ गया। यहां की पब्लिक कोर्ट्स पर घंटों ड्रिल होती थी और घर पर पढ़ाई। रिचर्ड सख्त कोच थे—पर उनकी प्राथमिकता साफ थी: खेल और शिक्षा साथ-साथ। यह मॉडल आसान नहीं था, पर इसी ने दोनों बहनों की बुनियाद मजबूत रखी।

नौ साल के होते-होते फ्लोरिडा के वेस्ट पाम बीच में रिक मैकी की अकादमी तक सफर पहुंच गया। यहां प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू हुई। लेकिन दस साल की उम्र में रिचर्ड ने एक बड़ा फैसला लिया—जूनियर टूर्नामेंट्स से विराम। लक्ष्य था समय से पहले थकान और दबाव से बचना, स्किल्स को तराशना और पढ़ाई पर फोकस बनाए रखना। उस दौर में यह कदम असामान्य था, पर आगे चलकर इसी ने उन्हें बड़ी स्टेज के लिए तैयार किया।

चौदह की उम्र में प्रो बनना और फिर हाईस्कूल की पढ़ाई साथ में जारी रखना—यह संतुलन हर किसी के बस की बात नहीं। 1999 में ड्रिफ्टवुड अकादमी से ग्रेजुएशन पूरा हुआ और उसी साल यूएस ओपन का पहला ग्रैंड स्लैम सिंगल्स खिताब भी। इसी साल प्यूमा से 12 मिलियन डॉलर का एंडोर्समेंट करार हुआ। मैचों, ट्रैवल और पढ़ाई के बीच यह एक मैराथन था, स्प्रिंट नहीं।

शुरुआती 2000 के दशक में सेरेना की चैंपियनशिप्स बढ़ती रहीं—ऑस्ट्रेलियन ओपन, विम्बलडन, रोलां गैरो—लेकिन पढ़ाई से उनका रिश्ता नहीं टूटा। परिवार की सोच थी कि करियर चाहे जितना चमके, सीखने की आदत न छूटे। यही कारण है कि बड़े टूर्नामेंट्स के बीच भी वे क्लासेस और असाइनमेंट्स फिट करती रहीं।

रिकॉर्ड्स की रफ्तार अपने आप में कहानी है—23 ग्रैंड स्लैम सिंगल्स खिताब, डबल्स में वीनस के साथ ढेरों जीतें, ओलंपिक गोल्ड—लेकिन यहां फोकस एक अलग धुरी पर है: शिक्षा और फैसले, जिन्होंने इन उपलब्धियों को दिशा दी।

  • 1981: सैगिनॉ, मिशिगन में जन्म
  • 1984: तीन साल की उम्र में टेनिस की शुरुआत
  • 1986: परिवार का कॉम्पटन, कैलिफोर्निया जाना; होमस्कूलिंग और रोज़ की ड्रिल्स
  • 1990: वेस्ट पाम बीच, फ्लोरिडा में रिक मैकी अकादमी
  • 1995: 14 की उम्र में प्रोफेशनल टेनिस
  • 1999: ड्रिफ्टवुड अकादमी से ग्रेजुएशन और यूएस ओपन में पहला सिंगल्स ग्रैंड स्लैम

फैशन, बिजनेस और प्री-मेड: कोर्ट से बाहर की कक्षा

टेनिस के साथ-साथ सेरेना ने अपनी दिलचस्पियों को पढ़ाई की शक्ल दी। फ्लोरिडा के द आर्ट इंस्टिट्यूट ऑफ फोर्ट लॉडरडेल में उन्होंने फैशन डिज़ाइन पढ़ा। कोर्ट पर चाहे जो रंग हो, वे कपड़ों की बनावट, फिट और फंक्शन को लेकर उतनी ही गंभीर रहीं। बाद में इसी पढ़ाई का असर उनके फैशन लेबल ‘S by Serena’ में साफ दिखा—कलेक्शंस में परफॉर्मेंस और स्टाइल का मेल, जो उनके एथलीट अनुभव से आता है।

करियर के अगले पड़ाव पर उन्होंने मैनेजमेंट की पढ़ाई को चुना। यूमैस एमहर्स्ट के आईज़ेनबर्ग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में बिज़नेस मैनेजमेंट शुरू किया और 2014 में अपना फोकस बदलकर प्री-मेड की ओर बढ़ाया—पोषण और होलिस्टिक मेडिसिन। एक टॉप एथलीट के लिए यह स्वाभाविक भी है: ट्रेनिंग, रिकवरी, डाइट, स्लीप—सब कुछ साइंस-ड्रिवन। पोषण की पढ़ाई ने उन्हें यह समझ दी कि शरीर की जरूरतें सिर्फ कैलोरी काउंट नहीं, पूरी आदतों का जोड़ होती हैं।

यही समझ उनके बिज़नेस फैसलों में झलकती है। उनकी निवेश फर्म ने हेल्थ-टेक, वेलनेस, कंज़्यूमर ब्रांड्स और फूड-टेक जैसे क्षेत्रों में हिस्सेदारी ली। विचार साफ रहा—ऐसी कंपनियां जिनके प्रोडक्ट रोजमर्रा की जिंदगी में असर डालें, और जिनकी टीमों में विविधता दिखे। कोर्ट पर जो चीज उन्होंने सीखी—डेटा, अनुशासन और धैर्य—वही स्टार्टअप दुनिया में रिसर्च, ड्यू डिलिजेंस और लॉन्ग-टर्म थीसिस के रूप में दिखी।

प्लांट-बेस्ड डाइट की ओर उनका झुकाव भी इसी कड़ी में आता है। वर्कआउट फेज़ में वे सख्त रूटीन अपनाती रहीं—ऊर्जा, रिकवरी और इन्फ्लेमेशन कंट्रोल पर फोकस। यह सिर्फ फिटनेस की बात नहीं, बल्कि पढ़ाई से निकली समझ का व्यवहारिक रूप है।

फैशन और निवेश के बीच उनकी सामाजिक पहलें भी चलती रहीं—शिक्षा और समुदाय के लिए फंड, स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर में मदद, और लड़कियों की खेल व पढ़ाई तक पहुंच बढ़ाने के प्रयास। कॉम्पटन से निकली बच्ची और बाद में दुनिया की टॉप खिलाड़ी—दोनों अनुभवों ने उन्हें यह सिखाया कि मौके तभी फैलते हैं जब रास्ते पर रोशनी बराबर बांटी जाए।

टेनिस से बाहर की यह ‘कक्षा’ कई बार मुश्किल रही—टूर्नामेंट शेड्यूल, चोटें, यात्रा, और फिर पढ़ाई व बिज़नेस। पर यही बहु-आयामी तैयारी उनकी पहचान बन गई। यह बताती है कि एथलीट होने का मतलब सिर्फ मैच जीतना नहीं; करियर के बाद का जीवन भी तैयार करना है।

अगर आप उनकी यात्रा को एक सूत्र में बुनें, तो पैटर्न साफ है—पहले बुनियाद, फिर विस्तार। पिता का जूनियर्स से ब्रेक का फैसला, होमस्कूलिंग का अनुशासन, हाईस्कूल की पढ़ाई के साथ पहला ग्रैंड स्लैम, फैशन स्कूल में डिज़ाइन की समझ, मैनेजमेंट और फिर प्री-मेड—हर कदम अगले कदम की तैयारी जैसा।

आज जब खेल और शिक्षा के बीच चुनाव का दबाव अक्सर जल्दी आ जाता है, सेरेना का मॉडल एक वैकल्पिक रास्ता दिखाता है—जल्दबाजी नहीं, दीर्घकालीन सोच। सही समय पर ब्रेक, सही समय पर पुश, और हमेशा सीखते रहने का रवैया। यही वजह है कि उनकी विरासत सिर्फ ट्रॉफियों में नहीं, बल्कि उस तरीके में भी दर्ज है जिससे उन्होंने खुद को कोर्ट के बाहर भी तैयार किया।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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