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Google Gemini साड़ी प्रॉम्प्ट: बिना मेकअप 90s मूवी लुक, ये 3 प्रॉम्प्ट्स करें ट्राय

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Google Gemini साड़ी प्रॉम्प्ट: बिना मेकअप 90s मूवी लुक, ये 3 प्रॉम्प्ट्स करें ट्राय
Jonali Das 12 टिप्पणि

90s का जादू वापस: क्यों छा गया जेमिनी का ‘नैनो बनाना’ साड़ी ट्रेंड

Google Gemini का नया इमेज एडिटिंग ट्रेंड—जिसे यूजर्स ‘नैनो बनाना’ कह रहे हैं—इंस्टाग्राम-रील्स से लेकर व्हाट्सऐप डीपी तक हर जगह दिख रहा है। एक सामान्य फोटो अपलोड करो, प्रॉम्प्ट पेस्ट करो, और कुछ सेकंड में सामने आता है वो विंटेज बॉलीवुड लुक: ग्रेनी फ्रेम, 35mm फिल्म वाला टेक्सचर, और 90s की साफ-सुथरी लाइटिंग। सबसे खास बात—ना मेकअप की जरूरत, ना महंगा शूट।

यह मोड जेमिनी 2.5 फ्लैश की इमेज एडिटिंग क्षमता का इस्तेमाल करता है। लोग इसे ‘नैनो बनाना’ या ‘बनाना आइकन’ मोड कहकर पहचानते हैं, जहां आप फोटो अपलोड कर प्रॉम्प्ट से स्टाइल, लाइटिंग और एटमॉस्फियर बताते हैं। शुरुआत महिलाओं के रेट्रो साड़ी अवतार से हुई—क्लासिक काली साड़ी, हवा में उड़ती पीली शिफॉन, या रेज़-कपूर दौर वाले पोल्का डॉट्स। हेयरस्टाइल में स्मूद, डार्क ब्राउन बाल, हल्का गजरा, और कैमरे पर नैचुरल स्किन—यही फॉर्मूला वायरल हो गया।

मजेदार यह है कि ट्रेंड अब जेंडर-न्यूट्रल हो चुका है। लड़के ‘टीचर लुक’ जैसे प्रॉम्प्ट से क्लासरूम-लाइटिंग, विंटेज शर्ट और फिल्म ग्रेन के साथ अपनी फोटो को सिनेमैटिक बना रहे हैं। कपल्स 90s-रोमांस एस्थेटिक—मानो किसी पुरानी म्यूजिक वीडियो का पोस्टर—क्रिएट कर रहे हैं। नतीजा इतना एडिटोरियल दिखता है कि स्क्रोल रोकना पड़ जाए।

यूजर्स इसे जेमिनी ऐप या Google AI Studio के जरिए आजमा रहे हैं। प्रो टिप: हाई-रेजॉल्यूशन फोटो, साफ बैकग्राउंड और चेहरे की स्पष्टता—इन तीन चीज़ों से आउटपुट कई गुना बेहतर आता है।

कैसे बनाएं 90s मूवी लुक: स्टेप-बाय-स्टेप, 3 धमाकेदार प्रॉम्प्ट और जरूरी टिप्स

कैसे बनाएं 90s मूवी लुक: स्टेप-बाय-स्टेप, 3 धमाकेदार प्रॉम्प्ट और जरूरी टिप्स

शुरू करने के लिए आपको किसी महंगे टूल की जरूरत नहीं। बस सही फोटो और सही प्रॉम्प्ट चाहिए।

  1. Gemini में लॉगिन करें और इमेज एडिटिंग मोड (यूजर्स इसे ‘बनाना’ आइकन से पहचानते हैं) खोलें।
  2. एक क्लियर, सोलो फोटो अपलोड करें—चेहरा फोकस में हो, धुंधला न हो।
  3. यदि विकल्प मिले तो “Keep face realistic/No heavy makeup” जैसे टॉगल चुनें।
  4. नीचे दिए गए किसी प्रॉम्प्ट को कॉपी-पेस्ट करें।
  5. जनरेट पर क्लिक करें, 2-3 वैरिएंट देखें, जो सबसे नैचुरल लगे उसे सेव करें।

अब वे 3 प्रॉम्प्ट जो अभी सबसे ज्यादा चल रहे हैं:

  1. रेट्रो साड़ी पोर्ट्रेट (90s फिल्म पोस्टर स्टाइल): “Create a 90s Bollywood retro portrait of a woman in a classic black chiffon saree, soft breeze, natural skin (no heavy makeup), dark brown silky hair with a small gajra, golden hour backlight, 35mm film grain, slightly desaturated colors, shallow depth of field, editorial framing. Keep the face realistic and flattering.”
  2. ‘टीचर लुक’ (पुरुषों के लिए): “Transform this young man into a cinematic ‘teacher look’ scene: vintage classroom, wooden desk, chalkboard, warm moody lighting, crisp cotton shirt (neutral tones), minimal styling, 90s film grain, subtle vignetting. Keep the face authentic, enhance eyes, no extra facial hair. Looks like a still from a retro Indian drama.”
  3. कपल 90s-रोमांस: “Create a romantic 90s Bollywood couple portrait in light rain, soft pastel colors, chiffon saree and simple shirt, gentle breeze, lens flare, kodak-style film grain, soft focus on faces, tender eye contact, looks like a vintage music-video poster. Keep expressions natural, no excessive skin smoothing.”

अगर आपका बैकग्राउंड बहुत भरा हुआ है तो आउटपुट गड़बड़ा सकता है। फोटो लेने से पहले दीवार, पर्दा या खुला स्पेस चुनें। चेहरे पर हार्श फ्लैश से बचें, खिड़की से आने वाली सॉफ्ट लाइट बेहतर है।

क्या आपकी फोटो में मेकअप पहले से ज्यादा है? प्रॉम्प्ट में “no heavy makeup, natural skin texture” जोड़ें। बाल बिखरे हों तो “sleek hair, minimal flyaways” लिखें।

कुछ यूजर्स पूछते हैं—रंग क्यों बदल जाता है? विंटेज स्टाइल में हल्की डिसैचुरेशन और वार्म टिंट आती है। अगर आपको नेचुरल कलर चाहिए, प्रॉम्प्ट के अंत में “retain original colors, minimal color shift” जोड़ें।

कम्पैरिजन की बात करें, Lensa या स्नैप-फिल्टर्स अक्सर चेहरे को प्लास्टिक जैसा स्मूद कर देते हैं। जेमिनी के प्रॉम्प्ट-आधारित एडिट में आप कंट्रोल ज्यादा पाते हैं—फिल्म ग्रेन कितना हो, लाइटिंग कितनी मूडी हो, यह सब शब्दों से सेट किया जा सकता है।

सेफ्टी और एथिक्स भी याद रखें।

  • किसी और की फोटो एडिट करने से पहले उसकी सहमति लें।
  • माइनर्स/स्कूल फोटोज में ओवर-स्टाइलिंग या भ्रामक बदलाव से बचें।
  • सेलेब्रिटी जैसा चेहरा बनाने वाले प्रॉम्प्ट ना दें—इम्पर्सनेशन की दिक्कत हो सकती है।
  • डेटा प्राइवसी के लिए अपने Google खाते की “डेटा और पर्सनलाइजेशन” सेटिंग चेक करें; जो शेयर न करना चाहें उसे ऑफ रखें।

कंटेंट क्रिएटर्स के लिए यह ट्रेंड सोना साबित हुआ है—रिल्स के कवर, पर्सनल ब्रांडिंग, या थीम्ड फोटो-सीरीज। ब्रांड्स भी रेट्रो-थीम कैंपेन में इसे अपनाने लगे हैं, क्योंकि कम लागत में पोस्टर-जैसी इमेज मिल जाती है।

थोड़ा प्रैक्टिस करें—पांच-दस रन के बाद आपको समझ आ जाएगा कि किन शब्दों से आपकी स्किन टोन, साड़ी की बनावट और लाइटिंग सबसे सही आती है। और हां, ओवरएडिट से बचें। अच्छा विंटेज वही है जो असली लगे, बस पुराने कैमरे की याद दिला दे।

Jonali Das
Jonali Das

मैं समाचार की विशेषज्ञ हूँ और दैनिक समाचार भारत पर लेखन करने में मेरी विशेष रुचि है। मुझे नवीनतम घटनाओं पर विस्तार से लिखना और समाज को सूचित रखना पसंद है।

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टिप्पणि (12)
  • Kunal Agarwal
    Kunal Agarwal

    सितंबर 18, 2025 AT 02:12 पूर्वाह्न

    ये ट्रेंड तो बस भारत की नसों में बहने वाली विंटेज नॉस्टैल्जिया का रिजल्ट है! मैंने अपनी दादी की पुरानी फोटो डाली थी-काली साड़ी, गजरा, और वो लाइटिंग जैसे फिल्म फ्रेम से निकली हो! जेमिनी ने बिना किसी फिल्टर के उसे 1994 का एक फ्रेम बना दिया। असली जादू यही है कि ये टेक्नोलॉजी हमारे यादों को नहीं, बल्कि उनकी भावना को रिकॉर्ड कर रही है।

  • Abhishek Ambat
    Abhishek Ambat

    सितंबर 18, 2025 AT 13:27 अपराह्न

    ये ट्रेंड तो बस जिंदगी का एक रिमाइंडर है 🥹 कि हमने कभी बिना मेकअप के भी खूबसूरत लग सकते थे... अब तो हर फोटो में ब्राइटनिंग, शेडोइंग, डीप फेस लिफ्ट... ये सब देखकर लगता है मैं एक रोबोट हूँ 😭

  • Meenakshi Bharat
    Meenakshi Bharat

    सितंबर 20, 2025 AT 01:25 पूर्वाह्न

    मुझे लगता है कि इस ट्रेंड की सच्ची शक्ति यह है कि यह एक व्यक्तिगत और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम बन गया है-हर एक प्रॉम्प्ट एक छोटी सी यादगार कहानी को समेटे हुए है। जब आप एक साड़ी के बारे में लिखते हैं कि ‘हवा में उड़ती शिफॉन’ या ‘रेज़-कपूर दौर के पोल्का डॉट्स’, तो आप बस एक इमेज नहीं बना रहे, आप एक वक्त को जीवित कर रहे हैं, जब लड़कियाँ घर के बाहर निकलने के लिए अपने बाल बांधती थीं, और वो बाल बांधने का तरीका उनकी पहचान था। यह टेक्नोलॉजी ने उस पहचान को फिर से जगाया है।

  • Sarith Koottalakkal
    Sarith Koottalakkal

    सितंबर 20, 2025 AT 02:15 पूर्वाह्न

    मैंने अपने बाप की फोटो डाली और टीचर लुक ट्राई किया-असली बाप बन गया 😎

  • Sai Sujith Poosarla
    Sai Sujith Poosarla

    सितंबर 21, 2025 AT 01:49 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये सब अमेरिकी टेक की चाल है जो हमारी साड़ियों को फिल्मी बनाकर बेच रहा है! अपनी जड़ों को बेचकर फेसबुक पर वायरल होने का मजा क्या? अगर ये ट्रेंड भारतीय लोगों ने खुद शुरू किया होता तो बात अलग होती, लेकिन अब तो ये तो डिजिटल कलोनिज्म है!

  • Sri Vrushank
    Sri Vrushank

    सितंबर 22, 2025 AT 21:22 अपराह्न

    क्या आपने सोचा कि ये फोटोज़ किसी के डेटा को ट्रेन करने के लिए इस्तेमाल हो रही हैं? Google अभी तक हमारी फोटोज़ से बनी हर इमेज को स्टोर कर रहा है और फिर उसे अपने एआई के लिए यूज कर रहा है। अगर आपने कभी किसी की फोटो डाली है तो आप अपने बारे में जो भी डेटा दिया है वो अब उनके सर्वर पर है और वो इसे कहीं बेच सकते हैं। आप जानते हैं कि ये सब एक बड़ा ट्रैकिंग फ्रेमवर्क है।

  • Praveen S
    Praveen S

    सितंबर 24, 2025 AT 10:56 पूर्वाह्न

    यह ट्रेंड एक अद्भुत उदाहरण है कि तकनीक कैसे सांस्कृतिक स्मृतियों को जीवित रख सकती है-लेकिन इसकी वास्तविक शक्ति तब आती है जब यह व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करने का माध्यम बन जाए। मैंने अपनी बहन की शादी की फोटो पर ‘कपल 90s-रोमांस’ प्रॉम्प्ट लगाया-उसने एक ऐसी छवि बनाई जैसे हमारी शादी की तस्वीर असल में 1997 में ली गई हो। यह वह भावना है जो टेक्नोलॉजी के बिना नहीं मिलती।

  • mohit malhotra
    mohit malhotra

    सितंबर 24, 2025 AT 23:15 अपराह्न

    इसके बारे में एक एडवांस्ड एनालिसिस करूँ? जेमिनी का इमेज एडिटिंग मॉड्यूल एक ट्रांसफर लर्निंग आर्किटेक्चर पर आधारित है जिसमें एक क्लास-स्पेसिफिक वेक्टर स्पेस ट्रेन किया गया है-विंटेज इंडियन फिल्म एस्थेटिक्स के लिए। यह एक एडवांस्ड फीचर एक्सट्रैक्शन टेक्निक है जो लाइटिंग, टेक्सचर, और कलर ट्रांसफर को एक सिंगल लॉस फंक्शन के तहत ऑप्टिमाइज़ करता है। यह एक डोमेन-स्पेसिफिक जेनरेटिव मॉडल है जिसकी एक्यूरेसी 92.3% तक पहुँच चुकी है, जैसा कि एक अनाम रिसर्च पेपर में रिपोर्ट किया गया है।

  • Gaurav Mishra
    Gaurav Mishra

    सितंबर 26, 2025 AT 20:03 अपराह्न

    बस एक फोटो डालो, प्रॉम्प्ट कॉपी-पेस्ट करो, और वायरल हो जाओ। ये नहीं क्रिएटिविटी है, ये डिजिटल लाजरस है।

  • Aayush Bhardwaj
    Aayush Bhardwaj

    सितंबर 28, 2025 AT 02:29 पूर्वाह्न

    ये सब बकवास है। जो लोग इसमें लगे हैं वो अपनी जिंदगी के लिए कुछ नहीं कर पा रहे। अपने घर का नक्शा बनाओ, बच्चों को पढ़ाओ, या फिर खुद को अपडेट करो। फोटो एडिट करके फेसबुक पर जादू करने का क्या मतलब?

  • Vikash Gupta
    Vikash Gupta

    सितंबर 29, 2025 AT 09:56 पूर्वाह्न

    मैंने अपनी बहन की फोटो पर कपल वाला प्रॉम्प्ट लगाया-और वो लुक देखकर मैं रो पड़ा 😭 उसने बताया कि ये वो दिन है जब हम दोनों बारिश में भाग रहे थे और उसने मुझे अपनी छतरी दे दी थी। जेमिनी ने उस दिन को वापस ला दिया। ये टेक्नोलॉजी बस इमेज नहीं बनाती, ये यादें जगाती है। अगर आपको लगता है ये सिर्फ एक ट्रेंड है, तो आप जिंदगी की गहराई को नहीं देख पा रहे।

  • Arun Kumar
    Arun Kumar

    सितंबर 30, 2025 AT 15:55 अपराह्न

    मैंने अपनी नानी की फोटो डाली और उसे एक रेट्रो साड़ी वाला लुक दिया। वो देखकर बोलीं-‘अरे ये तो मैंने 1991 में पहनी थी!’ अब वो हर दिन अपनी फोटो अपलोड करती हैं और बोलती हैं-‘आज क्या ट्रेंड है?’ अब वो भी टेक्नोलॉजी की शिक्षा ले रही हैं। ये ट्रेंड बस एक फिल्टर नहीं, ये एक जनता है।

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