कोलकाता में नबन्ना मार्च: छात्रों का आक्रोश
कोलकाता में पिछले कुछ दिनों से जारी नबन्ना अभियन काफी उथल-पुथल भरा रहा है। यह रैली पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर आयोजित की गई थी। हाल ही में गठित छात्र संगठन, पश्चिम बंग चत्र समज, ने इस प्रदर्शन की अगुवाई की। 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर की रेप और हत्या के विरोध में छात्रों का यह गुस्सा दिखाई दिया।
पुलिस की अवैध घोषित रैली और उससे जुड़ी हिंसा
कोलकाता पुलिस ने इस मार्च को 'अवैध' घोषित किया और नबन्ना क्षेत्र में पांच से अधिक लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया था।
बावजूद इसके, छात्र डटे रहे और रैली जारी रखी। मार्च पर धारा 144 लागू करने के बावजूद, छात्र प्रदर्शनकारियों ने रैली को आगे बढ़ाया, जिससे स्थिति हिंसक हो गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, जल तोप और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया।
बीजेपी का समर्थन, सीपीआई(एम) और कांग्रेस की दूरी
इस रैली को बीजेपी का समर्थन मिला, जबकि सीपीआई(एम) और कांग्रेस इससे जुड़ने से विरत रहे। सीपीआई(एम) और कांग्रेस ने आरोप लगाया कि कुछ आयोजकों के आरएसएस से संबंध हैं, इसलिए वे दूरी बनाकर रखना उचित समझे।
सीबीआई की जांच और केंद्रीय मंत्री की तीखी आलोचना
उल्लेखनीय है कि इस बलात्कार और हत्या केस की जांच अब सीबीआई कर रही है। सीबीआई ने प्रमुख आरोपी संजय रॉय और पूर्व आरजी कर प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के आधार पर पॉलीग्राफ परीक्षण भी कराए हैं। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने टीएमसी-नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर यौन उत्पीड़न के मामलों में पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है। उन्होंने राज्य में फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की कम संख्या को भी उजागर किया।
भाजपा के आगामी विरोध कार्यक्रम
भाजपा के राज्य अध्यक्ष सुखांता मजूमदार ने 28 अगस्त से 4 सितंबर तक विभिन्न विरोध कार्यक्रमों की घोषणा की है, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट कार्यालयों का घेराव और राज्यव्यापी 'चक्का जाम' शामिल है।
कलकत्ता हाई कोर्ट का निर्णय
वहीं, कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस प्रस्तावित प्रदर्शन रैली पर रोक लगाने की अपील को खारिज कर दिया, जिससे शांतिपूर्ण विरोध के मौलिक अधिकार की पुष्टि हुई।