इंदौर में NEET UG 2025: बिजली कटौती से संकट में छात्र
4 मई 2025 को जब देशभर के छात्र NEET UG परीक्षा दे रहे थे, उसी समय इंदौर और उज्जैन के कुछ सेंटरों पर अचानक तेज बारिश और शहरभर में बिजली आपूर्ति ठप हो गई। जिन छात्रों ने मेडिकल जैसी मुश्किल प्रवेश परीक्षा की तैयारी पूरे साल की, वे अचानक अंधेरे और मोमबत्ती की रोशनी में परीक्षा देने को मजबूर हो गए। इस हालात में 75 ऐसे परीक्षार्थियों ने हाई कोर्ट का रुख किया, जिनका दावा है कि पावर कट की वजह से उनकी परीक्षा में गड़बड़ी हुई और उनके करियर पर असर पड़ा।
महाराष्ट्र हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने 9 जून को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NEET UG 2025 के लिए जिम्मेदार संस्था) को आदेश दिया है कि इन 75 छात्रों का रिजल्ट रोक दिया जाए। हालांकि, कोर्ट ने बाकी करीब 8,790 छात्रों का रिजल्ट जारी करने की अनुमति दे दी है, जो इंदौर और उज्जैन के 11 केंद्रों में परीक्षा दे रहे थे। यह हाई कोर्ट का संशोधित फैसला है। इससे पहले 15 मई को कोर्ट ने सभी प्रभावित केंद्रों के रिजल्ट पर रोक लगा दी थी, लेकिन 16 मई को अपना आदेश बदलते हुए केवल याचिकाकर्ताओं के रिजल्ट पर ही रोक लगाई।

क्या होगा 75 छात्रों का? NTA ने चुनौती दी
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने इन 75 छात्रों की दोबारा परीक्षा करवाने के विरोध में कोर्ट में कहा कि लॉजिस्टिक्स यानी व्यवस्थाओं के लिहाज से यह संभव नहीं है। उनके मुताबिक परीक्षा के दौरान हुए व्यवधान को देखते हुए बाकी छात्रों के हित ध्यान रखना भी जरूरी है, क्योंकि हजारों परीक्षार्थी और उनके रिजल्ट इसी फैसले पर निर्भर हैं।
बिजली कटौती के कारण परीक्षा केंद्र के हालात कितने मुश्किल हो गए थे, इसका अंदाजा छात्रों और माता-पिता की शिकायतों से मिलता है। छात्रों का कहना है कि मोमबत्ती या टॉर्च की रोशनी में OMR शीट भरना आसान नहीं था और पेपर समय पर पूरा कर पाना नामुमकिन सा लगता था। कई अभिभावकों ने कहा, 'हमने ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे, बच्चों का भविष्य उधेड़बुन में फंस गया।'
- 23 जून को अदालत में आखिरी सुनवाई होनी है।
- फिलहाल 75 छात्रों के रिजल्ट पर रोक जारी रहेगी।
- बाकी 8,790 परीक्षार्थियों के नतीजे घोषित किए जाएंगे।
- NTA दोबारा परीक्षा कराने के खिलाफ है।
अब सभी की निगाहें 23 जून को आने वाले कोर्ट के फैसले और उसकी वजह से बनने वाली सीटों की स्थिति पर टिकी हैं। मेडिकल कॉलेज में एडमिशन को लेकर छात्र-छात्राएं, माता-पिता और प्रशासन सबकी धड़कनें तेज हैं। इंदौर और उज्जैन के इन छात्रों की परेशानियों ने परीक्षा प्रणाली की कमजोरियों को फिर सामने ला दिया है, जिससे सिस्टम में सुधार की नयी जरूरत निकल आई है।